25 अक्टूबर 2020- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई व अधर्म पर धर्म की जीत के उपलक्ष्य में हमने दशहरा मनाकर बुराई, असत्य, अधर्म के प्रतीक रावण, कुंभकरण, मेघनाथ का पुतला फूंककर भगवान राम की राम-रावण युद्ध में जीत का जश्न मनाकर सत्य, अच्छाई व धर्म का पालन करने का संदेश दिया। विद्रोही ने पूछा कि मात्र प्रतीकात्मक संदेश देने से सत्य, धर्म, अच्छाई की रक्षा हो पायेगी या वर्तमान में इन बुराईयों के खिलाफ और इन्हे हथियार बनाकर सत्ता मौज लेने वालों के खिलाफ लडाई लड़ेंगे या चुपचाप जुल्मों को बर्दाश्त करते रहेंगे। आमजनों का अपने आप से सवाल पूछना चाहिए कि क्या वर्तमान मोदी-भाजपा-संघी सरकार असत्य, अधर्म, छल, अनैतिकता का सहारा लेकर जनता को जुमलों से बहकाकर ठग नही रही है? वर्तमान केन्द्र की मोदी सरकार हो या हरियाणा की भाजपा खट्टर सरकार, क्या वे राजधर्म व संविधान का पालन करने की बजाय संघी धर्म के अनुसार चलकर राजनीतिक अधर्म व अलोकतंात्रिक कार्य नही कर रहे है? क्या संघी नेता खुलेआम महाझूठ बोलकर विकास व समाज कल्याण के गलत आंकडे देकर व संवैद्यानिक संस्थाओं को कुचलकर राजधर्म की उपेक्षा करके अनैतिकता नही कर रहे है?
विद्रोही ने कहा कि क्या इतिहास पर जश्न मनाकर इतराने की बजाय उससे सबक या प्ररेणा लेकर अपने वर्तमान व भविष्य को सुखमय बनाने के लिए काम करते है? पर दुर्भाग्य से हम इतिहास पर जश्न मनाने में इतने लीन हो जाते है कि वर्तमान शासन के असत्य, अधर्म, अनैतिकता को भूलाकर उनके खिलाफ संघर्ष नही करते। आज जिस तरह सत्ता पाने व सत्ता कायम रखने जाति, धर्म, नफरत व बटवारे की राजनीति वर्तमान शासक दल कर रहा है, उससे आममजन का वर्तमान व भविष्य दोनो ही खतरे में है। यदि हमने इस खतरे को नही समझा व उसके खिलाफ संघर्ष नही किया तो हमे भगवान राम की असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई व अधर्म पर धर्म की जीत का जश्न मनाने का कोई नैतिक हक नही है।
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