रवीश कुमार से ज्यादा लोग अब भी अर्णव के साथ दिख रहे हैं। इस मामले की बात करें तो मुंबई पुलिस कमिश्नर का दावा है कि कुछ अनपढ़ों के घर भी अंग्रेजी चैनल देखा जाता था, जबकि कुछ बंद घरों में भी टीवी चलता रहता था. जिन घरों में टीआरपी मीटर लगे हुए हैं, उन्हें एक ही चैनल देखने के लिए पेमेंट की जाती थी। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि दो चैनलों के मालिक हिरासत में लिए गए हैं. इसके अलावा रिपल्बिक टीवी के खातों को सीज किया जा सकता है. परमबीर सिंह ने कहा कि ज्यादा विज्ञापन के लिए टीआरपी का ये खेल खेला जा रहा था। ट्विटर पर जो ट्रेंड एनडीटीवी और आज तक ने चलाया है उस पर पूंछा गया किया बेस्ट एंकर कौन है तो रवीश अर्नब के आधे भी नहीं निकले। ऐसा क्यू हो रहा है।
रवीश क्यू पीछे हैं। इस बारे में जहां तक हरियाणा अब तक को पता है उसके मुताबिक़ रवीश देश के 20 करोड़ लोगों के लिए काम करते हैं जबकि अर्नब 115 करोड़ के लिए। देश के बीस करोड़ कितना भी दंगा फसाद, हत्या, बलात्कार, गैंगरेप करें तो रवीश उन्हें बचाने का प्रयास करते हैं। भले ही इनमे आतंकी भी हों। अर्नब उनसे हटकर काम करते हैं। एक बात ये भी है कि अर्नब खुलकर भाजपा के लिए काम करते दीखते हैं इसलिए उनपर पत्रकार होने पर सवाल भी उठता है। अगर वो टीआरपी काण्ड के सच में आरोपी और दोषी हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। अगर महाराष्ट्र सर्कार और पुलिस कमिश्नर उनसे बदला ले रहे हैं तो अच्छी बात नहीं है। आपको एक बात और बता दें कि रवीश जानबूझकर अपने चैनल की टीआरपी के लिए तथाकथित जेहादियों का साथ देते हैं। ताकि कोई देखे या न देखे जेहादी और आतंकी तो उनका चैनल पसंद ही करें। एक आतंकी हमले के बाद एनडीटीवी पर बैन भी लग चुका है। अर्नब की बात करें तो उनकी टीम की नौटंकी से लोग हँसते ज्यादा हैं ,उनकी पूरी टीम नौटंकी ही कर रही है। ड्रामेबाजी कर रही है। खुद अर्नब और उनकी टीम जिस भाषा का प्रयोग करती है वो उचित नहीं है।
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