नई दिल्ली- लगभग चार दशक पहले देश में जातिवाद का बोलबाला था और उस वक्त कुछ सवर्ण दलितों के हाथ का पानी तक नहीं पीते थे लेकिन अब देश के अधिकतर लोग शिक्षत हैं और अब हर धर्म जाति के लोग बैठकर एक थाली में भोजन करते देखे जाते हैं। देश के कुछ कलयुगी नेताओं का वश चले वो 40 साल पहले वाला दिन फिर वापस लौटा दें और ये नेता वोट के लिए देश की जनता को आपस में लड़ाने का हर प्रयास कर रहे हैं और कहीं-कहीं ये सफल भी हो जाते हैं। कोई दलित नेता बन दलितों का मसीहा बना बैठा है तो कोई सवर्णों का तो कोई अन्य समुदाय के लोगों का। सब अपना उल्लू साध रहे हैं और जातिवाद के नाम पर किसी जाति धर्म विशेष का नेता बनकर अपना घर भरने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
राजस्थान के करौली में तीन दिन पहले एक मंदिर के पुजारी को जिन्दा जलाया गया। पुजारी बहुत ही गरीब बताया जा रहा है। चार बेटियां, दिव्यांग बेटा पुजारी के सहारे था लेकिन अब वो इस दुनिया में नहीं रहा। कल जब कहा गया कि उसके घर में सिर्फ आधा बोरी आटा है, कई दिनों से चूल्हा नहीं जला तो कुछ लोग लिख रहे थे ब्राम्हण था ,मंदिर से बहुत पैसे मिलते रहे होंगे लेकिन अब पुजारी के किले की तस्वीर वायरल हो गई है। कहा जा रहा है कि इसी आलीशान महल में वो पुजारी अपने परिवार के साथ रहता था। दोस्तों में हर समुदाय के लोग गरीब भी हैं और अमीर भी हैं। गरीबी, अमीरी जाति देखकर नहीं आती। ये उसी पुजारी का घर था ऐसा सोशल मीडिया पर कुछ लोग बता रहे है।
ध्यान से देखिएगा,इस किले में किलो 2 किलो आटा या चावल भी छुपा हो सकता है। इन ब्राह्मणों ने वर्षों हम पर अत्याचार कर ये जमा किया है, मनुवादी कहीं के। जय भीम,जय मीम !😢😢😢
— Alok Mishra (@AlokMis05475717) October 11, 2020
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