नई दिल्ली- अधिकतर सरकारी योजनाएं कागजी साबित होती हैं। देश के गरीबों को मिलने वाला सरकारी राशन माफिया हड़प लेते हैं। कुछ लोग कोरोना काल में भी खरबों कमा लेते हैं जबकि देश के लाखों गरीब इसी काल में सैकड़ों किलोमीटर पैदल भागते देखे गए। सिस्टम में कहीं न कहीं बहुत बड़ी कमी है तभी देश की फजीहत हो रही है। भारत वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और भूख की गंभीर श्रेणी में है। देश की 14 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार बताई जा रही है।
केंद्र सरकार के अधिकतर दावे फेल होते जा रहे है। देश के कुछ नेता और कुछ उद्योगपति ही मालामाल हो रहे हैं। जनता का हाल बेहाल होता जा रहा है। पाकिस्तान, बंदलादेश और म्यांमार इस साल के भूख सूचकांक में भारत से ऊपर हैं। बांग्लादेश 75वें, म्यामां 78वें और पाकिस्तान 88वें स्थान पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल 73वें और श्रीलंका 64वें स्थान पर हैं। दोनों देश 'मध्यम श्रेणी में आते हैं। भारत की हालत इतनी खस्ता क्यू हो रही है बड़ा सवाल उठ रहा है। क्या सरकार सिर्फ अमीरों की लिए काम कर रही है? क्या अमीर ही सरकार को वोट देते हैं या सरकार उन्ही के लिए काम कर रही है जिनका नाम राहुल गांधी बार-बार ले रहे हैं। देश के गरीबों का हाल बेहाल होगा तो सरकार पर उंगली उठेगी ही।
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