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खट्टर ऐसे व्यवहार कर रहे है जैसे वो शहशाह हो और दक्षिणी हरियाणा के लोग भिखमंगे- विद्रोही 

Ved-Prakash-Vidrohi-Khattar
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24 सितम्बर 2020- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मनेठी एम्स मुद्दे पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ऐसे व्यवहार कर रहे है कि मानो वे हरियाणा के शहशाह हो और दक्षिणी हरियाणा के लोग भिखमंगे। विद्रोही ने कहा कि एक ओर भाजपा खट्टर सरकार मनेठी एम्स निर्माण के लिए मनेठी व माजरा के किसानों की जमीन सस्ते से सस्ते में कोडियों के भाव हडपना चाहती है और ऊपर से क्षेत्र के लोगों में एहसान भी जताना चाहती है कि सरकार एम्स की भीख देकर दक्षिणी हरियाणा के साथ महाउपकार कर रही है। सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री का यह आचरण उचित है? खट्टर जी जनता की वोट से चुने हुए मुख्यमंत्री है न कि पैदायशी सम्राट। वहीं हर चुनी सरकार व मुख्यमंत्री का संवैद्यानिक कर्तव्य होता है कि वे अपने प्रदेश के हर क्षेत्र का विकास बिना भेदभाव व बिना पूर्वाग्रहों से करे। 

विद्रोही ने कहा कि विगत दो साल से भाजपा-खट्टर सरकार मनेठी में एम्स बनाने के नाम पर पूरे दक्षिणी हरियाणा को भावनात्मक रूप से ठग रही है। एम्स के लिए जमीन भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत करने की बजाय पोर्टल-पोर्टल का खेल खेलकर कोडियों के भाव किसानों की जमीन भी हडपना चाहती है। पहले तो एम्स के लिए पोर्टल पर मिली जमीन एकमुश्त नही है, उसमें पैच है। जमीन एकमुश्त तभी होगी, जब सरकार भूमि अधिग्रहण कानून का प्रयोग करे, लेकिन ऐसा नही करके सरकार दोहरा खेल खेल रही है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार मनेठी एम्स निर्माण को जान-बूझकर लम्बा खींच रही है ताकि अगले लोकसभा-विधानसभा चुनावों में भी एम्स नाम पर फिर से वोट हड़पी जा सके। कमाल की बात तो यह है कि दक्षिणी हरियाणा के कथित हितों की रक्षा के लिए आज भाजपा में सत्ता सुख भोग रहे केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह इस मुद्दे पर दड़ मारे पड़े है। वहीं जमीन को एकमुश्त करने के लिए इसलिए भूमि अधिग्रहण कानून का प्रयोग नही कर रही है ताकि किसानों को कानून अनुसार जमीन का मुआवजा ना देना पडे। 

सरकार किसानों की जमीन 29 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से हडपना चाहती हैै, जबकि पोर्टल पर जमीन देने वाले किसान प्रति एकड़ मुआवजा 50 लाख रूपये मांग रहे है। साथ में व्यवसायिक प्लाट भी चाहते है। मुख्यमंत्री खट्टर इसके लिए तैयार नही है। फिर सवाल उठता है कि पोर्टल का खेल खेलने के बाद भी जमीन का मुद्दा तो वहीं का वहीं खड़ा है। भाजपा सरकार आखिरकार किसानों की जमीन सस्ते में क्यों हडपना चाहती है? मुख्यमंत्री खट्टर एक लोकतांत्रिक चुने नेता की तरह काम करने की बजाय मनेठी एम्स के लिए जमीन हडपने के लिए एक मुनाफाखोर प्रोपर्टी डीलर की तरह आचरण क्यों कर रहे है? एक चुनी हुई सरकार का मुखिया यदि किसानों की जमीन संसद द्वारा तय कानून से लेने की बजाय मुनाफाखोर प्रोपर्टी डीलर की तरह बार्गनिंग करके हडपने लगे तो एक लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री व लुटेरे के बीच फर्क क्या रह जायेगा? विद्रोही ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री का काम जमीन अधिग्रहण में सरकार का पैसा बचाने की बजाय कानून अनुसार किसानों को पूरा मुआवजा देने की है। खट्टर जी अपनी इस संवैद्यानिक जिम्मेदारी ना केवल भाग रहे अपितु सस्ती जमीन न देने पर एम्स न बनाने की धमकी देकर पूरे दक्षिणी हरियाणा को ब्लैकमेल भी कर रहे है व लोगों को भावनात्मक रूप से ठग भी रहे है। 

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