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अभिभावक एकता मंच ने किया स्कूलों को खोलने का विरोध, कहा कोरोनाकाल में ये ठीक नहीं

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फरीदाबाद- जहां गुजरात सहित अन्य राज्यों ने कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्कूल खोलने से मना कर दिया है वहीं हरियाणा सरकार स्कूल संचालकों के दबाव में 21 सितंबर से स्कूल खोलने जा रही है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इसका पुरजोर विरोध किया है। मंच का कहना है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जब तक कोरोना की कोई दवाई व वैक्सिन नहीं बन जाती है तब तक ढीलाई नहीं बरतनी चाहिए उसके बावजूद भी हरियाणा में स्कूल खोलने का निर्णय पूरी तरह से बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करना है।  

शिक्षा विभाग ने 16 सितंबर को सभी जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर 21 सितंबर से कक्षा 9 से 12 वीं के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के लिए निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में दी गई एक शर्त के मुताबिक विद्यार्थियों को स्कूल आने के लिए अपने पेरेंट्स से लिखित में परमिशन लानी होगी। मंच ने इस शर्त का पुरजोर विरोध किया है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिव कुमार जोशी ने कहा है कि शिक्षा विभाग ने यह शर्त अपने बचाव में डाली है। बढ़ते कोरोना के प्रकोप को देखते हुए अगर किसी विद्यार्थी को कोरोना हो गया तो उसकी जिम्मेदारी सरकार व स्कूल प्रशासन की न होकर विद्यार्थी व उसके मां बाप की होगी। इतना ही नहीं सरकार ने स्कूल मुखिया को यह हिदायत दी है कि वह केंद्र सरकार द्वारा स्कूल खोलने के लिए जारी स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर यानी SOP में दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करें उनके उल्लंघन पर मुखिया के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगीl 

            मंच का कहना है कि कुल मिलाकर सार यह है कि स्कूल खोलने का श्रेय तो सरकार लेना चाहती है लेकिन अगर कोई अनहोनी हो गई तो उसकी जिम्मेदारी पेरेंट्स व स्कूल मुखिया की होगी।
मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा का कहना है कि सरकार जल्दबाजी में यह कदम उठा रही है। देश में प्रतिदिन एक लाख के आसपास कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पहुंच रही है हरियाणा में और फरीदाबाद में भी पहले से ज्यादा कोराना संक्रमित मरीज मिल रहे हैं ऐसे हालात में स्कूल खोलना विद्यार्थियों और उनके माता-पिता के जीवन से खिलवाड़ करना है। बच्चे वैसे भी कोमल होते हैं वह कितनी देर तक मास्क लगाकर बैठ सकते हैं। और कितना गाइडलाइन का पालन कर सकते हैं।
 मंच ने उन अभिभावकों से जो अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए लालायित हैं कहा है कि वे सरकार के भ्रम जाल में ना फंसे अपने बच्चों को किसी भी हालात में स्कूल ना भेजें। कोरोना से देश बचेगा, समाज बचेगा तो पढ़ाई भी अपने आप बच जाएगी। अभिभावक कोई रिस्क ना लें। 

 एसओसी की दिशा निर्देश :-

 - शिक्षकों को अपना कोरोना टेस्ट कराना होगा।
 - अध्यापकों के लिए आरोग्य सेतु एप अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल करना अनिवार्य होगाl
 - स्कूल मुखिया को स्वास्थ्य मंत्रालय से एनओसी लेनी होगीl
- स्कूल प्रांगण को पूरी तरह से सैनिटाइज कराना होगाl
- सभी अध्यापक, स्टाफ व बच्चे मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंस का पालन करेंगे। 
- छात्र और टीचर 6 फुट की दूरी पर रहेंगेl
- स्कूल के दरवाजों के बाहर थर्मल स्क्रीनिंग होगी ताकि छात्रों और शिक्षकों की तापमान की जांच हो सकेl
- कुछ समय के अंतराल पर हाथ धोना, स्कूल में बिना कारण थूकना मनाl
- छात्रों को आपस में नोटबुक पेन पेंसिल रबड़ वाटर बोल एक दूसरे को लेने में मनाई।
सरकार द्वारा जारी किए गए पत्र में साफ-साफ लिखा है कि एसओपी में दिए गए दिशानिर्देशों में से अगर किसी का भी उल्लंघन हुआ पाया गया तो उस स्कूल के मुखिया व प्रबंधक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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