नई दिल्ली- बेंगलुरु दंगे को लेकर आज सुबह से सोशल मीडिया पर तरह तरह की बातें हो रहीं हैं जहाँ तीन लोगों की मौत हुई और एक बड़े पुलिस अधिकारी सहित सौ से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। सैकड़ों वाहनों सहित कांग्रेसी विधायक का घर फूंक दिया गया लेकिन तमाम लिब्रान्डु खामोश हैं क्यू कि विधायक कांग्रेस के थे और दलित हैं और घर जलाने वाले, पुलिस पर हमला करने वाले शांतिदूत हैं। शायद लिब्रान्डुओं को समझ में नहीं आ रहा है कि दलित का पक्ष लें या शांतिदूतों का? उनका पक्ष लें तो दुसरे नाराज, इनका लें तो वो नाराज?
कई वर्षों से देश में गिद्ध नहीं दिख रहे हैं लेकिन कुछ नेता उनकी जगह लेते दिख जाते हैं जो मजहब देख राजनीति करने हैं। हर इंसान को देश में रहने का हक है और हर किसी का खून एक जैसा है लेकिन कलयुग है। नेता मरने और मारने वाले का धर्म देखते हैं। राजनीति पूरी तरह से कलयुगी हो चुकी है। सत्ताधारी हों या विपक्षी, सब मजहब देख राजनीति करते हैं।
आज कृष्ण जन्माष्टमी है और अब ट्विटर पर बेंगलुरु दंगे को लेकर कुछ ट्वीट किये जा रहे हैं। जाने माने कवि कुमार विश्वाश ने लिखा है कि
ये नफ़रत,ये बेहूदे तर्क,ये तथाकथित मज़हबी ठेकेदार, ये धर्म-संस्कृति के झंडाबरदार,ये राजनीति के वोटभक्षी आदमखोर ! ये हमारा-आपका कमाया हुआ सब ख़ाक करके मानोगे,पहचानिए इन्हें !हे श्री कृष्णा फिर उतरो धरा पर ! हर ओर, अलग-अलग भेष में कितने कंस हैं,हमें ख़बर तक नहीं #bangaloreriots— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 12, 2020
नीतू शर्मा ने लिखा है कि
बिल्कुल ,इस घोर आपराधिक कलियुग में आवश्यकता आन पड़ी है पुन: कृष्णावतार की,,अब पाप और पापी इस कदर रच -बस गऐ है कि कोई बदलाव की संभावना नहीं दिखती,,रक्षक ही भक्षक बन बैठे,,राजनीति में राज बचा है नीति तो गायब ही है,,हे प्रभु आओ और उद्धार करो,,🙏happy janmashtami to all— Neetu Sharma (@NeetuSh92264941) August 12, 2020
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