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बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के संचालकों की दादागीरी 

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अनूप कुमार सैनी रोहतक- इसे सत्ता का नशा कहें या दादागिरी। रोहतक स्थित बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी संचालकों के लिए न तो सरकार के निर्देश कोई मायने रखते हैं और न ही यूजीसी के। इसका मुख्य कारण यह है कि बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सत्तारूढ़ दल के सांसद हैं। यही कारण है कि यह यूनिवर्सिटी के लिए कायदे कानून कोई मायने नहीं रखते हैं। 
     इस यूनिवर्सिटी की मनमानी की एक बानगी देखिए कि एक ओर हरियाणा प्रदेश के अनेक छात्र संगठन एवं छात्र नेता यूजीसी के उस आदेश के खिलाफ जिसमें कालेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से फाईनल ईयर की परीक्षाएं लेने के आदेश दिए गए थे, आन्दोलनरत हैं और इस आदेश को वापिस लेने की मांग कर रहे हैं।
     बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी रोहतक में यूजीसी और सरकार द्वारा केवल फाइनल की परीक्षा लेने के आदेश थे, वो भी परिस्थिति के अनुकूल। रोहतक के डीसी कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं तो जिला में रहने वाले लोग कोरोना महामारी से सुरक्षित कैसे हो सकते हैं? इसके बाद ही यूजीसी और सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ा कर मस्तनाथ यूनिवर्सिटी द्वारा रोहतक में बुधवार को सुबह 10 बजे से सभी कक्षाओं की परीक्षाएं लेनी शुरू कर दी हैं।
      इसकी जानकारी जैसे ही डा. अम्बेडकर मिशनरीज विद्यार्थी एसोसिएशन (रजि.) के अध्यक्ष विक्रम सिह डूमोलिया को मिली तो वे अन्य छात्र नेताओं के साथ विरोध दर्ज करवाने मस्तनाथ यूनिवर्सिटी पहुंचे। बाद में उन्होंने इसके विरोध में यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति, हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, कुलाधिपति मस्तनाथ यूनिवर्सिटी रोहतक के नाम शिकायत पत्र भेज करवाया विरोध दर्ज कराया है।
           डा. अम्बेडकर मिशनरीज विद्यार्थी एसोसिएशन (रजि.) के अध्यक्ष विक्रम सिह डूमोलिया के नेतृत्व में छात्र हितों को लेकर बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी रोहतक के गेट नंबर 4 पर छात्रों की ली जा रही परीक्षा का विरोध दर्ज कराया कि देश प्रदेश व जिले में कोरोना महामारी के कारण में त्राहि-त्राहि मची हुई है। 
     विक्रम डुमोलिया का कहना था कि देश का पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, देश के गृहमंत्री अमित शाह वेंटिलेटर पर हैं, तो छात्रों की जान परीक्षा के नाम पर जोखिम में क्यों डाली जा रही है। यूजीसी ने केवल फाइनल की परीक्षा का आदेश था, वह भी परिस्थिति को देखते हुए जिला रोहतक के डीसी आरएस वर्मा कोरोना बीमारी से पीड़ित हैं तो सीधे तौर पर यह सिद्ध हो जाता है कि जिला के लोग कोरोना महामारी से सुरक्षित नहीं है।

       फिर भी दादागिरी दिखाते हुए बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी प्रथम, द्वितीय वर्ष के हजारों परिवारों के छात्र छात्राओं की परीक्षा का आयोजन कर जानबूझ कर उनकी जान जोखिम में डाल रहे हैं। इस प्रकार सरकार के और यूजीसी के आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख्त से सख्त कार्यवाही करके सबक सिखाना चाहिए, जो प्रदेश में महामारी फैलाने पर उतारू है।
       छात्र नेता ने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी ने कोरोना नियमों की पालना करने की बजाए उसकी धज्जियां उड़ाई हैं। यूनिवर्सिटी ने एग्जाम से पहले किसी भी छात्र का कोरोना टेस्ट नहीं किया है। एग्जाम के दौरान दर्ज़नों अधिकारियों के संपर्क में छात्र आए किन्तु किसी भी अधिकारी का कोरोना टेस्ट नहीं किया गया है। परीक्षा देने आए किसी भी छात्र की केस हिस्ट्री की पुष्टि नहीं की गई, परिवार गांव में कोरोना पीड़ित तो नहीं है। छात्र परीक्षा देने आए तो बस में कितने लोगों के संपर्क में आए, इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई।

       डा. अम्बेडकर मिशनरीज विद्यार्थी एसोसिएशन (रजि.) के अध्यक्ष ने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखकर हम कह सकते हैं कि बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी ने ये बहुत भयानक गलती है, जो एक साथ पूरे प्रदेश में महामारी फैलाने के लिए काफी है। इसलिए छात्र संगठन ने इसकी शिकायत यूजीसी चेयरमैन दिल्ली, राज्यपाल हरियाणा, मुख्यमंत्री हरियाणा प्रदेश, स्वास्थ्य मंत्री/गृह मंत्री हरियाणा, कुलाधिपति मस्तनाथ यूनिवर्सिटी रोहतक को भेजी है।
    उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इसके बाद भी प्रशासन नहीं जागता है तो छात्र संगठन यूनिवर्सिटी को ताला जड़ देगा, जिसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार होंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि आज इस प्रकरण को कवर कर रहे मीडिया कर्मी के साथ भी दुर्व्यवहार कर कैमरा छीन लिया गया। अतिरिक्त उपायुक्त से इसकी शिकायत करने पर उन्होंने शिक्षा विभाग की टीम को भी मस्तनाथ यूनिवर्सिटी रोहतक जांच के लिए भेजा है।
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