चण्डीगढ़, 27 मार्च- हरियाणा में 21 दिन के लॉकडाउन के चलते निजी और सार्वजनिक परिवहन बंद होने के कारण राज्य ने प्रदेश में प्रवासी श्रमिकों और बेघर लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों में भोजन और आश्रय देने का निर्णय लिया है। उन्हें ऐसे अस्थायी आश्रय स्थलों में रखने के दौरान, सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाएगा।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां जानकारी देते हुए बताया कि अस्थायी सामुदायिक आश्रयों में उनके ठहरने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जाएगी। इसके अलावा, उन्हें भोजन और दवाइयों जैसी अन्य आवश्यक वस्तुएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी।
उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों जैसे कि फैक्ट्री श्रमिकों, निर्माण कामगारों, ईंट-भ_ा मजदूरों, रेहड़ी फेरीवालों, दैनिक मजदूरों, पल्लेदारों, रिक्शा चालकों, दुकानों और प्रतिष्ठानों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षा संस्थानों में आकस्मिक श्रमिकों और सुरक्षा गार्डों, सफाईवालों, मोची, नाई, धोबियों, भिखारियों और यहां तक कि साधुओं के आवागमन पर रोक लगाने और उन्हें अस्थायी सामुदायिक आश्रय स्थलों में रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि उन्हें सामुदायिक केंद्रों, बारात घरों, झाँज घरों, धर्मशालाओं, पंचायत घरों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में रखा जाएगा जहाँ शौचालय और पेयजल की उचित व्यवस्था है। लॉकडाउन की अवधि के लिए उन्हें इन अस्थायी आश्रय स्थलों में रखने के दौरान, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का सख्ती से पालन किया जाए। उन्होंने बताया कि यदि ऐसे आश्रय स्थलों में खाना पकाने की सुविधा है तो उन्हें पके हुए भोजन के पैकेट या सूखे राशन के रूप में दिन में दो बार भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य आपदा राहत कोष के तहत इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक जिले को एक करोड़ रुपये की राशि पहले ही स्वीकृत की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
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