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सरकार, सुप्रीम कोर्ट सब फेल, शाहीन बाग़ की सड़क खाली करवाने पहुंचा कोरोना वायरस

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हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

नई दिल्ली: 2016 में सितम्बर और अक्टूबर में दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में लाखों लोग एक बीमारी से बहुत परेशान थे। ये बीमारी जिसको पकड़ती थी वो कई दिनों तक ठीक से अपने पैरों पर नहीं चल पाता था। इस बीमारी को चिकनगुनिया बताया गया था और हरियाणा अब तक के तमाम पाठकों ने भी उस समय बताया था कि सच में ये बीमारी ने जब उन्हें जकड़ा तो वो ठीक से चल नहीं पाते थे। लोग बहुत परेशान थे। कोई नारियल का पानी पी रहा था तो कोई अन्य देशी उपाय, बड़े लोग ग्लूकोज चढ़वा रहे थे। विटामिन का इंजेक्शन लगवा रहे थे। तब भी लोग परेशान थे। नवम्बर के पहले हफ्ते में इस बीमारी ने और तांडव मचाना शुरू किया लेकिन 8 नवम्बर की शाम को अचानक नोटबंदी हो गई और फिर देखा गया कि जो अपने पैरों पर चल नहीं पा रहे थे वो बैंकों के बाहर कई कई घंटे तक लाइन में खड़े रहते थे। दर्द रफू चक्कर हो गया। बीमारी दिमाग में ज्यादा भरी थी और नोटबंदी हुई तो लोग अपने माल के चक्कर में पड़ गए और दिमाग से बीमारी अचानक निकल गई। 

वर्तमान में पूरी दुनिया सहित भारत में भी कोरोना की दहशत है और जैसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं उसे देख लग रहा है कि ये अफवाह देश के तमाम लोगों के दिलों में राज करने लगेगी और किसी को छींक भी आई तो वो फटाफट डाक्टरों के पास पहुंचेगा और डाक्टर फटाफट कई तरह की जांच करवाएंगे। ऐसा बड़े लोग करेंगे। गरीब लोग तो 10 दिनों तक छींकने और खांसने के बाद भी शायद ही डाक्टरों के पास जाएँ। 
असली मुद्दे पर आते हैं और ये मुद्दा ये है कि 15 दिसंबर से अब तक लगभग तीन महीने होने वाले हैं। दिल्ली की एक सड़क मिनी पाकिस्तान बन गई और देश की सरकार, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस इस सड़क को खुलवाने में नाकाम रही और सुप्रीम कोर्ट भी सड़क खुलवा नहीं सकता। सब फेल हो गए। अब जानकारी मिल रही है कि शाहीन बाग़ की सड़क बंद कर बैठे लोगों में अब कोरोना की दहशत है। आज वहां तमाम महिलाएं मास्क में दिखीं। 
आज दिल्ली के उप मुख्य्मंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए सभी sports gatherings (including IPL), बड़े सेमिनार, कोंफ़्रेंस आदि के आयोजन पर पाबंदी लगा दी है. सभी DM, SDM अपने क्षेत्रों में कोरोना सम्बन्धी आदेशों के पालन पर निगरानी रखेंगे, हम सबको मिलकर इस ख़तरनाक वायरस को फैलने से रोकना है। इसके बाद उन पर सवाल उठने लगे और कहा जाने लगा कि क्या ये नियम आपके द्वारा आयोजित शाहीन बाग़ वालों पर भी लागू होगा। 
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने लिखा कि उम्मीद है ये आर्डर शाहीन बाग पर भी लागू होगा, शाहीन बाग और निजामुद्दीन में बैठी भीड़ को भी तुरंत हटाया जाए, कोरोना वायरस के कारण दिल्ली में सभी सेमिनार, कांफ्रेंस, स्पोर्ट्स, सिनेमा, तमाशे पर बैन, @ArvindKejriwal, अपने DM, SDM से तुरंत शाहीन बाग खाली करवाइए
सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि अब कोरोना ही शाहीन बाग़ की सड़क खाली करवाएगा, सरकार, सुप्रीम कोर्ट सब फेल हो चुके हैं। ऊपर हमने नोटबंदी और चिकनगुनिया के बारे में लिखा है। दोस्तों 2016 में फरवरी में जाट आंदोलन हुआ था कई लोग मारे गए और जब ये आंदोलन चरम पर था तो मुरथल गैंगरेप का मामला आया और अचानक आंदोलन रुक गया क्यू कि जाटों पर आरोप लगाए जा रहे थे। 

2018 में फिल्म पद्मावत का देश के कई राज्यों में विरोध हो रहा था और हिंसक प्रदर्शन भी शुरू हुआ लेकिन हरियाणा के गुरुग्राम में एक स्कूल बस पर हमला हुआ, आंदोलन कर रहे राजपूतों पर बड़ा आरोप लगा , मासूम छात्रों का वीडियो वायरल हुआ और ये आंदोलन भी अचानक रुक गया। 2018 में अप्रैल में दलित आंदोलन हुआ और दलितों पर बड़े आरोप लगे तो उनका भी आंदोलन अचानक रुका। ये सब एक संयोग है। जहाँ सब फेल हो जाते हैं वहां कुदरत अपना काम करती है। दिल्ली में सब फेल हुए हैं। अब कोरोना के पास होने का इंतजार है। शाहीन बाग़ की सड़क खुलने का इन्तजार है। 

वैसे अभी हमने ये भी देखा कि शाहीन बाग की सड़क जाम करने वाले जेहादी, आतंकी, वामपंथी, टुकड़े गैंग और उनके साथी मीडिया चैनल अब भी नहीं चाहते की सड़क खाली हो, ये लोग उन्हें अब भी भड़का रहे हैं कि बेज्जती हो जाएगी। इन्हे अपनी बेज्जती का डर है इसलिए ये हरामखोर अब भी उन्हें भड़का रहे हैं। देखते हैं आगे क्या होता है। इन हरामखोरों ने आतंकी संगठनों और पीएफआई से ज्यादा मोटा माल लिया है इसलिए ये हरामखोर चाहते हैं कि सड़क अब भी जाम रहे। आपको पहले बता चुका हूँ कि देश को कमजोर करने वाले कुछ आतंकी कुछ मीडिया वालों को प्रति आर्टिकल 1500 डालर दे  रहे हैं और तमाम हरामखोर ये पैसे ले भी रहे हैं। इन्हे अपनी तिजोरी भरने से मतलब है। जनता जाए भाड़ में। 
इन्ही हरामखोरों ने दिल्ली में दंगा करवाया और लगभग 53 लोगों को मरवाया। मरने वाले सभी धर्मों के लोग थे। इन हरामखोरों को पैसे कमाने से काम कौन मर रहा है, उसके बच्चे अनाथ हो रहे है इन्हे कोई लेना देना नहीं। ये हरामजादे तो मरने वालों की लाशें गईं अपने आतंकी साथियों को बताते हैं कि हमने इतने लोगों को मरवा डाला, तय राशि ही नहीं बोनस भी दो, सच बहुत कड़वा होता है लेकिन सच यही है। देश के लोग किसी के भड़कावे में न आएं। हो सकता है भड़काने वाला आपकी जान का सौदा कर बैठा हो। 
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