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विदेश में बीमारी से तड़प रही है जूली, लवगुरु मटुकनाथ निकले बेवफा, नहीं कर रहे हैं मदद 

Jooli-Matuknath-LOVE
हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

नई दिल्ली: लगभग 16  साल पहले देश में सुर्ख़ियों में आये लवगुरु मटुकनाथ और जूली की प्रेम कहानी एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। एक साल पहले कहा गया कि जूली मटुकनाथ को छोड़कर कहीं चली गई है लेकिन अब पता चल रहा है कि जूली त्रिनिदाद में है और वो बीमार है लेकिन मटुकनाथ अब उसकी मदद नहीं कर रहे हैं।
जूली की सहेली ने बिहार सरकार से जूली की मदद की गुहार लगाईं है। जूली की सहेली देवी जो भोजपुरी फिल्मों की अभिनेत्री है उसने मटुकनाथ से जूली की  मदद की गुहार लगाईं तो मटुकनाथ ने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं मैं कोई मदद नहीं कर सकता। देवी ने मीडिया को बताया कि जूली ने मटुकनाथ के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया। समाज से लड़कर उनके खुलेआम प्यार किया लेकिन अब मटुकनाथ पैसे न होने का बहाना बना रहे हैं।
आपको बता दें कि  बात साल 2004 की है।

 पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मटुकनाथ ने एक कैंप लगाया था जिसमें पटना यूनिवर्सिटी की ही स्टूडेंट जूली भी पहुंची थी। इस दौरान दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई। दोनों ने एक-दूसरे का नंबर लिया। इसके बाद दोनों के बीच घंटों फोन पर बात होने लगी।  बातचीत का सिलसिल प्यार में बदला और फिर दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे। इसके कुछ दिनों बाद दोनों ने शादी भी की।जूली मटुकनाथ से उम्र में 30 वर्ष छोटी थी।

2004 में शुरू हुई ये प्रेम कहानी दो साल तक ठीक चली। इसके बाद 15 जुलाई, 2006 को स्टूडेंट से अफेयर के बाद मटुकनाथ को हिंदी डिपार्टमेंट के रीडर पद से सस्पेंड कर दिया था। बाद में 20 जुलाई, 2009 को उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।  बर्खास्तगी के बाद जब मटुकनाथ को एरियर भुगतान किया गया था तो उन्होंने उस पैसे में से वैलेंटाइन्स डे 14 फरवरी 2013 को जूली को कार गिफ्ट की थी। मटुक को करीब 16 लाख रुपए मिले थे। चार लाख टैक्स के तौर पर काट लिए गए थे। बता दें कि तब मटुकनाथ का ये गिफ्ट इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियां बन गया था।  अब ये लव स्टोरी कल वैलेंटाइन्स डे से फिर सुर्ख़ियों में है। जूली की सहेली का कहना है कि कोई मदद करे या न करे मैं जूली को त्रिनिदाद से भारत लाकर रहूंगी।
मटुकनाथ की बात करें तो 13 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे पर उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर क्या लिखा है पढ़ें
मेरी दृष्टि में अष्टदिवसीय वैलेंटाइन डे का अर्थ (शेषांश)
        क्या यह स्वाभाविक है कि आज तो आप प्रिया से आलिंगन करेंगे, कल चुंबन और परसों मिलन ? अगर नहीं तो यह तय है कि इसका प्रतीकात्मक अर्थ है । यह प्रेम के क्रमशः विकास की ओर इशारा करता है । आलिंगन से ज्यादा निकटता चुंबन में है और आठवां दिन यानी वैलेंटाइन डे तो संपूर्ण मिलन का प्रतीक है ही । मैं यहाँ संक्षेप में आलिंगन की व्याख्या कर रहा हूँ । इसी क्रम में चुंबन और मिलन को भी समझा जा सकेगा ।
             आलिंगन के चार प्रकार मुझे दिखायी पड़ते हैं ---
मनुष्य का मनुष्य से आलिंगन
मनुष्य का प्रकृति से आलिंगन
प्रकृति का प्रकृति से आलिंगन और
मनुष्य का अस्तित्व से आलिंगन
           मनुष्य का मनुष्य से आलिंगन के दो प्रकार होते हैं -- कामुकता सहित और कामुकता रहित । कामुकतापूर्ण आलिंगन में एक उत्तेजना होती है और वह आगे की यात्रा कर तृप्ति पाना चाहता है, जबकि कामुकतारहित आलिंगन अपने आप में ही तृप्तिदायक होता है । उसे आगे की यात्रा की जरूरत नहीं होती । अगर वह प्रगाढ़ हो तो असीम तृप्ति और शांति का अनुभव करता है ।
             मनुष्य का मनुष्य से आलिंगन का आनंद वस्तुतः दो आंतरिक ऊर्जाओं के मिलन का आनंद है । हर मनुष्य की देह से एक विद्युत तरंग निकलती है । जिस मनुष्य की तरंगें आपके मेल की होती हैं, उसी से आलिंगन करने में आनंद प्राप्त होता है । जिनकी तरंगें बेमेल की होती हैं, उनसे आलिंगन तो दूर निकट से गुजरने की भी इच्छा नहीं होती । ऐसे व्यक्ति अगर कहीं मिल जायं तो उनसे दूर छिटक जाने की इच्छा होती है । इसका अर्थ यह नहीं कि आप तो बहुत अच्छे आदमी हैं और दूसरे बुरे !  इसका इतना ही अर्थ है कि दोनों की ऊर्जाएं बेमेल हैं । प्रेम के लिए यह आवश्यक है कि आलिंगन में अपार आनंद की अनुभूति हो । अगर आलिंगन में मजा नहीं आया तो मुश्किल है प्रेम-संबंध बनना । ऐसा संकेत मिलता हो तो आगे की यात्रा नहीं करनी चाहिए । इन तरंगों की पकड़ अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तियों को अधिक होती है ।
         कभी -कभी आपके भीतर उठनेवाली ऊर्जा को पेड़-पौधे , नदी, समुद्र, चट्टान आदि भी अपनी तरफ खींचते हैं । मन करेगा उनसे लिपट जाऊं ! उनसे लिपट कर बहुत सकून मिलता है ।
           हमलोग तो तो एक जीव का दूसरे जीव के आलिंगन को भी देखते रहते हैं । कवियों ने तो प्रकृति का प्रकृति से आलिंगन को भी देखा और चित्रित किया है । हवा और पेड़ों के आलिंगन की मस्ती को निराला ने बहुत ही कम शब्दों में बड़ी सुंदरता के साथ चित्रित किया है ।" राम की शक्ति-पूजा" में वे लिखते हैं --
कांपते हुए किसलय, -- झरते पराग-समुदय,
गाते खग नव-जीवन-परिचय, -- तरु मलय-वलय,
           मलय-पवन के स्पर्श से तरु मस्ती में झूम उठा है । उसके नये कोमल पत्ते कंपित हो रहे हैं । फूलों से पराग झरने लगे हैं । इस नये जीवन को देख पक्षी गा उठे हैं । कहा जाता है कि सीता के वियोग  की घड़ी में राम को पुष्पवाटिका में सीता से प्रथम मिलन की याद आयी है और यह दृष्य उनकी भावनाओं का प्रक्षेपण है । ना-ना ऐसा नहीं । जरा गहरे डूबेंगे तो प्रकृति की शरीकता दिखायी पड़ेगी । प्रकृति भी आपके साथ उत्सव मनाती है । यह मलय पवन और पेड़ों के आलिंगन का उत्सव है ।
          मनुष्य जब कभी ऐसे आलिंगन में बंधता है, जहाँ उसकी अस्मिता खो जाती है, वहाँ अस्तित्व से आलिंगन शुरू हो जाता है । "मैं" के खोते ही महा मिलन की घटना घटती है । इसे ही वैलेंटाइन डे कहते हैं । https://www.facebook.com/matuknath.choudhary/posts/575409899716086
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