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अच्छे बीते 5 साल, फिर आएंगे केजरीवाल, दिल्ली के लोग लगा रहे हैं ये नारा 

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नई दिल्ली-पुष्पेंद्र सिंह राजपूत, हरियाणा अब तक: दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए 8 फरवरी को मतदान होगा और उम्मीदवारों का नामांकन जारी है। आज दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे लेकिन  लेकिन वह रोड शो के कारण नामांकन के लिए निर्धारित अंतिम वक्त 3.00 बजे तक निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर नहीं पहुंच सके।  अब केजरीवाल मंगलवार यानी 21 जनवरी को नामांकन दाखिल करेंगे। आपको बता दें कि पांच साल पहले भी ऐसा ही हुआ था, भीड़ के कारण केजरीवाल को अगले दिन नामांकन भरना पड़ा था। 
 सीएम केजरीवाल दोपहर भगवान् वाल्मीकि मंदिर पहुंचे। वाल्मीकि मंदिर से वह रोड शो करते हुए नामांकन करने के लिए रवाना हुए।  रोड शो के दौरान उमड़ी भारी भीड़ के कारण उनका काफिला निर्धारित अवधि में नामांकन स्थल तक नहीं पहुंच सका। वाल्मीकि मंदिर के चारों तरह लोगों का हुजूम देख लगा कि दिल्ली की जनता इस बार भी केजरीवाल को दिल्ली की कुर्सी पर बैठा सकती है। लगभग दो घंटे हम मंदिर में रहे और एक घंटे मंदिर के आस पास उमड़ी भीड़ से ये जानकारी हासिल करने का प्रयास करते रहे कि कहीं ये भीड़ किराये की तो नहीं है लेकिन हर किसी में मुँह से लगे रहो केजरीवाल ही सुनने को मिला। 

दिल्ली से भाजपा और कांग्रेस को इस चुनाव में भी बड़ी खुशखबरी शायद ही मिले जिसका प्रमुख कारण वही है जो हम बार-बार अपने पाठकों को बता रहे हैं। केजरीवाल ने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली, पानी पर लगभग उतना ध्यान दिया है जितना किसी भी प्रदेश की सरकार ने नहीं ध्यान दिया। दिल्ली से सटे हरियाणा की बात करें जहाँ भाजपा की सरकार है और 2014 से है। इस बार जजपा की वैशाखी लेकर खट्टर फिर चंडीगढ़ पहुँच गए। यहाँ प्रदेश के 70 फीसदी लोग शिक्षा और स्वास्थ्य माफियाओं से दुखी हैं। 70 फीसदी में लाखों ग्रामीण और शहर में रहने वाले लोग आते हैं। पीएम की आयुष्मान भारत योजना का लाभ बहुत कम लोग उठा पा रहे हैं। अगर किसी गरीब के दो बच्चे हैं तो उसकी सारी कमाई शिक्षा और स्वास्थ्य माफिया हड़प ले रहे हैं और कमाई का कुछ हिस्सा बचता है तो बिजली का बिल में चला जाता है। उसमे से भी कुछ बचता है तो वो पानी में चला जाता है क्यू कि प्रदेश का लगभग हर दूसरा व्यक्ति पानी खरीदकर पीता है। नलों और ट्यूबबेलों का पानी पीने लायक नहीं होता जबकि बिजली के बिल में दर्जनों टैक्स लगाए जाए हैं। लगभग हरियाणा जैसा हाल कई भाजपा शासित राज्यों में है और कई राज्यों में इन्ही वजहों ने भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा। 

कहा जाता है कि दिल्ली की जनता मुफ्तखोर है और मुफ्तखोरी के चक्कर में केजरीवाल का साथ दे रही है। जनता बेचारी क्या करे। देश में बेरोजगारी हद से ज्यादा बढ़ती जा रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य माफिया जितना लूट रहे हैं उतना कभी चम्बल के डाकू भी नहीं लूटते थे। भाजपा इस लूट खसूट पर लगाम लगाने में पूरी तरह से असफल रही इसलिए जनता ने कई प्रदेशों में भाजपा को आइना दिखा दिया। 

भाजपा ये भी कहती है कि जनता मुफ्तखोरी पसंद नहीं करेगी साथ में ये भी कहती है कि शाहीन बाग़ में मुफ्त की बिरयानी खाने के लिए भीड़ पहुँच रही है। अगर जनता मुफ्त के लिए वहां पहुँच रही है तो मुफ्त के लिए कुछ भी कर सकती है। 
कांग्रेस की बात करें तो सट्टा बाजार का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस का शायद ही खाता खुले और सट्टा बाजार का दावा है कि चांदनी चौक से कांग्रेस की प्रत्याशी अल्का लाम्बा की इस बार बड़ी हार होने वाली है और जिस दिन नतीजे आएंगे उस दिन सबसे पहले अल्का लाम्बा की ही हार की खबर आएगी। सट्टा बाजार में कांग्रेस का दिल्ली में कोई भाव नहीं है। लगभग एक दर्जन सीटों पर भाजपा के लिए भाव लगाए जा रहे हैं। वहां भी आप का रेट ज्यादा है। 
दिल्ली के सीएम की बात करें तो पिछली बार 67 सीटें पाते ही केजरीवाल राहुल गांधी का विकल्प बनने का प्रयास करने लगे और दिन रात मोदी को घेरने लगे। जिसका उन्हें नगर निगम चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा और भाजपा निगम चुनावों में बाजी मार ले गई। निगम चुनाव हारने के बाद से अब तक केजरीवाल ने कोई एंटी मोदी ट्वीट शायद ही किया हो। अब उन्हें इसका फायदा भी मिलता दिख रहा है। सट्टा बाजार का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों तक केजरीवाल ने कोई गलती नहीं की तो आम आदमी पार्टी सभी 70 सीटों पर विजय हासिल कर सकती है। कुछ सट्टेबाजों का कहना है कि 60 सीटें तो पक्की हैं और आज भगवान् वाल्मीकि मंदिर में हमने जो देखा उसे देख लगा कि अल्प संख्यकों का वोट कांग्रेस को नहीं आम आदमी पार्टी को मिल सकता है। ये सच भाजपा और कांग्रेस के लोग शायद ही हजम कर सकें लेकिन सच तो सच है। सच कड़वा होता है ये भी हरियाणा अब तक के पाठकों को पता है। 
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