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हरियाणा की सड़कों पर अवैध कट तुरंत बंद किये जाएँ- मूलचंद शर्मा

Mool Chand Sharma presiding over a meeting of State Road Safety Council
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चण्डीगढ़, 31 दिसंबर- हरियाणा के परिवहन मंत्री  मूलचंद शर्मा ने कहा कि सडक़ सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है। इसके लिए जरूरी है कि जहां भी आवश्यक हो वहां गति-सीमा व ट्रॉमा केयर आदि से संबंधित साइनेज बोर्ड इस तरह से लगाए जाएं कि वे दूर से साफ दिखाई दें। उन्होंने कहा कि जगह-जगह साइनेज लगाकर लोगों को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को उपचार के लिए कहां जाना है या कहां ले जाया जा सकता है ताकि उन्हें समय पर प्राथमिक उपचार जल्द से जल्द मिल सके। इसके अलावा, उन्होंने अवैध रोड कट तुरंत बंद करने के भी निर्देश दिए हैं।  उन्होंने प्रदेशवासियों को नव वर्ष की बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना भी की है।

परिवहन मंत्री आज यहां राज्य सडक़ सुरक्षा परिषद की बैठक में उपस्थित अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान 9 जुलाई, 2019 को हुई परिषद की पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों पर सभी हितधारक विभागों द्वारा की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।

श्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि कई स्थानों पर  बिल्कुल छोटे-छोटे साइनेज बोर्ड से  वाहन चालकों को आगे निकलने के बाद ही इनका पता चलता है। इससे वे रॉन्ग साइड में ही अपने वाहनों को पीछे की तरफ ले जाते हैं जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष के दौरान सडक़ दुर्घटनाओं में हताहत होने वाले व्यक्तियों की संख्या में बेहद कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम के अधिकारियों को केएमपी पर साइनेज और रिफ्लेक्टर लगाने के निर्देश देते हुए कहा कि इस एक्सप्रेस वे पर हो रही दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए हरसंभव उपाय किए जाएं। राजमार्गों के साथ लगते सभी महत्वपूर्ण अस्पतालों में ट्रॉमा केयर सुविधाओं का प्रावधान किया जाए।

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को प्राइवेट एंबुलेंस का डाटा लीड एजेंसी को उपलब्ध करवाने के निर्देश देते हुए कहा कि एंबुलेंस का स्टेंडर्ड फॉरमेट और डेटा बैंक होना चाहिए। इसके अलावा, एंबुलेंस की मैपिंग भी की जाए। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटर द्वारा लेवल-1 सेवाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए इसलिए इनके द्वारा दी जा रही सेवाओं की समय-समय पर जांच की जाए और निजी अस्पतालों की मैपिंग भी की जाए। उन्होंने कहा कि इस समय दुर्घटनास्थल पर एंबुलेंस पहुंचने का औसत समय 7 मिनट है जो मैपिंग के बाद 3 मिनट हो जाएगा।

श्री मूलचंद शर्मा ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सडक़ दुर्घटनाओं और इनके कारण होने वाली हादसों की संख्या कम करने के लिए राज्य व जिला स्तर पर प्रभावी प्रशासकीय तंत्र की स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ओवरलोडिड वाहन सडक़ दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण हैं और इस समस्या से निजात दिलाने में पुलिस, परिवहन और खान एवं भू-विज्ञान विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने इन तीनों विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि ओवरलोडिंग का प्रभावी समाधान तलाशा जाए और खनन सामग्री ढोने वाले वाहनों को स्वीकृत भार-सीमा के अंदर होने पर ही बिल जारी किया जाए।

परिवहन मंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य सडक़ सुरक्षा परिषद की बैठक तीन महीने में कम से कम एक बार अवश्य करवाई जाए। साइनेज और रोड मार्किंग के लिए जिला स्तरीय सडक़  सुरक्षा परिषद को आंकड़े उपलब्ध करवाए जाएं। बैठक में सुझाव दिया गया कि ब्लैक स्पॉट की पहचान हेतु सर्वे के लिए सक्षम युवाओं की सेवाएं ली जा सकती हैं। इसी तरह, यह भी सुझाव दिया गया कि नया दुपहिया वाहन लेने वाले व्यक्ति के लिए आरसी बनवाने से पहले हेल्मेट खरीद की रसीद दिखानी अनिवार्य की जाए।

इस दौरान बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा मोटर वाहन अधिनियम की धारा 135 के तहत सडक़ दुर्घटनाओं के कारणों के अध्ययन और विश्लेषण के साथ-साथ राजमार्गों पर यातायात सहायता चौकियां स्थापित करने, राजमार्गों के साथ-साथ ट्रक पार्किंग कॉम्प्लेक्स उपलब्ध करवाने तथा जनसाधारण की सुरक्षा और सुविधा के लिए अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से एक योजना बनाई जा रही है।

हरियाणा विजन जीरो के तहत राज्य सरकार द्वारा अंतरिम पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने से पहले राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा 223 स्थानों पर ऑडिट करवाया गया था। बैठक में निर्देश दिए गए कि लीड एजेंसी द्वारा ऐसे रोड सैगमेंट की पहचान की जाए जहां बार-बार सडक़ दुर्घटनाएं होती हैं ताकि ऐसे रोड सैगमेंट का रोड सेफ्टी ऑडिट करवाया जा सके। बैठक में प्रदेश में ऐसे सभी जंक्शनों की पहचान करने के निर्देश दिए गए जहां प्रमुख जिला सडक़ों, राज्य राजमार्गों और राष्ट्रीय राजमार्गों से मिलने वाली ग्रामीण सडक़ों समेत छोटे मार्ग बड़े मार्गों से मिलते हैं।

बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में लगे सभी परिवहन वाहनों में बच्चों के बैठने की क्षमता सुनिश्चित की जाए। ऐसी बसों में बैठने की क्षमता भी दिखाई जानी चाहिए। इस दौरान बताया गया कि वर्ष 2019 के दौरान सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का उल्लंघन करने वाली 7760 स्कूल बसों के चालान किए गए। इसके अलावा, कम आयु के बच्चों द्वारा ड्राइविंग रोकने के संबंध में निर्देश दिए गए कि कम आयु के बच्चों द्वारा ड्राइविंग रोकने के लिए सभी जिलों, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित आधार पर आवश्यक कदम उठाएं जाने चाहिए। बैठक में बताया गया कि इस वर्ष के दौरान अंडर एज ड्राइविंग के संबंध में 2390 चालान किए गए। इसके अलावा, गांवों और अर्ध-शहरी इलाकों में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर रिफ्लेक्टर व रिफ्लेक्टिंग टेप लगाने के भी निर्देश दिए गए।
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