नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन क़ानून राज्यसभा में 11 दिसंबर को पास हुआ था लेकिन हिंसक प्रदर्शन 15 दिसंबर के बाद शुरू हुए। इन चार दिनों में क्या हो रहा था? क्या कोई साजिश रची जा रही थी? क्या कोई प्लान बनाया जा रहा था? रचे गए प्लान की अब परतें खुलने लगीं हैं। इस कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा हिंसक प्रदर्शन हुए। शुक्रवार को एक साथ जुमे की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन शुरू हुए उसके एक दिन पहले लखनऊ से हिंसक प्रदर्शन की शुरुआत की गई थी।
पुलिस के मुताबिक दिल्ली में जामिया मिल्लिया में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद ही लखनऊ में भी ऐसा ही धरना करने का खाका खींचा जा चुका था। प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने की तैयारी में जुटे पीएफआई ने दूसरे राज्यों के लोगों को बुलाया था। इसके लिए अन्य राज्यों के साथ ही कश्मीर से भी सेना पर पत्थरबाजी करने में माहिर लोगों को भी बुलाया गया था। पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया है कि उन्हें पुराने लखनऊ व कई हॉस्टल में ठहराया गया था। उन्हें हजरतगंज तक पहुंचने और हिंसा फैलाने के बाद वहां से वापस निकलने के रास्तों की जानकारी भी गिरफ्तार किए गए पीएफआई के पदाधिकारियों ने दी थी। उत्तर प्रदेश में पश्चिम बंगाल के पत्थरबाजों के बुलाने की बात कई दिन पहले सामने आ चुकी है।
हिंसक प्रदर्शन में शामिल हुए यह पत्थरबाज चेहरे पर नकाब बांधे हुए थे। पुलिस ने ऐसे करीब एक सौ चेहरों की पहचान की है जो आगजनी और तोड़फोड़ में लिप्त थे। अब इनको प्रशासन की ओर से सरकारी सम्पत्ति के नुकसान की भरपाई की नोटिस थमाए जाने की तैयारी है।
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