नई दिल्ली: बेटी की शादी में कन्यादान की पूरी राशि एक सामाजिक संस्था को दान करने के बाद देश भर में सुर्ख़ियों में रहे हरियाणा के पुलिस अधिकारी राजेश चेची फिर सुर्ख़ियों में हैं। राजेश चेची उस समय फरीदाबाद क्राइम ब्रांच के एसीपी थे लेकिन वर्तमान समय में वो सिरसा के डीएसपी हैं। हाल में दिल्ली पुलिस और वकीलों में हिंसक झड़प हुई थी और दो नवम्बर के बाद जिस तरह वकीलों और पुलिस के बीच कलह बढ़ी उसे लेकर देश भर में वकील और पुलिस दोनों पर सवाल उठाये जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर इन दिनों पुलिस और वकील के जोक्स की ही भरमार है।
अब ऐसे समय में हरियाणा के डीएसपी राजेश चेची के फेसबुक पोस्ट ने एक तरह से तहलका मचा दिया है। उन्होंने अपने फेज पर लिखा कि मित्रों क्षमा चाहूंगा पर मैं भी एक पुलिस वाला हूँ। आज भारत में कोई चाहे वकील हो, पुलिस वाला हो या कोई अन्य काम करने वाला पर कितने है जो किसी गरीब या लाचार की वेदना समझते है।
ऐसा नहीं हैं कि 130 करोड़ इंसानों वाला पूरा देश ही इंसानियत रहित हो गया पर इंसानियत लुप्त प्रायः जरूर है जी।
न्याय मांगने का अधिकार सिर्फ उन लोगो को होना चाहिए जो खुद न्याय करते हों😊
मेरी बातें बहुतों को कड़वी लगेगीं। पर आम आदमी के नज़रिए से देखें तो महसूस होगा कि
पहली बार जनता ने देखा खाकी में खौफ
वरना आम जन ने हमेशा झेला ही है खाकी का खौफ।
क्या हम सब (खास तौर पर पुलिस) को अपने भीतर नहीं झांकना चाहिए कि :-
*क्या हम रिश्वतखोर तो नहीं हैं ?
* हम में कितने हैं जिन्होंने FIR दर्ज करने से पहले अपना उल्लू सीधा करने तक चक्कर नहीं कटवाए ?
* क्या हम कई बार अपराधियों को पकड़ने में अकारण विलंब नहीं करते हैं?
* कितने हैं जो अपने एरिया के नशा या शराब बेचने वालों, जुआ-सट्टा वालों आदि से हफ्ता या मंथली नहीं वसूलते??
* कितनो के पास अवैध सम्पत्तियां नहीं होंगी?
*हम में से कितने होंगे जो इलाके के बदमाशों से मेल मिलाप में रहते होंगे?
अपनी असली सम्पत्तियां घोषित क्यो नही करते?
ट्रॅफिक पुलिस चेकिंग के नाम पर डरा धमकाकर रोज़ कितनी उगाही करती है? खास तौर पर कॉमर्शियल वाहनों से।
गरीब रेहड़ी पटरी वालो से हमारा व्यवहार सब को ज्ञात है?
ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए क्या क्या किया जाता है सब जानते हैं?
प्रभावशाली आदमी की तुरन्त FIR होती है और प्रायः अपराधी भी जल्द पकड़े जाने का प्रयास होता है पर आम जन का क्या हाल करते हो?
इस लिए हम पहले अपनी गिरेबान में झांके फिर कुछ बोलें।
आज वकीलों ने पीटा तो बवाल जब रोज़ किसी लाचार पर ऐसा हम में से कोई करता है तब न्याय कहा जाता है जी?
कुछ बहुत लाज़वाब अफसर भी हैं कृपया वो दिल पर ना लें। क्योंकि लोगों में सारी खाकी के प्रति एक जैसी धारणा है फिर उसे पहनने वाला कितना भी पुण्य आत्मा क्यों न हो। एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है पर जब 90% क्या 99 % मछलियां........ 😳
हमें भी सोच बदलनी होगी कि हम अपने भीतर सेवा भाव जगाएं।
इस पोस्ट पर लोग उनकी तारीफ़ कर रहे हैं। लोगों का कहना है सच लिखने का साहस बहुत कम लोग कर पाते हैं। डीएसपी साहब में जो लिखा है सच लिखा है। लोग उन्हें सलाम ठोंक रहे हैं।
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