चंडीगढ़- इसी महीने कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधायक दल के नेता बनाये गए और जिस समय दोनों नेताओं को कांग्रेस की कमान मिली उसी दिन से हरियाणा में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ने लगा। कांग्रेस के बढ़ते ग्राफ को देख सत्ताधारी भाजपा उतनी परेशान नहीं हुई जितने हरियाणा के कई कांग्रेसी परेशान हो गए और उन्हें लगने लगा कि कांग्रेस हरियाणा में फिर सरकार बना सकती है और फिर हरियाणा कांग्रेस के सीएम बनने का ख्वाब देखने वाले 7 नेताओं में से कई नेता भाजपा को छोड़ अपनी ही पार्टी पर हमला करने लगे और आज 27 सितम्बर की अभी की शाम तक कांग्रेस वहीं पहुँच चुकी है जहाँ 2014 विधानसभा चुनावों की हार के बाद थी। आपस में ही कांग्रेसी एक दूसरे को ताने मार रहे हैं।
हरियाणा अब तक के पास दिल्ली और चंडीगढ़ से आज 27 अक्टूबर की शाम की रिपोर्ट ये हैं कि अब भी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर, पूर्व सीएलपी किरण चौधरी व पूर्व मंत्री एवं प्रचार समिति के चेयरमैन कैप्टन अजय यादव की राहें जुदा हैं। कुलदीप बिश्नोई ने भी हुड्डा से नजदीकियां बढ़ाई हैं। एआईसीसी मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला तो हुड्डा और सैलजा के साथ एक मंच पर आ गए हैं, लेकिन बाकी नेता अभी दूरी बनाए हुए हैं।
तंवर पर हाईकमान की भी एक नहीं चल रही। आचार संहिता लगने से ठीक पहले बदले गए पूर्व प्रदेशाध्यक्ष तंवर सीधे-सीधे हुड्डा पर हमलावर हैं। वह सार्वजनिक मंचों से भी पूर्व सीएम पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं चूक रहे, जिससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तंवर को मनाने की कोशिश कर चुकी हैं, बावजूद इसके तंवर की नाराजगी बरकरार है।
अगर सभी बड़े नेता एकजुट न हुए तो कांग्रेस को भाजपा से लोहा लेना आसान नहीं होगा। किरण चौधरी भी हुड्डा की कई घोषणाओं को घोषणा पत्र में शामिल करने से इंकार कर चुकी हैं, जिसमें सबसे बड़ी घोषणा चार डिप्टी सीएम की है। इस पर भी हुड्डा और किरण में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस की हालत और ख़राब होगी। कोई कांग्रेसी सोनिया गांधी मुर्दाबाद तो कोई राहुल मुर्दाबाद तो कोई हुड्डा और सैलजा मुर्दाबाद के नारे लगते दिख सकता है। ये अब आपस में ही लड़ेंगे। कांग्रेस का हाल बेहाल हो सकता है। प्रदेश में फिर भाजपा सरकार बन सकती है। भाजपा सरकार बनने के बाद हरियाणा के सभी कांग्रेसी एक साथ हो जायेंगे और ईवीएम पकड़कर रोयेंगे और कहेंगे सब कुछ ईवीएम के कारण हुआ। काश ये अब भी संभल जाते? अपनी कमी को समझ पाते? अब जब ये 24 अक्टूबर को ईवीएम पर सवाल उठाएंगे तो लोग इन पर फिर हँसेंगे।
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