कुरुक्षेत्र राकेश शर्मा : जो भी प्राणी इस धरा पर आया आया है चाहे मानुस हो या फिर जानवर माँ की ममता के आँचल के नीचे ही पला बढ़ा है। जीवन में अनेक प्रकार की कठिनाई को पार करते हुए वह बढ़ता चला जाता है ओर इन सब के पीछे होता है माँ की ममता जो उसका पग पग साथ देती है।कुछ ऐसी ही माँ की ममता को चिरतार्थ करती हुई एक ऐसी ही झलक सामने आई जिसमे एक बंदरी अपने बच्चे को लेकर उसके लिए खाने की तलाश कर रही थी। पेट की आग को बुझाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर निकल जाना शायद ये ही एक जरिया है पेट भरने का। जहाँ मानुस को अपना ओर अपने परिवार का पेट भरने की चिंता है वही पशु पक्षियों को भी अपना ओर अपने परिवार का पेट भरने की चिंता सताती रहती है ।
मानुस से लेकर पशु पक्षियों तक जगहाजिर है माँ की ममता-
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