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अपनी पार्टी के नेताओं, अपने परिवार से लड़ रहे हैं विपक्षी, अब आसानी से खिलेगा हरियाणा में कमल

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नई दिल्ली/ चंडीगढ़/ फरीदाबाद 25 जुलाई: मानसून काफी पहले हरियाणा पहुँच चुका है लेकिन समूचे हरियाणा में अब भी मानसून की तेज बौछारें उस तरह से नहीं दिख रहीं हैं जिस तरह से हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तैयारियां चल रहीं हैं। जजपा के दुष्यंत चौटाला जमकर पसीना बहा रहे हैं लेकिन हरियाणा अब तक अपने सूत्रों की बात करे तो दुष्यंत के पास लगभग 50  विधानसभा सीटों पर ठोस उम्मीदवार नहीं हैं। भाजपा के उन नेताओं पर जजपा की नजर है जिन्हे भाजपा टिकट नहीं देगी और यही हाल दुष्यंत के चाचा अभय चौटाला की भी है और उनके पास अब 60 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं ,अधिकतर विधायक चश्मा फेंक भाग चुके हैं और उनकी भी नजर उन नेताओं पर है जिन्हे कांग्रेस या भाजपा टिकट नहीं देगी और बसपा और लोसपा का और बुरा हाल है। 

बसपा के पास प्रदेश में नेताओं का अभाव है तो राजकुमार सैनी के पास 80 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं। दो-चार विधानसभा सीटों पर ही उनकी पकड़ दिख रही है लेकिन वहां भी जीत मुमकिन नहीं है। दूसरे या तीसरे नंबर पर उनके उम्मीदवार रह सकते हैं। आम आदमी पार्टी की बात करें तो आज पार्टी में हरियाणा में बगावत की खबरें हैं। प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद के पंडित लिखने पर ये बगावत शुरू हुई है। नवीन जयहिंद ने फरीदाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था और उस दौरान उनके नाम के आगे पंडित लिखा देख अम्बाला के आप नेता योगेश्‍वर शर्मा ने उन पर  सवाल उठाया है। एक प्रेस वार्ता कर शर्मा ने कहा कि खुद की जाति हिंदुस्तान का नारा देने वाले नवीन जयहिंद ने लोकसभा चुनावों के दौरान पंडि़त नवीन जयहिंद लिखना शुरू कर जातिवाद को बढ़ावा दिया है। आप भी अब ?? 

बात करें हरियाणा कांग्रेस की तो कांग्रेस का वही हाल अब भी है जो  2014 विधानसभा चुनावों के बाद था और अब उससे भी बदतर हाल होता जा रहा है। भाजपा मिशन 75 पर जमीनी स्तर पर काम करती दिख रही है। जल्द हरियाणा में सीएम एक रथ यात्रा शुरू करते वाले हैं तो गृह मंत्री से लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और खुद पीएम नरेंद्र मोदी हरियाणा में देखे जाएंगे। प्रदेश की लगभग 50 विधानसभा क्षेत्रों पर कांग्रेस इस समय खामोश दिख रही है जो कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। कांग्रेसी कार्यकर्ता भी अपने नेताओं की करनी से बहुत दुखी हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। यही हाल रहा तो जल्द हरियाणा के सैकड़ों कांग्रेसी कार्यकर्त्ता भाजपा में भर्ती हो जाएंगे। 

हरियाणा अब तक के पाठकों को पता होगा कि  लगभग डेढ़ साल पहले हरियाणा में भाजपा बहुत कमजोर थी और उस समय चुनाव होते तो भाजपा की सरकार बननी मुश्किल थी। उस समय हम खट्टर सरकार को जमकर लपेटते थे क्यू कि उस समय खट्टर सरकार ढोंग ढकोसले ज्यादा कर रही थी। हमारे लपेटने के बाद खट्टर सरकार ने खुद को बहुत सुधारा और अब उनका बेहाल हाल ठीक है। जैसा हम उस समय खट्टर सर्कार के बारे में लिखते थे वैसा अगर हम कांग्रेस या अन्य पार्टियों के बारे में लिखते हैं तो ये पार्टियां खुद को नहीं सुधारतीं, हमारे ऊपर ही अटैक करने लगती हैं। जो हमारे पुराने पाठक हैं उन्होंने देखा होगा कि हमने सीएम और उनके कई बड़े मंत्रियों को लपेटा लेकिन किसी ने कोई आवाज नहीं उठाया और खुद में सुधार लाने का प्रयास किया और सुधर भी गए। कांग्रेस को भी सुधरने की जरूरत है। आइना दिखाने पर भड़कते रहेंगे तो हाल और बेहाल होता चला जायेगा। आपकी गाड़ी का पहिया पंचर है, कोई आपको बताये तो उस पर दाना-पानी लेकर न चढ़ें, गाड़ी रोक कर स्टेपनी चेंज करें या पंचर बनवाएं वरना गाड़ी ज्यादा दूर तक शायद ही जा सके। 

एक बहुत कड़वा सच ये भी है कि हरियाणा के विकास के लिए हरियाणा के विपक्ष का मजबूत होना बहुत जरूरी है क्यू कि प्रदेश में सैकड़ों तरह के गलत धंधे और ज्यादा फलने फूलने लगे हैं लेकिन विपक्ष कमजोर है इसलिए कोई आवाज नहीं उठा रहा है। सत्ता के नशे में कई मदमस्त हाथी रूपी नेता  मस्त होकर चल रहे हैं। 
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