चंडीगढ़, 30 जून- हरियाणा की नवनियुक्त मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने आज अपना पदभार ग्रहण कर लिया है। गौरतलब है कि श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा के पिता प्रोफेसर जे.सी आनन्द पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे थे और उनकी बड़ी बहन श्रीमती मीनाक्षी आनन्द चौधरी 1969 बैच की आईएएस अधिकारी रही है और वे 8 नवम्बर, 2005 से 30 अप्रैल, 2006 के बीच मुख्य सचिव के पद पर रही हैं । इसी प्रकार, उनकी दूसरी बहन श्रीमती उर्वशी गुलाटी भी 1975 बैच की आईएएस अधिकारी रहीं है और वे 31 अक्तूबर, 2009 से 31 मार्च, 2012 के बीच मुख्य सचिव के पद पर विराजमान रहीं हैं। श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा हरियाणा की 33वीं मुख्य सचिव बनी है।
उन्होंने मुख्य सचिव पद ग्रहण करने उपरान्त कहा कि उन्हें आज खुशी है कि उनके माता-पिता के आर्शीवाद से वे इस पद पर विराजमान हुई है, जिस पर उनकी दोनों बड़ी बहनें श्रीमती मीनाक्षी आनन्द चौधरी व श्रीमती उर्वशी गुलाटी रहीं थी। उन्होंने कहा कि वे इस पद पर रहते हुए हरियाणा सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रहीं सभी महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने में अपना पूरा प्रयास करेंगी ताकि राज्य का सतत व समग्र विकास हो सके। इस मौके पर सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्री विजेन्द्रा सिंह, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव श्री नीतिन यादव और सूचना जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक श्री समीर पाल सरो सहित राज्य सरकार के वरिष्ठï अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा हरियाणा कैडर की 1983 बैच की टॉपर आईएएस अधिकारी हैं। वह एम.ए. (राजनीति विज्ञान) और एम. फील बैच की टॉपर भी टॉपर हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी सिडनी विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की है। हरियाणा राज्य के गठन के बाद से उन्हें हरियाणा की पहली महिला उपायुक्त नियुक्त होने का गौरव प्राप्त है और वे यमुनानगर की उपायुक्त के पद पर 16 अप्रैल, 1990 से लेकर 1 जुलाई,1991 तक रहीं। उन्होंने जिले में स्वैच्छिक संगठनों द्वारा वयस्क साक्षरता के कार्यान्वयन और मंडल आयोग के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने विशेष सचिव, उद्योग और गृह विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक के रूप में कार्य किया है। इसके अलावा, निदेशक, खाद्य और आपूर्ति; निदेशक, ग्रामीण विकास; निदेशक, आपूर्ति एवं निपटान और संस्थागत वित्त तथा क्रेडिट नियंत्रण इत्यादि के साथ-साथ कई प्रतिष्ठित निगमों के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया है जिसमें हरियाणा फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन, हरियाणा टूरिज्म कॉर्पोरेशन और हॉरट्रोन शामिल हैं। उन्होंने हॉरट्रोन के मैनेजिंग डायरेक्टर रहते हुए एनईजीपी के अन्तर्गत हरियाणा स्वान के लिए विस्तृत परियोजना की संकल्पना की और उसे अंतिम रूप दिया। हरियाणा, भारत में स्वान योजना को लागू करने वाला पहला राज्य था।
उन्होंने हरियाणा सरकार पर्यटन और आवास, वन और वन्य जीव विभाग, परिवहन और नागरिक उड्डयन विभाग में प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया और पर्यटन विभाग में प्रधान सचिव रहते हुए उन्होंने हरियाणा पर्यटन के कमरों की ऑनलाइन बुकिंग गेटवे की सुविधा की की शुरूआत की जिसे अन्य राज्यों / केंद्र सरकार के संगठनों द्वारा अपनाया गया था।
उन्होंने भारत सरकार के साथ उप-महानिदेशक, यूआईडीएआई, क्षेत्रीय कार्यालय, चंडीगढ़ के रूप में भी काम किया, जिसमें उन्होंने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ (यूटी), हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर राज्यों में आधार और आधार अनुप्रयोगों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें विशेष रूप से मनरेगा के पायलट और जन्म के समय आधार और एलपीजी के साथ आधार को जोडऩा शामिल है। उन्होंने उत्तरी क्षेत्र में लाभार्थियों के डेटाबेस में आधार नामांकन और आधार सीडिंग को तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने मनरेगा योजना में आधार आधारित डीबीटी से जोडऩा, विभिन्न छात्रवृत्ति और सामाजिक कल्याण पेंशन और अन्य डीबीटी योजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। आधार आधारित डी-डुप्लीकेशन लाभार्थियों के कारण राज्य को करोड़ों रुपये की बचत हो सकती है।
उन्होंने हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव, हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड भिवानी का अध्यक्ष और हरियाणा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (हॉरट्रोन) के अध्यक्ष केे रूप में कार्य किया है। वे सीधे तौर पर स्कूल के शिक्षकों के लिए ऑनलाइन शिक्षक स्थानांतरण नीति तैयार करने में जुड़ी थीं। यह देश में अपनी तरह की पहली पहल थी जिसे हरियाणा में लागू किया गया और कई राज्यों/केंद्रीय संगठनों ने इस पहल को दोहराया।
उन्होंने हरियाणा सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आई.टी. विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में भी काम किया। उन्होंने ई-जिला परियोजना हरियाणा के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित किया, जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारत के साथ कुछ अन्य राज्यों के साथ नंबर वन के रूप में स्थान दिया गया था।
हरियाणा सरकार के राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त के रूप में उन्होंने कई नवीनतम ई-गवर्नेंस परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया है जिनमें ई-पंजीकरण में फस्र्ट-इन-फस्र्ट आउट, अनिवार्य ई-स्टैम्पिंग, ऑनलाइन पैन सत्यापन,राज्य में क्लाउड आधारित वेब-हैलरिस और डीड-रजिस्टेे्रशन के लिए हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्र विनियमन अधिनियम, 1975 के धारा-7 ए के तहत एनओसी जारी करना शामिल है। इन ई-गवर्नेंस पहलों के कार्यान्वयन और निगरानी सेे राज्य को वर्ष 2018-19 में पंजीकरण शुल्क और स्टांप शुल्क के रूप में 5679.45 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जोकि वर्ष 2017-18 से 1414.27 करोड़ रुपये से 33 प्रतिशत अधिक रहे और हरियाणा के इतिहास में यह राशि रुपये के संग्रह में उच्चतम थी।
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