नई दिल्ली: दोस्ती भी अब कलयुगी होती जा रही है। दोस्ती पर कलयुग का असर देखा जा रहा है। जब दोस्ती होती है तो खूब कसमें खाई जाती हैं। वायदे किये जाते हैं लेकिन बहुत जल्द दोस्त एक दूसरे के जानी दुश्मन बन बैठते हैं। बड़े बड़े काण्ड भी हो चुके हैं। आज बाते कर रहे हैं राजनीतिक दोस्ती की तो ये दोस्ती तो अब पूरी तरह कलयुग के रंग में ढल चुकी है। तमाम पार्टियों के नेता एक दूसरी से गठबंधन करते हैं लेकिन इनके मुँह में राम बगल में छूरी होती है। कहा जाता है सच्ची दोस्ती में दोस्त से कुछ माँगा नहीं जाता है। दोस्त बिन मांगे बहुत कुछ दे देता है लेकिन हाल में देखा गया कि मंत्रिमंडल में सिर्फ एक ही सांसद को मंत्री बनाने के बाद एनडीए के दोस्त नितीश कुमार खफा हो गए।
अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश की जहाँ माया और अखिलेश की दोस्ती लगभग टूट गई। चुनाव परिणाम आने के बाद दो हफ्ते तक भी ये दोस्ती नहीं चली। कहा जा रहा है कि मायावती अखिलेश पर भारी पड़ीं। जीरो से 10 सीट पर आ गईं तब भी उन्हें सपा से दोस्ती रास नहीं आई। जितने मुँह उतनी बातें। कहा ये भी जा रहा है कि अगर सभी सीटों पर मायावती ने टिकट दिया होता तो माल ज्यादा आता। अब उन्हें पछतावा हो रहा है। कहा ये भी जा रहा है कि अखिलेश ने माया से वादा किया था कि पीएम बहन जी बनेंगी सीएम मैं और अब पीएम मोदी बन गए और उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनावों में अखिलेश को सीएम के रूप में नहीं देखना चाहतीं इसलिए उन्होंने पाला बदल लिया और अब वो खुद को सीएम के रूप में पेश करेंगी।
मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने एक ट्वीट किया है जिसमे उन्होंने लिखा है कि बहुत दुःख हुआ जानकर आज #Mayawati ji का रूख #SamajwadiParty के लिए शास्त्र में कहा गया है जो सम्मान पचाना नहीं जानता वो अपमान भी नहीं पचा पाता।
ट्वीट के नीचे कुछ कमेंट्स पढ़ आप बहुत कुछ समझ जायेंगे।
सब से बड़ा नुकसान समाजवादी पार्टी का हुआ है। नेताजी ने पहले ही विरोध किया लेकिन अखिलेश नही माने। मुस्लिम वोटर BSP की तरफ फिर से आकृष्ट हुआ है और यादव वोट में फुट है। वो 0 से 10 तक गयी फिर भी समाजवादी पार्टी को कोस रही है। स्वार्थ के लिए किए ठगबंधन का यही हाल होना था।— Pritam Kothadiya (@pritamkothadiya) June 3, 2019
भाभीजी दरअसल मायावती को आज एहसास हुआ कि अगर गठबंधन न हुआ होता तो 80 की 80 सीटें बेची जा सकतीं थीं...— BamBam Yadav (@yadavbambam1) June 4, 2019
मायावती का इतिहास रहा है दुसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढना और फिर धोखा देना! ये तो अखिलेश जी को गठबंधन के समय सोचना चाहिये था की किसे सहारा दे रहे हैं?— Ved Prakash Tiwari (@VedPrak80) June 4, 2019
भाभी जी सबसे बड़ा दुःख तो इस बात का है कि अखिलेश भाई जी ने अपने पिता जी को हासिये पर रखकर माया के चरणों में सबकुछ झुका दिया और अंत में यादवों को अपमान ही मिला। सपा की वजह से ही मायावती 0 से 10 पर आ गयी और bsp का ही वोट sp को नही मिला जो 5 पर सिमट गई।— Pankaj Gupta (@PankajG43191661) June 4, 2019
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