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रोहित वेमुला और अख़लाक़ याद है तो 1984 का सिख दंगा क्यू भूल गए राहुल गांधी?

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नई दिल्ली: मुद्दाविहीन विपक्षी नेताओं के दिमाग जब खाली रहते हैं तो वो कुछ ऐसे मुद्दे खोजते हैं जिससे वो सरकार को घेर सकें लेकिन कभी कभी इन नेताओं द्वारा उठाये गए पुराने मुद्दे इन पर ही भारी पड़ जाते हैं। अपनी ताकापोशी का इन्तजार कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अच्छी तरह जानते हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है इसलिए वो पुराने मुद्दों को खोजकर अपने राजनीतिक थैले में भर रहे हैं ताकि वो समय समय पर अपने थैले से इन मुद्दों को निकालकर सरकार को घेर सकें। अब कांग्रेस उपाध्यक्ष को रोहित वेमुला, अख़लाक़ मर्डर याद आ गया है और कल उन्होंने इन मुद्दों पर फिर मोदी सरकार को आड़े लिया। राहुल गांधी ने कहा कि आज देश में जो कुछ हो रहा है वह प्रधानमंत्री, ब्यूरोक्रेट्स और आरएसएस के द्वारा लोकतंत्र को गिरफ्त में लेनी की कोशिश है।

 राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है जिसमे लिखा है कि हिटलर ने कहा था कि सच पर इतनी मजबूत पकड़ बनाओ कि कभी भी उसका गला घोंट सको। आज हमारे आसपास भी वैसा ही हो रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष कल  सिद्धारमैया सरकार के 'Quest for Equity' इवेंट में शामिल होने के लिए राहुल कर्नाटक पहुंचे थे। राहुल गांधी के ट्वीट के बाद लोग उन्हें याद दिला रहे हैं कि देश में अख़लाक़ और रोहित वेमुला के अलांवा भी हत्याएं होती हैं उन हत्याओं पर मातम मनाने क्यू नहीं जाते हैं। उनके ट्वीट पर कमेंट्स करते हुए लोगों के उनने पूंछा है 1984 का सिख दंगा किसकी सरकार के समय में हुआ था। लोगों का कहना है देश आगे बढ़ रहा है और कांग्रेस अब तक जाति धर्म की राजनीति कर खुद को धकेलती जा रही है। 

ये पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी सोशल मीडिया का निशाना बने हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष अपने हर बयान और ट्वीट के बाद सोशल मीडिया का निशाना बनते देखे जा सकते हैं। कांग्रेस अगर पीछे की तरफ जा रही है तो उसे पीछे ले जाने में सबसे बड़ी भूमिका कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की है। कभी आलू की फैक्टी, कभी नारियल का जूस तो कभी कुर्ते की फटी जेब दिखाने के कारण वो निशाना बन जाते हैं। 
2019 की बात करें तो कहा जा रहा है कांग्रेस राहुल गांधी को किनारे कर सकती है। सोनिया गांधी खुद मोर्चा संभाल सकती हैं शायद यही वजह है कि अब तक राहुल की ताजपोशी नहीं हो सकी। सूत्रों की मानें तो आने वाले दो तीन महीनों में कांग्रेस राहुल की परीक्षा लेगी। अगर राहुल गांधी में इन दो-तीन महीनों में कुछ बदलाव देखा जाएगा तो उन्हें अध्यक्ष बना दिया जाएगा वरना अध्यक्ष की कुर्सी उनकी माँ सोनिया गांधी के पास ही रहेगी और उनके ही नेतृत्व में 2019 का चुनाव लड़ा जाएगा। 
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