इस अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान ने सभी जीवों की रचना की है। लेकिन सभी जीव केवल भोग भोगने के लिए इस भूलोक पर आते हैं जबकि केवल मनुष्य है जो अपने पापकर्मों का हिसाब सही कर मुक्ति पाने के लिए जन्म लेता है। भगवान की इतनी बड़ी कृपा को पाने के बाद भी मनुष्य यहां वहां पाप कर्म कमाए तो बहुत बुरी बात है।
गुरुजी ने कहा कि आप लोग यहां आते हैं और गुरु के दर्शन ज्ञान आदि को प्राप्त करते हैं तो उन्हें अपने जीवन में भी अपनाएं क्योंकि ऐसे ज्ञान का कोई फायदा नहीं है जो जीवन में उतारा न जा सके। उन्होंने कहा कि आज नववर्ष के प्रथम दिन यह संकल्प लें कि आप मनुष्यता वाले कर्म करेंगे। इसमें भी प्रेम एक ऐसा गुण है जिसे श्रेष्ठ बताया गया है। उन्होंने कहा कि जब मनुष्य प्रेम करता है तो खुशहाली आती है, लेकिन प्रेम के अभाव में दुख दरिद्र घृणा हिंसा आदि रोग पनपते हैं। यह आपको तय करना है कि आपको कहां रहना है।
इससे पहले उन्होंने श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम एवं समाधि स्थल पर पूजा अर्चना कर लोककल्याण के लिए प्रार्थना की। उन्होंने हजारों भक्तों को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया। जयपुर से आए भजन गायक लोकेश शर्मा ने अपने सुमधुर भजनों से सभी का मन मोह लिया। वहीं दिल्ली की मधुबन आर्ट टीम ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। केरल से आई मां बेटी विद्या एवं यामिनी की भरतनाट्यम एवं मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति ने विस्मित किया वहीं आश्रम के सेवादारों और गुरुकुल के बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी सराहना प्राप्त हुई।
इस अवसर पर आश्रम के बाहर दर्जनों स्टॉल्स पर भक्तों को विभिन्न प्रकार के प्रसाद प्राप्त हुए। पिछले तीन चार दिनों से आश्रम परिसर को रंगबिरंगी लडिय़ों से सजाया गया है जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है। गौरतलब है कि आश्रम में नववर्ष का पर्व संस्थापक स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज के समय से ही जोर शोर से मनाया जाता रहा है वहीं वर्तमान स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य के जन्मदिन होने से यहां देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहता है।
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