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विश्वविद्यालयों और उद्योग में निवेश जरूरी : दुष्यंत चौटाला

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पलवल, 13 अप्रैल। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला ने कहा कि विश्वविद्यालयों और उद्योग के बीच समन्वय बहुत जरूरी है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयास इस दिशा में आदर्श उदाहरण है। विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम और पढ़ाई के तौर-तरीकों में बदलाव कर उसे और अधिक व्यवहारिक बनाना होगा, ताकि सामाजिक उत्थान में उनकी भागीदारी बढ़े। ज्ञान आधारित शिक्षा लोगों के रोजमर्रा के व्यवहार में आए, ताकि वह उसे अपने व्यवसाय के रूप में अपना सकें।

दुष्यंत चौटाला गुरूवार को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के तत्वावधान में आयोजित आरपीएल पर आधारित एक दिवसीय कंसलटेटिव मीटिंग में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इसमें प्रदेश के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और उनके प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। श्री विश्वकर्मा कौशल विद्यालय पहुंचने पर कुलपति राज नेहरू ने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का भव्य स्वागत किया।

इस मौके पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रिकॉग्निशन ऑफ हायर लर्निंग (आरपीएल) की शुरुआत करने पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए दूसरे विश्वविद्यालयों को भी इसका अनुसरण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक कोर्स के अतिरिक्त पाठ्यक्रम को अब कौशल की ओर मोडऩा होगा, ताकि कोर्सों को रोजगारपरक बनाया जा सके। 

कौशल के माध्यम से जितना हम अर्जित करेंगे, उतना ही हम समाज और देश के लिए बेहतर काम कर पाएंगे। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रदेश सरकार की 9 नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को कौशल के माध्यम से इन योजनाओं के साथ जोड़ा जाए और सरकार पदमा योजना के अंतर्गत हर तरह की सहायता करने के लिए तैयार है।

हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बृजकिशोर कुठियाला ने आरपीएल की अवधारणा से लेकर उसके विकास का पूरा उल्लेख करते हुए इसे समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि समाज में सीखने और सिखाने की परंपरा का महत्व है और समाज अध्यापकों पर अटूट विश्वास रखता है। 

इसलिए शिक्षक वर्ग का यह कर्तव्य है कि वह अपने यहां आने वाले विद्यार्थियों को भविष्य के हिसाब से समाज और देश के लिए तैयार करे। 

शिक्षक समाज से साधन के रूप में बहुत कुछ प्राप्त करता है और उसके बदले में समाज को देना जरूरी है। आरपीएल इसका बड़ा माध्यम बन सकता है। वर्तमान में पूर्व ज्ञान और अनुभव को मान्यता देकर बदलाव लाया जा सकता है। 

प्राचीन ज्ञान परंपरा को वर्तमान ज्ञान के साथ जोडक़र हम समाज में बड़ी भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। प्रोफेसर बृजकिशोर कुठियाला ने प्रदेश के सभी कुलपतियों से आह्वान किया कि वह अपने विश्वविद्यालयों में ज्ञान एवं अनुभव आधारित विद्या को औपचारिक शिक्षा के साथ समन्वित करने की दिशा में कार्य करें। 

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की तर्ज पर सभी विश्वविद्यालयों में अलग-अलग क्षेत्रों में आरपीएल कोर्स शुरू किए जाएं। सभी विश्वविद्यालय इन कोर्स को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और प्रतिनिधियों ने इस विषय में अपनी सहमति दी कि एक नोडल अधिकारी नियुक्त करके आरपीएल पर एक ट्रेनिंग वर्कशॉप उच्च शिक्षा परिषद के माध्यम से आयोजित की जाए।

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय आरपीएल लागू करेंगे तो हम उनके लिए हर तरह के सहयोग के लिए तैयार हैं। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने आरपीएल के कई मानक और पाठ्यक्रम तैयार किए हैं। 

यह सब दूसरे विश्वविद्यालयों के लिए भी उपयोगी साबित होगा। कुलपति राज नेहरू ने प्रदेशभर से आए सभी कुलपतियों को आरपीएल की बारीकियों से अवगत करवाया और भविष्य में इसके उपयोग तथा फायदे भी बताए।

उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बृजकिशोर कुठियालय, उपाध्यक्ष कैलाशचंद शर्मा और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू ने मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया। 

इस मौके पर अन्य सभी कुलपतियों का भी सम्मान किया गया। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर का भ्रमण किया और विश्व स्तरीय खेल संसाधनों की सराहना की।

इस अवसर पर हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. कैलाश चंद शर्मा, श्री विश्वकर्मा कौशल विद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर आर एस राठौड़, डीन एकेडमिक प्रो. ज्योति राणा, चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक, गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश अग्रवाल, चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रणपाल, इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जे.पी. यादव, जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. तोमर, बी.आर. अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अर्चना मिश्रा, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के डीन प्रो. सुनील ढींगरा, प्रोफेसर संजय राठौड़,  संजय आनंद भी उपस्थित रहे।

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