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दूसरे राज्यों के अखबारों में सुर्खियां बनीं खट्टर सरकार की 8 वर्षों की उपलब्धियां

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चंडीगढ़, 12  दिसंबर - सरकारी योजनाओं व सेवाओं का लाभ कम से कम मानव हस्तक्षेप के सीधे लोगों को मिले इसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक बड़ी पहल करते हुए परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) की एक अनोखी योजना आरंभ की है जो शायद देश के किसी राज्य में नहीं है।परिवार के हर सदस्य का सटीक सत्यापित डाटा परिवार पहचान पत्र में उपलब्ध है। उत्तराखंड राज्य पहले ही हरियाणा की तर्ज पर परिवार पहचान पत्र बनाने की कार्य प्रणाली का  अध्ययन कर चुका है। अब जम्मू-कश्मीर ने भी इस योजना को अपनाने की पहल की है। इससे पूर्व भी हरियाणा की अध्यापक स्थानांतरण नीति का 6 राज्यों ने अध्ययन किया था और अब परिवार पहचान पत्र  की योजना का अध्यनन महाराष्ट्र व  उत्तराखंड राज्यों ने किया है। परिवार पहचान पत्र पर तो उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर के अखबारों ने लेख भी लिखे हैं।  

हरियाणा की इस अनूठी योजना का जम्मू-कश्मीर में भी स्वागत हुआ है और राज्य के हर परिवार को यूनिक आईडी देने की पहल की है और इस कड़ी में उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने गत दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की उपस्थिति में परिवारों का प्रामाणिक, सत्यापित और विश्वसनीय डाटाबेस तैयार करने के लिए डिजिटल जम्मू-कश्मीर दृष्टि पत्र जारी किया है। जिसके तहत हरेक परिवार को 'जेके फैमिली आईडी'नाम से एक अनूठा कोड दिया जायेगा।  कोड में हरियाणा की तरह अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर और गणित के अंक शामिल होंगे।  

मुख्यमंत्री ने इस कड़ी में प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के सुशासन के सपने को सही मायने में अंत्योदय के भाव के साथ साकार करने के लिए पिछले 8 वर्षों से घर-द्वार पर ही लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए आरंभ की गई व्यवस्था परिवर्तन की ऑनलाइन प्रणाली के परिणाम जमीनी स्तर पर देखने को मिल रहे हैं।  मुख्यमंत्री की इस पहल से हरियाणा सही मायनों में देश के समक्ष अंत्योदय का रोल मॉडल बनकर उभरा है और इस कड़ी में परिवार पहचान पत्र एक अहम दस्तावेज बना है। हरियाणा परिवार पहचान पत्र अधिनियम, 2021 के तहत सेवाओं व योजनाओं को परिवार पहचान पत्र के साथ जोड़ने के लिए अन्तोदय प्लेटफार्म पर आवेदन करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है

परिवार पहचान पत्र का उद्देश्य राज्य में रह रहे परिवारों के लिए एक व्यापक, विश्वसनीय तथा सटीक डाटाबेस तैयार करना है।  कोई भी परिवार जो वर्तमान में हरियाणा में रह रहा है, उसको परिवार पहचान पत्र में पंजीकरण करना अनिवार्य है।  स्थाई रूप से  रहने वाले परिवारों को 8  अंकों का पीपीपी जारी किया जायेगा। इसी प्रकार कोई परिवार हरियाणा से बाहर रह रहा है परंतु  राज्य की किसी सेवा या स्कीम के लिए आवेदन कर रहा है उसको भी पीपीपी में पंजीकरण करना होगा। ऐसे परिवारों को 9 अंकों का अस्थाई परिवार पहचान जारी की जाएगी जिसके ऊपर अंग्रेजी वर्णमाला का अक्षर T अंकित होगा।

आवेदन के लिए किसी अन्तोदय केंद्र, नागरिक सेवा केंद्र, ऑनलाइन वेबसाइट (https://meraparivar.haryana.gov.in) या पीपीपी ऑपरेटर पूरे राज्य में पीपीपी कार्य के लिए पंजीकृत ऑपरेटरों में से कोई पीपीपी ऑपरेटर से संपर्क  करें।  किसी भी प्रकार की त्रुटि दूर करने के लिए अतिरिक्त उपायुक्त या जिला नागरिक संसाधन सूचना प्रबंधक से संपर्क  करें।  

हरियाणा का परिवार पहचान पत्र 8 अंकों का तो उत्तराखंड बना रहा है 14 अंकों का

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का आधार कार्ड है 12 अंकों का

भारतीय नागरिकों की विशिष्ट पहचान के लिए केंद्र सरकार ने 12 अंकों के आधार कार्ड को अहम दस्तावेज बनाया है तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने  हरियाणा में अलग से नागरिक  संसाधन सूचना विभाग सृजित कर 8 अंकों का परिवार पहचान पत्र बनाया है जिसमें परिवार के हर सदस्य की एक-एक जानकारी उपलब्ध है। 8 अंकों में तीन नंबर अंग्रेजी वर्णमाला के हैं जबकि आधार में सभी नंबर गणित संख्यात्मक हैं। उत्तराखंड ने परिवार पहचान पत्र को 14 अंकों का बनवाने का निर्णय लिया है और यह कार्य नियोजन विभाग को सौंपा है।  

सीएम विंडो से परिवार पहचान पत्र तक का सफल सफर

सर्वप्रथम मुख्यमंत्री ने 25 दिसंबर, 2014 को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर सुशासन की पहल करते हुए सीएम विंडो की शुरुआत की थी।  जिसके तहत सभी जिलों के लघु सचिवालय में सीएम विंडो के काउंटर खोले गए। बाद में उपमंडल स्तर पर भी काउंटर खोले गए जिसका आलम यह हुआ कि  प्रदेश के लगभग 10 लाख 33 हजार से अधिक लोगों ने चंडीगढ़ आये बिना ही सीधे मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई और इस व्यवस्था के माध्यम से 9 लाख 44  हजार से अधिक शिकायतों, समस्याओं, सुझावों व मांगों का समाधान घर बैठे ही संभव हो पाया। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग में एकाएक ऑनलाइन अध्यापक स्थानांतरण नीति  लागू कर एक ही क्लिक से 75,000  से अधिक अध्यापकों का एक साथ स्थानांतरण करके देश भर में तहलका मचा दिया। यह उन लोगों पर करारी चोट थी जो स्थानांतरण को एक व्यवसाय बना चुके थे। साथ ही 90 प्रतिशत से अधिक अपने स्थानांतरण स्टेशन से संतुष्ट हुए। अब तो जिस विभाग में कर्मचारियों की संख्या 250 तक है उनके स्थानांतरण भी ऑनलाइन करने की प्रक्रिया जारी करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक सचिव को दिए हैं।

मुखिया को पता ही नहीं फिर भी समस्याओं का हो रहा है समाधान

सीएम विंडो के साथ- साथ मुख्यमंत्री का ट्विटर हैंडल आईटी सैव्वी आज की युवा पीढ़ी को खूब रास आ रहा है।  गली- मोहल्लों की समस्याओं को लेकर युवा मुख्यमंत्री के ट्विटर पर ट्वीट करते हैं और घर के मुखिया को पता ही नहीं होता कि किस प्रकार से समस्या का समाधान हुआ है। यहां तक कि  ऐसी-ऐसी समस्याओं का समाधान हुआ है जिनके बारे में लोगों ने आस ही छोड़ दी थी।  सीएम विंडो की तर्ज पर अब मुख्यमंत्री ने एक और पहल करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक अलग से प्रकोष्ठ बनाने का निर्णय लिया है जिसमें क्लास-1 श्रेणी के अधिकारियों द्वारा ग्राम सरंक्षण योजना के तहत गोद लिए गए गाँवों में हो रहे विकास कार्यों की मॉनिटरिंग व फीडबैक ली जाएगी जिसका विश्लेषण स्वयं मुख्यमंत्री अपने डैशबोर्ड पर करेंगे।  यह एक नई पहल होगी।

मुख्यमंत्री पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानकर योजनाएं बनाने पर दे रहे हैं जोर

आज दिन-प्रतिदिन बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को मुख्यमंत्री ने मानवता के लिए चुनौती माना है और पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानकर योजनाएं बनाने पर जोर दिया है। इसके लिए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों को  योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री की इस पहल की एनजीटी के चेयरमैन ने भी सराहना की है। इसी प्रकार कोरोना काल के दौरान स्वयं  मुख्यमंत्री ने जल सरंक्षण की "मेरा पानी मेरी विरासत" के नाम से एक नई योजना तैयार की। जिसके तहत अब हरियाणा में धान की जगह कम पानी से तैयार होने वाली अन्य फसल बोने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके अलावा  एसटीपी के उपचारित पानी का पुनः उपयोग हो, इसके लिए भी हरियाणा में योजनाएं बनाई जा रही हैं।किसान  पराली  अपने खेतों में न जलाये इसके लिए भी मुख्यमंत्री ने पराली की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो, इस दिशा में भी केंद्र सरकार से मांग की है।

सर्वोच्च न्यायालय सहित प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री ने भी की है मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सराहना

मुख्यमंत्री ने जुल्म रहया न भ्रष्टाचार क्योंकि कथनी-करनी एकै सार से पहले वर्ष की शुरुआत अब 8  साल राख्या ख्याल

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में पिछले 8 सालों में  लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों की सराहना कई मंचों से हुई है। पढ़ी-लिखी पंचायत देने के निर्णय पर अडिग रहे मुख्यमंत्री व तत्कालीन विकास एवं पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की प्रतिबद्धता के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने  अपने फैसले में हरियाणा की न केवल सराहना की बल्कि अन्य राज्यों को हरियाणा का अनुसरण करने की सलाह दी। इसी प्रकार कई मंचों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कर चुके हैं अब हाल ही में फरीदाबाद में हुए एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस पर अपनी मोहर लगाई है जो दर्शाता है कि मुख्यमंत्री के 8 साल पहले के 48 सालों पर भारी पड़े हैं। मुख्यमंत्री ने सरकार के पहले वर्ष की  शुरुआत जुल्म रहया न भ्रष्टाचार क्योंकि कथनी-करनी एकै सार से शुरु की थी और अब  8  साल राख्या ख्याल तक पहुंचा दी है।

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