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फरीदाबाद के जेल अधीक्षक जय किशन छिल्लर को मिला तिनका तिनका इंडिया अवार्ड

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फरीदाबाद, 7 दिसंबर। इस वर्ष 2021 का तिनका तिनका इंडिया अवार्ड जेल अधीक्षक फरीदाबाद जय किशन छिल्लर को उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों जैसे जेल के बंदियों के सुधार व पुनुरुथान के दिया जाएगा। यह अवार्ड भोपाल मध्य प्रदेश के महानिदेशक जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं श्री अरविंद कुमार भारतीय पुलिस सेवा के द्वारा 9 दिसम्बर 2021 को केंद्रीय जेल भोपाल में दिया जाएगा। यह हरियाणा जेल विभाग के लिए बहुत ही गर्व की बात ह।

तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स : 2021: चुने गए 16 बंदी और 2 जेल अधिकारी


●  इस वर्ष का विषय था-जेल में टेलीफोन


●  2 बंदियों  को मिलेगा- विशेष तिनका तिनका बंदिनी पुरस्कार से सम्मानित होंगे


●  सबसे युवा पुरस्कृत बंदी 25 साल और सबसे बुज़ुर्ग 64 साल का


●  पुरस्कार श्री अरविंद कुमार, (आइपीएस) महानिदेशक. मध्य प्रदेश जेल और सुधारात्मक सेवाएं देंगे


 ●  जूरी में श्री सुधीर यादव, आइपीएस (सेवानिवृत्त) और पूर्व डीजी, दिल्ली जेल, श्री अरुण कुमार गुप्ता, आइपीएस (सेवानिवृत्त), पूर्व डीजी, पश्चिम बंगाल, जेल और डॉ वर्तिका नन्दा संस्थापक, तिनका तिनका थे

 मानवाधिकार दिवस के लिए तिनका तिनका अवार्ड्स इंडिया 2021 के सम्मानों की घोषणा की गई है। बंदियों और कर्मचारियों के लिए स्थापित इन इकलौते पुरस्कारों के उत्सव का यह 7वां वर्ष है। इनकी संस्थापक जेल सुधारक वर्तिका नन्दा हैं। इस वर्ष 3 श्रेणियां थीं- पेंटिंग, विशेष उल्लेख और जेल प्रशासन। 12 बंदियों को पेंटिंग श्रेणी में पुरस्कार मिला है जबकि 2 बंदियों को जेल जीवन में उनके विशेष योगदान के लिए चुना गया है। 2 जेल कर्मचारियों को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जा रहा है।

 पेंटिंग श्रेणी में पहला पुरस्कार सेंट्रल जेल अहमदाबाद में बंद मनीष बाबूभाई परमार (46) और उत्तर प्रदेश की  रायबरेली की जिला जेल में बंद शिव मोहन सिंह (64) को संयुक्त तौर पर दिया जाएगा। दूसरा पुरस्कार सेंट्रल जेल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में रविशंकर और महाराष्ट्र के ठाणे के सेंट्रल जेल में निरुद्ध तौकीर हसन खान (53) ने साझा किया है। तमिलनाडु  की सेंट्रल जेल, कोयंबटूर के बन्दी प्रभु (42) ने पेंटिंग श्रेणी में तीसरा पुरस्कार हासिल किया है।

 पेंटिग श्रेणी में सांत्वना पुरस्कार 7 बंदियों को दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की सेंट्रल जेल में निरुद्ध 35 वर्षीय शत्रुहन और रमेश पटेल (30) को सांत्वना पुरस्कार मिला है। दोनों 10 साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुके हैं। मध्य प्रदेश की सेंट्रल जेल, भोपाल से सैयद अथर अली (43) और सेंट्रल जेल, सतना से रूपेंद्र मिश्रा (36) को भी सांत्वना पुरस्कार मिला है। जिला जेल, करनाल, हरियाणा से उत्तम आनंद (44), लाजपुर सेंट्रल जेल, सूरत, गुजरात से जितेंद्र मेवालाल मौर्य (35) और सेंट्रल जेल नंबर 8 और 9, तिहाड़ दिल्ली से मनीष (26) को भी पुरस्कार दिया जा रहा है।

  विशेष उल्लेख श्रेणी में 2 बंदियोंं  को  पुरस्कृत किया जा रहा है। गुजरात के राजपीपला के जिला जेल के 37 वर्षीय आशीष कपिलभाई नंदा को बंदियों के टेलीफोन कॉल से संबंधित काम करने, डेटाबेस और रजिस्टर की व्यवस्था करने लिए चुना गया है। आशीष उम्रकैद  की सज़ा पर हैं और 15 साल जेल में बिता चुके हैं। महाराष्ट्र के नासिक के सेंट्रल जेल में बंद 53 वर्षीय रजनीश मोहनलाल ठाकुर जेल में टेलीफोन से जुड़ा काम करते हैं । महामारी के दौरान 1700 से अधिक बंदियों को कॉल करने की अनुमति दी गई थी। संपूर्ण डेटा और कंप्यूटर प्रोग्राम रजनीश  द्वारा तैयार किए गए थे। वे  जेल में काम कर रहे पैरा लीगल वालंटियर्स (पीएलवी) में से भी एक हैं। वे सभी बंदियों को उनके कानूनी अधिकारों से अवगत कराने मैं मदद करते हैं।

 दो बंदियों को तिनका तिनका बंदिनी पुरस्कार दिया जा रहा है। जिला जेल, करनाल, हरियाणा से 39 वर्षीय सोनिया चौधरी को जेल रेडियो के संचालन, तिनका तिनका जेल रिसर्च सेल के ज़रिये जेल के टेलीफोन और जेल रेडियो पर शोध, जेल की ज़िंदगी को रंगों और साहित्य के जरिए सहजने के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है।  वे जेल में 21 साल गुजार चुकी हैं । 2004 में उनकी फांसी की सजा को अंतिम सांस तक कारावास में तब्दील कर दिया गया था । उन्होंने जेल में अपने काम से साथी महिला बंदियों को हौसला दिया है।

 25 वर्षीय पलक पुराणिक जिला जेल, इंदौर, मध्य प्रदेश में बंदी हैं। वे जनवरी 2019 से जेल में हैं। चूंकि जेल में महिला बंदियो के लिए कोई पैरामेडिक स्टाफ उपलब्ध नहीं है, इसलिए उन्होंने नर्स/कंपाउंडर के रूप में उनकी सेवा करने की जिम्मेदारी ली। पलक के पूर्व के नर्सिंग के ज्ञान के कारण वे पिछले 2 वर्षों में अन्य महिला कैदियों के लिए एक बड़ी मदद थीं, खासकर कोविड -19 के दौरान।

 जेल में विशेष कार्य के लिए इस साल भारतभर से दो जेलकर्मियों को चुना गया है। इस वर्ष जय किशन छिल्लर (57) अधीक्षक, जिला जेल फरीदाबाद को जेल टेलीफोन, जेल रेडियो और इग्नू के जरिए शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है। महाराष्ट्र के नासिक रोड सेंट्रल जेल के 53 वर्षीय अशोक शिवराम करकरे , जेलर ग्रेड-1 को यह सम्मान जेल विभाग के लिए उनकी विशेष सेवाओं के लिए दिया जा रहा है। कोविड-19 के दौरान बंदियों को कोरोना से बचाने के लिए वे लगातार 3 महीने तक जेल में ही रहे। अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने सफलतापूर्वक जेल में अनेक दुर्दांत अपराधियों और आंतकवादियों को परिरोध का प्रबंधन किया। इनमें अबू सलेम, अरुण गवली और छोटा राजन जैसे अपराधी और याकूब मेनन, अजमल कसाब जैसे आतंकवादी शामिल हैं।

2020 में के. सेल्वराज (आइपीएस) डीजी, हरियाणा जेल, अजय कश्यप (आईपीएस) पूर्व डीजी, तिहाड़ जेल, आनंद कुमार डीजीपी और आईजी जेल, उत्तर प्रदेश द्वारा पुरस्कार जारी किए गए थे।


कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से संचालित होगा।


पृष्ठभूमि: तिनका तिनका फाउंडेशन ने 2015 में जेलों के लिए दो राष्ट्रीय पुरस्कारों- तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स और तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड्स की स्थापना की थी। ये एकमात्र पुरस्कार हैं जो पूरी तरह से  बंदियों और जेल कर्मचारियों को समर्पित हैं।  इन पुरस्कारों के माध्यम से जेलों में रचनात्मकता और उनके योगदान का सम्मान किया जाता है। इन पुरस्कारों का यह सातवां साल है। हर साल,जेल से संबंधित विषय को मुख्य विषय के रूप में चुना जाता है। 2019 में थीम थी- 'जेलों में रेडियो' और 2020 में, चुनी गई थीम 'कोविड -19 और जेल' थी। 2015 से 2020 के बीच 110 से अधिक बंदियों और 37 जेल कर्मचारियों को तिनका तिनका इंडिया अवार्ड मिला है।

वर्तिका नन्दा के बारे में: डॉ. वर्तिका नन्दा एक जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका हैं। उन्होंने तिनका तिनका के बैनर तले भारत में जेल सुधारों पर एक आंदोलन शुरू किया है। भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने उन्हें 2014 में स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था। जेलों पर उनके काम को 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान में लिया गया। जेल सुधारों पर उनके अनूठे काम के लिए उनका नाम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है। " जेलों में महिला बंदियों  उनके बच्चों की स्थिति और उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में उनकी संचार आवश्यकताओं पर अध्ययन" पर उनके हालिया शोध का मूल्यांकन आईसीएसएसआर द्वारा 'उत्कृष्ट' के रूप में किया गया है। तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका मध्य प्रदेश- जेलों की जिंदगी का दस्तावेज देती उनकी लिखी किताबें हैं।  वर्तमान में वे पत्रकारिता विभाग, लेडी श्री राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रमुख हैं।

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