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हरियाणा में हुआ स्ट्रीट लाईट टेंडर घोटाला- किरण चौधरी 

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चंडीगढ़। पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने आज विधानसभा के मानसूत्र सत्र के दौरान स्ट्रीट लाईट टेंडर में हुए घोटाले पर प्रदेश सरकार को घेरते हुए जमकर हमला बोला है। किरण चौधरी ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों स्ट्रीट लाइट लगाने की टेंडर प्रक्रिया में एमएसएमई कंपनियों को भाग लेने से रोकने के लिए टर्नओवर बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि जब सरकारी एजेंसिया 600 करोड़ रूपए में इस काम को करने के लिए तैयार थी तो निजी क्षेत्र को 1100 करोड़ रुपये की लागत से टेंडर क्यों आवंटित किया गया? किरण चौधरी ने सदन के अंदर खट्टर सरकार से जवाब मांगा की यह स्पष्ट किया जाए कि राज्य के खजाने को इतने बड़े नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है और इस पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए ताकि कथित तौर पर ईमानदारी ढ़ोल पीटने वाली सरकार की कार्यप्रणाली जनता के बीच आ सकेे। इस पूरे प्रकरण पर विस्तार डालते हुए किरण चौधरी ने कहा कि नियमानुसार किसी भी टेंडर प्रक्रिया में एमएसएमई को भी शामिल किया जाना जरूरी होता है, लेकिन बड़ी कंपनियों के हिसाब से टर्न ओवर निर्धारित करने से सरकार ने एमएसएमई को टेंडर भरने से वंचित कर दिया। जबकि साढ़े 1100 करोड़ का यह टेंडर चार जोन में बंटा हुआ है। वित्त मंत्रालय की ओर से वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के समय में नोटिस जारी करके कहा था कि 2021 तक ईएमडी (अर्नेस्ट मनी डिपोजिट) नहीं ली जाएगी। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि स्थानीय छोटी औद्योगिक इकाइयों को मदद करके आगे बढ़ाया जा सके। सरकार ने इस नियम को भी दरकिनार कर दिया। 

किरण चौधरी ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि पूरे टेंडर की मॉनिटरिंग के लिए राजस्थान की एक एजेंसी को काम दिया, जिसके बदले उसे सात प्रतिशत का खर्चा दिया जाएगा। जबकि शहरी विकास मंत्रालय के पास अपने काफी संख्या में इलैक्ट्रिक इंजीयिर व अधिकारी मौजूद हैं। ऐसे में बाहरी एजेंसी से मॉनिटरिंग करवाने की बजाय हरियाणा में ही दूसरे विभाग से यह काम करवाया जा सकता था। इसके साथ ही प्रोजेक्ट डेवेलप एजेंसी की जिम्मेदारी भी फिक्स नहीं की गई, जबकि वह 7 प्रतिशत खर्चा भी ले रही है। प्रति वर्ष 10 प्रतिशत कोस्ट बढ़ाने की बात भी न्यायसंगत नहीं है जब कि महंगाई दर के मुताबिक ये कॉस्ट सात वर्ष के बाद मैटीरियल के आधार पर होती है। ठेकेदार को मैटीरियल का 60 प्रतिशत पैसा पहले ही दिन मिल जाएगा व कम्पलीशन 90 प्रतिशत काम पर मिल जाएगा, ये टेंडर में बड़ी खामी है। केंद्रिय सतर्कता आयोग ने ट्रैडर प्रणाली के देश व प्रदेश में मानक तय किए हैं कोई भी प्रदेश उससे बाहर की सी प्रकार के नियम व कानून तय नहीं कर सकता, परन्तु इस टेंडर में कीसी बड़े आदमी को फायदा पहुंचाने के लिए मानक बनाए गये है।

एमएसएमई के हितों की बात रखते हुए किरण चौधरी ने कहा कि सामान्य तौर पर तो कंपनी का टर्न ओवर देखा जाता है, लेकिन सरकार ने स्ट्रीट लाइट्स का टेंडर में शर्त रखी कि सिर्फ स्ट्रीट लाइट्स का टर्न ओर 150 करोड़ रुपये होना चाहिए। इस तरह से छोटी इकाइयों को मौका मिलना संभव नहीं। नियमों में साफ है कि छोटी इकाइयों का टर्न ओवर के अनुसार 30 फीसदी कम करना चाहिए, जबकि सरकार ने इसे पांच गुणा बढ़ा दिया। देश का 70 प्रतिशत आर्थिक फायदा एमएसएमई से होता है। इससे देश की इकॉनोमी चलती है। केंद्र सरकार एक तरफ तो इन्हें बढ़ावा देने की बात कह रही है, जबकि हरियाणा सरकार इसे कमजोर कर रही है। नियमों में सरकार द्वारा एमएसएमई को काम में 25 फीसदी छूट है। अर्नेस्ट मनी भी सरकार नहीं लेती। उन्होंने कहा है कि बहुत सी कंपनियों ने सरकार की टेंडर प्रक्रिया पर अपनी आपत्ति भी भेजी है, लेकिन सरकार ने इन्हें दरकिनार कर दिया। खास बात यह है कि सरकार ने कंपनी को 60 प्रतिशत पेमेंट माल की सप्लाई के साथ ही देने की बात कही है। यानी कंपनी को आधी से अधिक पेमेंट पहले ही मिल जाएगी।

बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि युवाओं को नौकरियां क्यों नहीं दी जा रही है। प्रदेश में नौकरियों के 40 हजार पद रिक्त पड़ें है, आखिर सरकारी की क्या मजबूरी है जो रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा। वहीं नौकरियों में इंटरव्यु खत्म करने के मुद्दें पर भी किरण चौधरी ने सरकार को जमकर कोसते हुए कहा कि इंटरव्यू वाले नम्बर बंद किए जाने चाहिए क्योंकि इन्हीं की आड़ में नौकरियों में बड़ें स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। किरण चौधरी के जवाब में जब सरकार ने कहा कि इंटरव्यू में नम्बर बंद कर दिए गए है तो किरण चौधरी ने एकबार फिर पलटवार करते हुए कहा कि दिखावे के लिए सिर्फ गु्रप डी की नौकरियों में इन्हें बंद किया गया है। बड़ें स्तर की नौकरियों में धड़ल्ले से खर्चा-पर्ची के जरीए भ्रष्टाचार किए जा रहे हैं। 

राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने भी इस घोटाले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक तरफ तो सरकार अपने भाषणों में एमएसएमई को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी और काम की बात आने पर अपने चंद नीजि लोगों के स्वार्थ को पूरा करने के लिए एमएसएमई को बर्बाद कर रही है। अशोक बुवानीवाला ने तथ्यों के आधार पर दावा किया है कि प्रदेश में स्ट्रीट लाइट्स के काम में बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टर्न ओवर में बढ़ोतरी करके सरकार ने छोटी कंपनियों (एमएसएमई) को तो इस प्रक्रिया से पहले ही बाहर कर दिया था। प्रदेश सरकार की ओर से स्ट्रीट लाइट्स लगाने के लिए साढ़े 1100 करोड़ का टेंडर निकाला गया। वहीं अगर इसी काम को केंद्र सरकार की एजेंसी एनर्जी एफिशियंसी सर्विस लिमिटेड (ऐस्सल) मात्र 600 करोड़ रुपये में कर सकती है। एजेंसी ने इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भी भेजा, लेकिन उस पर कोई विचार नहीं किया गया। ऐसा करके हरियाणा सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशा-निर्देशों की भी अनदेखी की है। अशोक बुवानीवाला ने कहा, स्ट्रीट लाइट्स लगाने के साथ उनकी मैंटेनेंस राशि भी बढ़ा दी है। हरियाणा के गुरुग्राम में मात्र 226 रुपये प्रति लाइट मासिक मैंटनेंस राशि ली जाती है। अब नये टेंडर में सरकार ने यह राशि 500 रुपये फिक्स कर दी है। इससे कम राशि मंजूर ही नहीं की गई। यानी मैंटेनेंस का रेट भी दुगुने के बराबर रख दिया गया। कम राशि में यह काम पहले से केंद्र सरकार की कंपनियां कर भी रही हैं। स्ट्रीट लाइट्स का काम मात्र 30 करोड़ रुपये का है और 30-40 करोड़ रुपये केबल का खर्च आएगा। 

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