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जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई को दोनों हाथों से लूट रहे है मेन पावर के ठेकेदार- लांबा

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 फरीदाबाद,13 जुलाई ।  सर्व कर्मचारी संघ हरियाण ने 15 जुलाई के राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस पर होने वाले प्रदर्शनों को सफल बनाने के लिए मंगलवार को कई विभागों मेें कर्मचारी सभाओं का आयोजन किया गया। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कर्मचारी सभाओं को संबोधित करते हुए दो टूक शब्दों में चेतावनी दी कि अगर 15 जुलाई तक डीए व पुरानी पेंशन बहाली करने और निजीकरण ठेका प्रथा पर रोक नही लगाई तो कर्मचारियों को हड़ताल जैसा कठोर निर्णय लेने पर मजबूर होना पड़ेगा। सभाओं में रिक्त पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरने,डीए व पुरानी पेंशन बहाल करने, ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मियों को पक्का करने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने आदि मांगों को लेकर 15 जुलाई को जिला एवं खंड स्तर पर होने वाले प्रदर्शनों में शामिल होने का आह्वान किया गया। 

जन संपर्क अभियान के तहत मंगलवार को अनखीर व फतेहपुर चंदेला के सिनियर सेकेंडरी स्कूलों, बिजली निगम की एन एच 5,एन एच 3, एनआईटी डिवीजन व सेक्टर 23 सर्कल आफिस में गेट मीटिंग की और प्रतिरोध दिवस के हैंड बिलों का वितरण किया। सभाओं को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बतौर मुख्य वक्ता संबोधित किया। श्री लांबा के साथ इस टीम में आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के वरिष्ठ नेता शब्बीर अहमद गनी, सर्कल सचिव कृष्ण कुमार, ग्रेटर फरीदाबाद यूनिट के प्रधान दिनेश शर्मा, विनोद कुमार, एनआईटी के सचिव गिरीश राजपूत,डिगंबर सिंह,दया राम, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान भीम सिंह, सचिव बीरेंद्र सिंह, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान अशोक कुमार, कोषाध्यक्ष युद्धवीर सिंह खत्री व खंड प्रधान करतार सिंह आदि मौजूद थे।

कर्मचारी सभाओं को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने आउटसोर्सिंग एवं ठेका प्रथा की नीतियों को भ्रष्टाचार की जननी और शोषण की पोषक बताते हुए इन नीतियों को रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा की मेन पावर के ठेकेदार जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई को दोनों हाथों से लूट रहे है और ठेका कर्मचारियों का जमकर आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनेता सारे नियमों को ताक पर रखकर ठेका कर्मियों की नियुक्ति करवा रहे हैं। इतना ही नहीं ठेकेदार विभागों से प्राप्त और ठेका कर्मचारियों से कटौती किए ईपीएफ व ईएसआईसी की राशि को भी डकार रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ठेकेदार विभागों से प्राप्त 18 प्रतिशत जीएसटी को जमा करवाने की बजाय स्वयं ही डकार रहे हैं। उन्होंने कहा कि ठेका समाप्त होने पर नया ठेका होने पर ठेकेदार पुराने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल कर 50 से लेकर 70 हजार रुपए वसूल कर नए कर्मचारियों को लगाकर मोटी रकम वसूल रहे हैं। कांट्रेक्ट के अनुसार ठेकेदारों के पास ना तो आवश्यक सामान है और ना ही पूरे कर्मचारी हैं। लेकिन वेतन पूरा वसूल रहे हैं। इसका विरोध करने पर कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ठेकेदार इतने ताकतवर हो चुके हैं कि सबसे ताकतवर कहे जाने वाले स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा पुराने ठेका कर्मचारियों को नौकरी से नही निकालने के आदेशों तक को ठेंगा दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि खाली पड़े करीब 8 पदों को पक्की भर्ती से भरने की बजाय पिछले कई सालों से सेवा कर रहे 1983 पीटीआई, 816 ड्राइंग टीचर व 1518 खेल कोटे के ग्रुप डी के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुकी है। वही पहले से जारी भर्तियों में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र देने की बजाय भारतीयों को ही रद्द करने में लगी हुई है। टीजीटी (अंग्रेजी) पीजीटी (संस्कृत) व जूनियर सिस्टम इंजीनियरों की भर्ती रद्द करना इसके ताजा उदाहरण है।

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