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सैनिक स्कूल गोठडा-पाली को 12 साल बाद भी नहीं मिला अपना स्थाई भवन : विद्रोही 

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14 जून 2021 स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2009 में रेवाड़ी में अस्थाई भवन में शुरू हुए सैनिक स्कूल गोठडा-पाली को 12 साल बाद भी अपना स्थाई भवन नही मिला जबकि इस सैनिक स्कूल केन्द्र के दो छात्र यही पढ़कर एनडीए में चयनित होकर टेऊनिंग लेकर विधिवत रूप से भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में शामिल भी हो गए है। विद्रोही ने कहा कि जिस सैनिक स्कूल गोठडा-पाली के छात्र सेना में लेफ्टिनेंट बनकर शामिल हो गए हो, उस सैनिक स्कूल का भवन 12 साल तक नही बन पाना बताता है कि भाजपा-खटटर सरकार दक्षिणी हरियाणा के विकास प्रोजेक्टस के प्रति कितनी गंभीर है व ईमानदार है। जब 2014 में कांग्रेस ने सत्ता छोड़ी थी तब सैनिक स्कूल गोठडा-पाली के भवन निर्माण का कुछ काम बचा था जिसे भाजपा सरकार चाहती तो एक साल में पूरा करवा सकती थी। लेकिन भाजपा खट्टर सरकार का एक साल का बचा काम 7 साल में भी पूरा नही करवाना बताता है कि वह मानसिक रूप से दक्षिणी हरियाणा के विकास कार्यो के प्रति कितना द्वेष रखती है व भेदभाव करती है। 

विद्रोही ने कहा कि अब प्रशासन दावा कर रहा है कि इसी साल सैनिक स्कूल अपने स्थाई भवन गोठडा-पाली स्थानांतरित हो जायेगा। यह दावा कितना सही है, यह तो पता चल ही जायेगा पर भाजपा खट्टर सरकार दक्षिणी हरियाणा के प्रति कितना राजनीतिक भेदभाव करती है, सैनिक स्कूल भवन निर्माण का मामला तो उसकी एक बानगी है। अहीरवाल के विभिन्न विकास प्रोजेक्टस के प्रति भाजपा सरकार का यही सौतेला रवैया है। कांग्रेस राज में शुरू किये व बनाये सभी विकास प्रोजेक्टस क्या तो अधूरे पड़े है या कछुआ गति से निर्माण हो रहा है। विद्रोही ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि कृष्णा नगर लूला अहीर कोसली महिला रीजनल सैंटर का भवन निर्माण कछुआ गति से चल रहा है। डिफेंस यूनिवर्सिटी बनौला का निर्माण कब शुरू होगा, कोई नही जानता। मनेठी एम्स का मुद्दा विगत 6 सालों से फुटबाल बना हुआ है। काकरौला-भागरौला गुरूग्राम विश्वविद्यालय भवन निर्माण भी बहुत धीमी गति से हो रहा है। कोसली के नर्सिग स्कूल व रेवाड़ी के ब्यायज कालेज का भवन निर्माण कब होगा, कोई नही जानता। दक्षिणी हरियाणा के स्वीकृत रेल ब्रिज, रेल अंडरपास बनाने की बजाय निर्माण का दिखावा हो रहा है। यही हालत लगभग सभी छोटी-बडी विकास परियोजनाओं की है। विद्रोही ने भाजपा खट्टर सरकार से पूछा कि दक्षिणी हरियाणा की विकास परियोजनाओं के प्रति ऐसा सौतेला, भेदभावपूर्ण व्यवहार क्यों? वही बिडम्बना यह है कि इस क्षेत्र के भाजपा से निर्वाचित सांसद व विधायक, मंत्री विकास कार्यो में हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत तक नही करतेे और अपने निजी हितों की पूर्ति के लिए सरकार के सौतेले-भेदभावपूर्ण व्यवहार के प्रति दड़ मारे रहते है। 

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