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विधायक भी नहीं बन पाए मोदी के मंत्री, आने वाले समय में कई मंत्रियों, सांसदों की कुर्सी खतरे में

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नई दिल्ली - बंगाल चुनावों के चर्चे अब भी जोरों पर हैं। टीएमसी 213 तो भाजपा ( एनडीए ) 77 और सीएम ममता बनर्जी खुद् चुनाव नहीं जीत सकीं और अब भाजपा उन्हें घेर रही है। इस चुनाव में भाजपा ने अपने केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो को भी मैदान में विधायक बनाने को उतारा था जो फिलहाल सांसद हैं और केंद्रीय राज्य मंत्री हैं लेकिन उन्हें भी तगड़ा झटका लगा है। टॉलीगंज केद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार अरूप बिस्वास के मुकाबले 50 हजार वोटों से हार गए हैं। टीएमसी के अरूप बिस्वास को 1,01,440 वोट मिले जबकि बाबुल सुप्रियो को इसके करीब आधे यानी 51,360 वोट ही मिले।

हार के बाद केंद्रीय मंत्री की बौखाहट देखने को मिली और बाबुल सुप्रियो ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए नतीजों पर अपनी नारजगी जताई। उन्होंने कहा कि बंगाली मतदाताओं ने एक 'ऐतिहासिक गलती' की है। वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने ममता बनर्जी को क्रूर महिला तक कह दिया।

उन्होंने लिखा, "न तो मैं ममता बनर्जी को बधाई दूंगा। न ही कहूंगा कि मैं लोगों के इस फैसले का सम्मान करता हूं। ईमानदारी से सोचें तो बंगाल के लोगों ने बीजेपी को मौका न देकर एक ऐतिहासिक गलती की। इस भ्रष्ट, अक्षम, बेईमान सरकार और सत्ता में एक क्रूर महिला को चुनकर भी उन्होंने गलती की।" बाबुल सुप्रियो ने कहा, "हां, एक कानून के पालन करने वाले नागरिक के रूप में, मैं एक लोकतांत्रिक देश में लोगों द्वारा लिए गए फैसले का पालन करूंगा। इस पोस्ट पर जब उनकी खिंचाई होने लगी तो उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दिया। 

इस चुनाव में साफ दिखा कि अब वो समय चला गया जब किसी का नाम लेकर नेता सांसद विधायक बन जाते थे। बंगाल में मोदी का जादू नहीं चला इसलिए उनके मंत्री विधायक नहीं बन पाए। आने वाले समय में देश में अन्य राज्यों में ऐसा ही हो सकता है क्यू कि तमाम भाजपा सांसदों को फिलहाल जनता पसंद नहीं कर रही है जो मोदी लहर में चुनाव जीत सांसद मंत्री बने हैं।  लगभग ऐसे 200 सांसद हैं जिनकी कुर्सी अब खतरे में है। अभी समय है इन्हे जनता का ध्यान रखना पडेगा, फिलहाल ये अपने कार्यकर्ताओं का भी ध्यान नहीं रख रहे हैं सिर्फ अपना और अपने खून के रिश्ते एवं खास परिजनों के लिए ही काम करते दिख रहे हैं। 


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