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पाली क्रेशर जोन में नकली डस्ट, फरीदाबाद के लोग हैरान, क्या लाशें गिनने का इंतजार करेगा प्रशासन या?

Faridabad=Sps-News
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 नई दिल्ली-फरीदाबाद  - देश में एक दशक में घटिया मैटेरियल से बने सरकारी निर्माण और निजी निर्माण के असमय ढहने के कारण हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों निर्माणाधीन निजी मकानों, उद्योगों के लिंटर असमय ढह चुके हैं और तमाम मजदूर जान से हाथ धो बैठे हैं। सरकार निर्माण और कई बड़े पुल भी ढह चुके हैं। इन हजारों लोगों की मौत के जिम्मेदार घटिया मैटेरियल बनाने वाले, बेंचने वाले हैं लेकिन बहुत कम लोगों पर कार्यवाही होती है इसलिए इनके हौसले बुलंद हैं। 

आज हरियाणा के फरीदाबाद जिले में एक सत्य से परिचय हुआ जहां क्रेशर जोन में लगभग 90 क्रेशर हैं और लगभग 65 क्रेशर पर इमारतों के मलवे पीसे जा रहे हैं और उसे डस्ट बताकर सप्लाई की जा रही है। दोपहर का वहाँ का वीडियो हजारों लोग देख चुके हैं और लोग हैरान हैं। तमाम लोगों के फोन आये और उन्होंने बताया कि उनके हाल में कुछ साल पहले ही बनाये मकानों में दरारें आ गईं हैं। छतें खराब हो गईं हैं। लोगों का कहना है कि शायद अनजाने में हमने घटिया मैटेरियल खरीद लिया था। कुछ बड़े लोगों के भी फोन आये जिनका कहना है कि हमें ज्यादा डस्ट की जरूरत थी इसलिए हम खुद क्रेशर जोन गए और वहाँ मशीनों पर पीसे जा रहे इमारतों के मलबे देख वापस लौट आये और राजस्थान से डस्ट ला रहे हैं। 

पाली क्रेशर जोन हर कोई जाता नहीं है। अपने आस-पास के बिल्डिंग मैटेरियल बेंचने वालों से ही लोग डस्ट खरीद लेते हैं और उसी से निर्माण करवाते हैं। कुछ मामलों में हमें जानकारी मिली कि कुछ राजमिस्त्री लोगों को सलाह देते हैं कि उस दुकान से मैटेरियल खरीदें। वहां उनकी कमीशन बंधी होती है। मिस्त्री लोगों को ये नहीं बताते कि मैटेरियल घटिया है। कमीशन के चक्कर में उसी घटिया मैटेरियल से दीवारें चुनते हैं। छतें बनाते हैं। लोग ये खेल समझ नहीं पाते हैं। 

पाली क्रेशर जोन में जो खेल चल रहा है उसकी जानकारी जिला अधिकारी को दी गई थी। एक क्रेशर के मालिक नरेश यादव ने हमें बताया कि शिकायत मैंने डीसी साहब को दी थी लेकिन किसी मिलावटखोर पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। शिकायत दिए कई महीने हो गए। खनन मंत्री भी इसी जिले के निवासी हैं और मूलचंद शर्मा पर भी सवाल उठने लगे हैं। हो सकता है उन्हें इस बात की जानकारी न हो। 

पाली क्रेशर जोन में ही कई क्रेशर चला रहे मुकेश गोयल ने बताया कि ये खेल कई वर्षों से चल रहा है। हम लोग पत्थर पीस डस्ट बनाते हैं जो थोड़ा मंहगा होता है इसलिए हमारे डस्ट को बहुत कम लोग खरीदते हैं। लोग सस्ते के चक्कर में डस्ट के रूप में मलबा खरीदते हैं। उन्होंने बताया कि हम गलत काम नहीं करना चाहते और न करते हैं इसलिए बच्चे पालने मुश्किल हो रहे हैं। जो गलत काम कर रहे है करोड़ों में खेल रहे हैं। 

पाली क्रेशर जोन के प्रधान धर्मबीर भड़ाना ने बताया कि ये खेल खनन विभाग के अधिकारी और स्थानीय चौकी की पुलिस मिलकर करवा रही है और मजबूरन वो कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्यू कि हरियाणा में गलत काम करने और करवाने वालों का जाल बिछा है। उन्होंने कहा कि जल्द मैं पाली क्रेशर जोन संस्था के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक करूंगा और आगे की रणनीति तैयार करूंगा ताकि ये खेल बंद हो सके। 

खेल करोड़ों का है। वीडियो आप सबने देखा होगा। अधिकतर क्रेशर पर मलबा ही पीसा जा रहा है ,जोन में पत्थर बहुत कम दिखे ,हर जगह मलबा ही दिखा। अब देखते हैं प्रशासन आँख खोलता है या बड़े हादसे का इन्तजार कर रहा है। जब किसी का मकान असमय ढह जायेगा और कुछ निर्दोषों की असमय मौत हो जाएगी तो प्रशासन लाशें गिनेगा और तब ऐसे लोगों पर कार्यवाई की बात की जाएगी। हाल में उत्तर प्रदेश में एक शमशान घाट की छत असमय गिरने से कई लोगों की मौत हुई थी। जांच में पाया गया कि मैटेरियल घटिया था। फरीदाबाद-दिल्ली-गुरुग्राम में इसी घटिया मैटेरियल से तमाम निर्माण जारी हैं। बड़ी अनहोनी कभी भी संभव है। देखते हैं कब जागता है प्रशासन या कर रहा है लाशें गिनने का इन्तजार। जिन्होंने दोपहर का वीडियो न देखा हो फिर देखें

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