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शारदा राठौर की कविताओं में छुपी है बड़ी बात, जाने क्यू दिखा रहीं हैं सरकार को आइना 

Sharda-Rathaor-Ballabgarh
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फरीदाबाद - हरियाणा का इतिहास रहा है कि बड़े -बड़े मंत्री दुबारा चुनाव नहीं जीत पाते हैं। बहुत काम मंत्री ही दुबारा विधायक बन पाते हैं यहाँ तक कि कइयों की तो दुबारा जमानत भी जब्त हो जाती है। यही कारण है प्रदेश के किसी विधानसभा क्षेत्र का विधायक जब मंत्री बनता है तो उसका विपक्षी बहुत खुश होता है और लगता है अगली बार चांस आराम से मिल जाएगा क्यू कि सामने मंत्री जी  हैं और मंत्री जी दुबारा चुनाव जीतते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हरियाणा के धाकड़ मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और राम बिलास शर्मा कई नेता विधायक भी नहीं बन सके। इसके पहले कई अन्य सरकारों में भी ऐसा ही देखा गया है। हुड्डा सरकार में प्रदेश के बड़े मंत्री रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला जींद उप चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक गए। 

फरीदाबाद की बात करें तो पिछले चुनावों में बल्लबगढ़ विधानसभा सीट पर कमजोर विपक्ष के कारण मूलचंद शर्मा की बड़ी जीत हुई और मंत्री बन गए। वहाँ से कांग्रेस के आनंद कौशिक जो की फरीदाबाद तैयारी कर रहे थे और उन्हें बल्लबगढ़ से टिकट मिल गई और खास प्रदर्शन नहीं कर सके। पार्षद दीपक चौधरी आजाद मैदान में उतरे और 19 हजार के आस पास वोट लेकर बल्लबगढ़ में अपनी पकड़ मजबूत की और अब वो क्षेत्र के तीसरे नंबर के नेता माने जाते हैं। विधानसभा चुनावों के ठीक पहले वहाँ की मुख्य विपक्षी नेता कही जाने वाले शारदा राठौर को भाजपा की 75 पार की आंधी अपने पाले में बहा दे गई। प्रदेश के कई दिग्गज नेता 75 पार की हवा में बह भाजपा के पाले में चले गए और यही वजह है कि प्रदेश में दुबारा भाजपा सरकार बनी। पूर्ण बहुमत तो नहीं मिला लेकिन दुष्यंत ने भाजपा की नाव पार लगा दी। 

अब कई हफ़्तों से शारदा राठौर अलग रूप में दिख रही हैं। बल्लबगढ़ की दो बार की विधायक रह चुकीं कुमारी राठौर मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुकी हैं और किसान आंदोलन के शुरुआत से ही उन्होंने कविता लिखना शुरू किया और किसानों का साथ देती दिख रहीं हैं। सरकार को घेर रहीं हैं। व्यंग भी उनकी कविताओं में होता है। लगता है वो फिर घर वापसी कर सकती हैं और बल्लबगढ़ से फिर चुनाव लड़ सकती हैं। उन्हें भी शायद लग रहा है कि सामने मंत्री जी होंगे और उनकी राह अपने आप आसान हो जाएगी जैसे कि प्रदेश का इतिहास रहा है। 

हरियाणा में मंत्री चुनाव हार जाते पिछले चुनाव के कुछ आंकड़े 

कैबिनेट मंत्री कविता जैन तीसरी बार विधानसभा में पहुंचने को लेकर आश्वस्त थीं, लेकिल सुरेंद्र पंवार की रणनीति ने उनका हैट्रिक लगाने का सपना तोड़ दिया। जनता की नाराजगी कविता जैन पर भारी पड़ गई और 32878 मतों की जीत के साथ कांग्रेस के सुरेंद्र पंवार के सिर पर जीत का सेहरा बंध गया। इस तरह प्रदेश सरकार में अकेली महिला मंत्री रही कविता जैन जीत की हैट्रिक बनाने से चूक गईं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सुरेंद्र पंवार पहली बार विधायक बने। कविता जैन ने 10 साल पहले इस सीट को कांग्रेस से छीना था तो अब कांग्रेस ने फिर से इसे हासिल कर लिया था। 

नारनौंद विधानसभा से कैप्टन अभिमन्यु हार गए। कैप्टन अभिमन्यु जिस नारनौंद को अपना घर बताते पिछले पांच से विकास कार्यों की दुहाई दे रहे थे, उसी हलके के उनके अपने लोगों ने उन्हें न केवल हार का मजा चखाया, बल्कि करारी हार झेलने को मजबूर कर दिया। यह आलम तब , जब कैप्टन के लिए सनी देओल जैसी फिल्मी हस्ती और मुख्यमंत्री से लेकर अनेक केंद्रीय नेताओं ने प्रचार किया।  कैप्टन को इस बार 61406 वोट मिले, जबकि जेजेपी के रामकुमार गौतम को 73435 वोट प्राप्त हुए। इस प्रकार जेजेपी के रामकुमार गौतम 12029 वोटों से जीत गए थे। 

राजस्थान बार्डर पर स्थित महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी रामबिलास शर्मा हार गए । रामबिलास, मनोहर सरकार में कैबिनेट मंत्री थे । ऐसे में इनकी हार से भाजपा को बड़ा झटका लगा । राम बिलास का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह से था। दोनों सातवीं बार आमने-सामने थे। दोनों के बीच छह बार हुए मुकाबले में दोनों तीन-तीन बार विधायक रहे। 

कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के चुनाव मैदान में उतरने से बादली विधानसभा सीट प्रदेश की हॉट सीटों में एक रही, लेकिन धनखड़ हार गए। धनखड़ के पक्ष में भाजपा सांसद व एक्टर सनी देओल ने प्रचार भी किया था, लेकिन वे जीत नहीं सके।उन्हें कांग्रेस के कुलदीप वत्स से करीब 13 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। 

इसराना विधानसभा से भाजपा के दिग्गज मंत्री कृष्ण लाल पंवार 19927 वोट से हार गए । कृष्ण, मनोहर सरकार में परिवहन मंत्री रहे। इन्हें कांग्रेस के बलबीर वाल्मीकि ने हराया, जिन्हें 60825 वोट मिले थे। 

यही नहीं राज्य मंत्री कर्ण देव कांबोज और मनीष ग्रोवर भी चुनाव नहीं जीत सके। शायद यही कारण है कि शारदा राठौर के हौसले बुलंद हैं। आज उन्होंने लिखा है कि

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