नई दिल्ली- गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत की लाचारी साफ़ दिख रही है। भारी पुलिस देख उन्हें लगने लगा है कि दो महीने से चल रहा आंदोलन अब ख़त्म हो जाएगा और कोई बात भी नहीं बनी। कोई मांग भी नहीं मानी गई। सरकार जब झुक रही थी और कई मांगे मान रही थी तो कई किसान नेताओं की गर्दन अकड़ रही थी और किसान नेता नहीं झुके और खुद को सरकार से बड़ा मानने लगे। यही उनकी भूल थी। थोड़ा झुक जाना चाहिए था लेकिन आंदोलन में चरमपंथी, जेहादी और वामपंथी भी शामिल थे। कुछ खालिस्तान समर्थक भी शामिल थे जिन्हे किसानों से कोई लेना देना नहीं था। किसानों के दर्द से कुछ लेना देना नहीं था। वो तो सरकार को झुकाना चाहते थे और किसानों को सरकार के प्रति भड़काकर उन्हें जरा सा भी न झुकने की सलाह दे रहे थे। 26 जनवरी किसानों पर भारी पडी जहां कुछ फर्जी किसान देश के दिल लाल किले पर चढ़ गए। देश अपने तिरंगे से बहुत प्यार करता है। देश में युवा अधिक हैं और लाल किले पर दीप सिद्धू और उसकी टीम ने जो कुछ किया उस कारनामे के बाद किसान देश की जनता का भावात्मक खो बैठे। 26 जनवरी के पहले तक अधिकतर जनता किसानों के साथ थी। सिर्फ भाजपा किसान आंदोलन के खिलाफ थी।
किसानों से जुडी खबरों को सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया जाता था जबकि सरकार को लोग घेरते थे। 26 जनवरी को सब कुछ बदल गया। लाल किला कांड के बाद किसानों ने जनता की सहानुभूति खो दी और सरकार जो चाहती थी वही हुआ। अब जनता चाहती है कि किसानों के सड़कें खाली करवाई जाएँ क्यू कि ये किसान नहीं हैं। मौके का इन्तजार कर रही सरकार को अब बड़ा मौका मिल गया है। सरकार को पता है कि 26 जनवरी काण्ड के बाद जनता इन किसानों से नाराज है और मौका भुनाने का उचित समय है। यही वजह है कि सिंधु बार्डर और गाजीपुर बार्डर पर जल्द किसानों पर बड़ी कार्यवाही कर सकती है।
अभी जब राकेश टिकैत रोये थे तब उन्होंने भाजपा विधायक का जिक्र किया था और कहा था कि भाजपा ये सब करवा रही है। उनके ऐसा बोलने और आत्महत्या की धमकी के बाद पुलिस फिलहाल सोंच विचार कर रही है। सूत्रों की मानें तो पुलिस के बड़े अधिकारी सोंच रहे हैं कि टिकैत अगर कोई बड़ा कदम उठाते हैं और आत्महत्या करते हैं तो कहीं खेल खराब न हो जाए। जिस तरह 26 जनवरी को किसानों का खेल खराब हो गया था उस तरह कहीं आज सरकार का खेल खराब न हो जाए। कहा जा रहा है कि पुलिस के बड़े अधिकारियों ने किसी बड़े नेता से बात कर फिलहाल सोंच विचार कर रहे हैं।
8 बजकर 45 मिनट पर वहां से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ किसान वहाँ धार्मिक गीत अपने आशियाने में गा रहे हैं। हाइवे पर शान्ति है। किसान वहाँ बच्चों सहित मौजूद हैं। कुछ किसानों का कहना है कि हम टिकैत के साथ हैं। पुलिस गोली चलाएगी तो गोली खा लेंगे लेकिन यहाँ से नहीं हटेंगे।
अब जानकारी मिल रही है कि अजीत सिंह के सुपुत्र जयंत चौधरी ने राकेश टिकैत का साथ देने का वादा किया है। अब लड़ाई यहीं ख़त्म नहीं हो रही है। कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन जायज ठहराया है और अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। अब राकेश टिकट ने मीडिया से कहा कि चलाओ गोली, हम बैठे हैं। वो फिर भाजपा विधायक का जिक्र कर रहे हैं। देखते हैं आगे क्या होता है। फिलहाल वो सख्त मूड में आ गए हैं। अभी रो रहे थे लेकिन अब सख्त दिख रहे हैं और कह रहे हैं अब कल बात करूंगा। अजीत सिंह का साथ मिलने से वो मजबूत हुए हैं। अब वो फिर टाइट होकर बोलने लगे हैं।

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