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किसानों की जान ले रही है जिद, योगेंद्र यादव जैसे नकली किसान चमका रहे हैं अपनी राजनीति

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नई दिल्ली- किसान आंदोलन के लगभग 40 दिन होने वाले हैं। आज सरकार और किसान नेताओं में बातचीत फिर हुई लेकिन कोई बात नहीं बनी और अब 8 जनवरी को फिर बात होगी। 4 दिन में कुछ और किसान जान गँवा सकते हैं।  अब तक लगभग 50 किसानों की जान जा चुकी है। दिल्ली की कई सीमाओं पर लाखों किसान बैठे हैं और वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर का मौसम खराब है। कल से बारिश हो रही है। कल ही तमाम किसानों के आशियानें भीग गए। आज फिर बारिश हुई। ये आंदोलन इतना लंबा खिंच रहा है तो कोई न कोई बड़ा कारण है। किसान नेता तीनों क़ानून वापस लेने की जिद पर अड़े हैं और सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती। 

संशोधन पर किसान राजी नहीं हैं। सरकार अपनी जिद पर अड़ी है तो किसान अपनी जिद पर और जिद ने अब तक लगभग 50 किसानों की जान ले ली। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे लाखों किसानों का नेतृत्व कुछ किसान संगठन कर रहे हैं जिनके आका सरकार से बातचीत करने जाते हैं जिन्हे तारीख पर तारिख मिलती जा रही है और लम्बी तारीखें मिल रहीं हैं जिन्हे देख सोशल  मीडिया पर लोगों का कहना है कि सरकार चाहती है कि आंदोलन लम्बा खिंचे और किसान अपने आप थक हारकर वापस चले जाएँ। लम्बे  आंदोलन की बात करें तो कुछ विपक्षी पार्टियां भी यही चाहती हैं क्यू कि उन्हें लग रहा है कि आंदोलन के कारण भाजपा सरकार की फजीहत हो रही है और आगे भी ऐसी ही होती रहे। 

आंदोलन में भाजपा का कोई ख़ास फायदा नहीं हो रहा है। पीएम की छबि खराब हो रही है और विपक्ष यही चाहता है। आंदोलन के कारण अगर किसी का सबसे ज्यादा नुक्सान हो रहा है तो किसानों का जिनके लगभग 50 साथियों की जान जा चुकी है। सूत्रों द्वारा पता चला है कि कुछ  तथाकथित नेता इस आंदोलन का फायदा उठा रहे हैं और किसानों को भड़का रहे हैं और कुछ किसान नेता उनकी बात भी मान रहे हैं इसलिए किसान आंदोलन अब तक जारी है और न जाने कब तक जारी रहेगा। ये तथाकथित नेता जो अब तक किसी गांव के सरपंच भी नहीं बन सके हैं और न जानें कुछ किसान नेता इन्हे क्यू भाव दे रहे हैं। 

योगेंद्र यादव हर आंदोलन में शामिल हो जाते हैं और उनकी वजह से आंदोलनकारी किसान और बदनाम हो रहे हैं। ये शाहीन बाग़ में भी जेहादियों के समर्थक थे।  ये देश के हर उस आंदोलन में भाग लेते हैं जिसमे मोदी का विरोध होता है। सोशल मीडिया पर इन्हे नकली किसान कहा जा रहा है।  इस आंदोलन में किसानों ने टुकड़े गैंग को गुर्गों को आंदोलन से भगा दिया लेकिन ये गैंग जबरन सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों का साथ दे रहा है और किसानों का नुक्सान हो रहा है क्यू कि देश के 85 फीसदी लोग टुकड़े गैंग से खुश नहीं हैं। इस आंदोलन के दौरान कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिनमे पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ अपशब्द कहे गए। ये वीडियो टुकड़े गैंग के साथियों के हैं और इनसे किसानों की छबि ख़राब हुई। किसान नेताओं को इस बारे में सोंचना चाहिए। सरकार अगर एक कदम पीछे हट रही है तो किसान नेताओं को भी एक कदम पीछे हटना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जिद जानलेवा साबित हो रही है। 


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