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राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा करने में असफल रहे गृहमंत्री शाह, तुरंत दें त्यागपत्र -अरोड़ा

Ashok-Arora-Congress
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 राकेश शर्मा, कुरुक्षेत्र, 29 जनवरी। पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बडा दिल दिखाते हुए संसद के सत्र में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करनी चाहिए और देश के किसान संगठनों की सहमति से नया प्रपोजल लेकर आना चाहिए। उन्होने कहा कि आज संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का कांग्रेस सहित 18 राजनीतिक दलों ने बहिष्कार किया है।

अरोड़ा ने आरोप लगाया कि किसानों के शांतिपूर्वक चल रहे आंदोलन को भारतीय जनता पार्टी एक साजिस के तहत बदनाम करने का षडयंत्र रच रही है। सरकार की साजिस के तहत ही लाल किले की घटना घटी। कुछ लोगों ने सरकार के बहकावे में आकर देश की धरोहर पर घटना की जिसकी वे निंदा करते हैं। उन्होने कहा कि जो लोग लाल किले पर पहुंचे उनको उकसाया गया और सुरक्षा में चूक के कारण इस तरह की घटना घटित हुई। अरोड़ा ने कहा कि देश के गृहमंत्री अमित शाह राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा करने में असफल रहे हैं। इसलिए अमित शाह को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

पूर्व मंत्री ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को भेजकर आपस में लडवाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस प्रकार से गाजीपुर बॉर्डर पर भाजपा के कार्यकर्ता किसानों के साथ लडने के लिए पहुंचे इसी प्रकार की घटना आज सिंघू बार्डर पर भी हुई। भाजपा को इस प्रकार के ओछे हथकंडे नही अपनाने चाहिए। भाजपा के विधायक ने गाजीपुर बॉर्डर पर जाकर आंदोलन को खत्म करने की साजिस की, यह निंदनीय है। अरोड़ा ने गाजीपुर धरना स्थल पर यूपी सरकार द्वारा बिजली व पानी बंद करने की घटना को ओछी हरकत बताया। अरोड़ा ने कहा कि भाजपा के नेता विभिन्न स्थानों पर लगे टोल प्लाजा पर कार्यकर्ताओं को भेजकर माहौल खराब कर रहे हैं। भाजपा द्वारा साजिश के तहत के किसानों का धरना खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अब लोग फिर से आंदोलन से जुड़ रहे हैं और किसान पीछे हटने वाले नही हैं।  

पूर्व मंत्री ने कहा कि पहले जहां हरियाणा सरकार ने पंजाब से दिल्ली जा रहे किसानों के रास्ते रोकने का प्रयास किया अब वही कार्य यूपी सरकार कर रही है, यह भाजपा सरकार का तानाशाही रवैया है। अरोड़ा ने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा के सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बॉयकॉट भी किया है। अभय चौटाला द्वारा विधानसभा से इस्तीफा दिए जाने पर कहा कि यह उनकी पार्टी का फैसला है लेकिन मैं समझता हूं कि अभय चौटाला को सदन में रहकर लड़ाई लडऩी चाहिए थी।

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