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सरकारी मेडिकल कालेजों की सलाना फीस 10 लाख रूपये करने का औचित्य ही क्या है?- विद्रोही  

Ved-Prakash-Vidrohi
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 8 नवम्बर 2020- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों की फीस 53 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 लाख रूपये सलाना करने की कठोर आलोचना की। भाजपा खट्टर सरकार ने अपने छात्र व गरीब विरोधी इस कदम के औचित्य को सिद्ध करने के लिए मेडिकल छात्रों को ऋण दिलावने का भरोसा देते हुए प्रथम साल के मेडिकल छात्रों को प्रति वर्ष 80 हजार रूपये, द्वितीय वर्ष के छात्रों को 88 हजार रूपये तथा तृतीय वर्ष के छात्रों को 96 हजार रूपये, चतुर्थ वर्ष के छात्रों को एक लाख रूपये नगद फीस व बाकी फीस ऋण के रूप में देने की अधिसूचना जारी की है। इस तरह अब एक प्रतिभावान बच्चे को डाक्टर बनाने के लिए साधारण परिवार को सरकारी मेडिकल कालेजों में भी 40 लाख रूपये खर्च करने होंगे जिनमें चार साल में 371280 रूपये नकद व 3629720 रूपये का ऋण लेना होगा जो साधारण परिवार के लिए भारी बोझ साबित होगा। पर सवाल उठता है कि सरकारी मेडिकल कालेजों की सलाना फीस दस लाख रूपये करने का औचित्य ही क्या है? विद्रोही ने कहा कि हरियाणा भाजपा सरकार मोदीजी के गुजरात माडल की तर्ज पर शिक्षा का निजीकरण करने के प्रक्रिया शुरू करके छात्रों पर भारी भरकम फीस थोपकर कालातंर में पूरी शिक्षा का व्यापारीकरण करने का कु्रचक्र बुन रही है जिसके भविष्य में दुष्परिणाम निकलेंगे व पिछड़े, दलित व गरीब छात्रों के लिए उच्च शिक्षा व मेडिकल, तकनीकी शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा पाना मात्र एक सपना बनकर रह जायेगा। 

विद्रोही ने हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस-विपक्ष की बात सुने बिना जिस हडबडी में सरपंचों को वापिस बुलाने के लिए राईट टू रिकॉल बिल व तीन किसान बिलों पर केन्द्र सरकार के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव पास किया, उसकी कठोर आलोचना करते हुए इसे अलोकतांत्रिक, जनविरोधी व तानाशाही कदम बताया। विद्रोही ने कहा कि सरपंचों के लिए राईट टू रिकॉल कानून बनाने से जहां एक ओर गांव में गुटबाजी व आपसी तनाव बढ़ेगा, वहीं सत्तारूढ़ दल का सरपंचों पर ऐसा दबाव बनेगा कि वे उनकी व अधिकारियों की कठपुतली बनने को मजबूर हो जाएंगे। यदि हरियाणा भाजपा-जजपा सराकार राईट टू रिकॉल कानून के प्रति ईमानदारी व गंभीर थी तो पहले वह विपक्ष को विश्वास में लेकर विधानसभा में यह प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजती कि विधायकों, सांसदों को वापिस बुलाने का अधिकार मतदाताओं को देने के लिए संसद निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को वापिस बुलाने का राईट टू रिकॉल कानून बनाये। यदि हरियाणा भाजपा सरकार विधानसभा में ऐसा प्रस्ताव पारित करती तभीे पता चलता भाजपा-जजपा सरकार राईट टू रिकाल के प्रति कितनी गंभीर व ईमानदार है।

वहीं विद्रोही ने कांग्रेस विधायकों द्वारा तीन कृषि बिलों पर केन्द्र को धन्यवाद देने के प्रस्ताव पर वोटिंग करवाने व कृषि बिलों के विरोध में उनके रखे प्रस्ताव और फसलों का अनिवार्य एमएसपी देने के प्रावधान करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा करने की मांग की तो सरकार ने सत्ता दुरूपयोग से विधानसभा स्पीकर से कांग्रेस विधायकों को नेम करवाकर सदन से बाहर निकलवाकर धन्यवाद प्रस्ताव पास करना किसान विरोध की पराकाष्ठा है। 

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