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दोस्त के लिए छोड़ दी नौकरी, हरियाणा के संजय के परिश्रम के कारण बिहार के CM बन सकते है तेजस्वी

Sanjay-Yadav-Haryana
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चंडीगढ़: बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम कल आएगा लेकिन सोशल मीडिया पर आज से ही बिहार में तेजस्वी यादें के समर्थन जश्न मनाने देखे जा रहे हैं। कई जगहों पर पोस्टर बैनर भी  लग गए हैं और तेजस्वी को सीएम बताया गया है। आज तेजस्वी यादव का जन्मदिन भी है। तमाम नेता उन्हें भावी सीएम बता उन्हें जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। बहुत कम लोग जानते होंगे कि अगर राष्ट्रीय जनता दल को कल सफलता मिलती है तो किसके कारण मिलेगी। इस चुनाव में तेजस्वी यादव पर जमकर हमला भी किया गया। उन्हें अनपढ़ साबित करने का प्रयास किया गया। उनके पिता लालू यादव अब भी जेल में हैं और भ्रष्टाचार के आरोप में लगाए गए लेकिन तेजस्वी पर ये सब वार बेकार चले गए क्यू कि तेजस्वी यादव के साथ उनके पुराने दोस्त संजय थे। 

आपको बता दें कि संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ के हैं। तेजस्वी यादव के पुराने दोस्त हैं। जब तेजस्वी क्रिकेट खेलते थे तभी से उनकी और संजय यादव की दोस्ती हो गई। संजय यादव ने दिल्ली से एमएससी और फिर एमबीए किया है। संजय एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करते थे लेकिन जब तेजस्वी क्रिकेट में किस्मत आजमा रहे थे तभी उनकी दोस्ती हो गयी और फिर 2012 में तेजस्वी ने क्रिकेट छोड़ दिया और संजय यादव ने नौकरी। संजय राष्ट्रीय जनता दल से जुड़ गए और तेजस्वी के लिए काम करने लगे। 

2015 के चुनावों में जब आरएसएस के मोहन भागवत ने आरक्षण पर बोला था तो उसे संजय ने लपक लिया था और उस मुद्दे को राष्ट्रीय जनता दल ने भुनाया और फायदा भी मिला। नीतीश और राष्ट्रीय जनता दल की सरकार बनी। तेजस्वी उप मुख्य्मंत्री बने। बाद में दोनों पार्टियों में बात नहीं बनी और नीतीश फिर भाजपा में आ गए। इस बार नीतीश एनडीए का हिस्सा थे। भाजपा के बड़े नेताओं और पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव में कई रैलियों को सम्बोधित किया लेकिन एग्जिट पोल्स की रिपोर्ट मानें तो भाजपा को फायदा नहीं मिलता दिख रहा है क्यू कि तेजस्वी के पास संजय थे। 

संजय यादव ने परदे के पीछे काम किया। इस  बार के चुनाव में आरजेडी और तेजस्वी के सोशल मीडिया के अकाउंट से लेकर उनकी रैलियों की रूप रेखा सब कुछ संजय यादव तय करने का काम करते थे। इस बार के चुनाव में युवा संवाद जैसे कार्यक्रम की पठकथा संजय ने ही लिखी थी, जिस पर आरजेडी ने एनडीए के घेरा रखा था। पीएम मोदी की रैलियों पर संजय बारीकी से निगाह रखते थे और पीएम जो बोलते थे अगले दिन तेजस्वी का भाषण कुछ अगर होता था जिसे संजय लिखते थे। देखते है कल क्या होता। 


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