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सीएम की अनुपस्थिति में बचकाने फैसले ले रहे हैं दुष्यंत चौटाला- भाटी

Dushyant-Chautala-Haryana
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फरीदाबाद- उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा हाल ही में लिया गया एक फैसला जिसमें बताया गया है, कि हरियाणा में जितने भी 60 साल की उम्र से ज्यादा या उसके आसपास  के राशन डिपो होल्डर हैं। उनको एक विशेष अधिकार दिया जा रहा है जिसमें राशन डिपो होल्डर अपने किसी भी बेटे व पोते के नाम अपने डिपो को ट्रांसफर कर सकता है। जिस फैसले पर हरियाणा में कड़ा विरोध होने लगा है।
वहीं फरीदाबाद से समाजसेवी अनुज भाटी का कहना है,कि माननीय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अनुपस्थिति में जो यह जल्दबाजी में फैसले लिए जा रहे हैं यह हरियाणा के भविष्य को गर्त में ले जाने का काम करेंगे व सरकार की छवि को भी धूमिल करने का काम करेंगे।
 भाटी जी से जब डिपो ट्रांसफर के फैसले को लेकर हमारी उनसे बात हुई तो उन्होंने बताया कि यह एक बचकाना वाला फैसला है,और सरकार इस तरीके के फैसलों से जनता का अपनी नाकामियों की तरफ से ध्यान आकर्षित करना चाहती है। 

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के डिपो ट्रांसफर वाले इस फैसले को पूर्णतः गलत व बचकाना वाला फैसला बताते हुए कहा,कि उमुख्यमंत्री इस तरीके के  फैसलों को जनता पर थोप कर कई तरह के भृष्टाचारों कि जांच,व कई भृष्टाचारों की जड़ों को छुपाना चाहती है।और साथ ही समाजसेवी अनुज ने  बताया कि,यह डिपो ट्रांसफर वाला  फैसला भी  शराब घोटाले की तरह  नए घोटाले को  जन्म देने के लिए  सुनाया गया है, जोकि भविष्य में  राशन डिपो घोटाले के नाम से जाना जाएगा।

भाटी जी ने अपने विरोध पूर्ण स्वर में कहा की उपमुख्यमंत्री जी को इस तरह के फैसले लेने से अच्छा तो अधिकारियों व डिपो होल्डरों द्वारा राशन वितरण प्रणाली को सुद्रढ़ व दुरुस्त करने का काम करना चाहिए था।साथ ही उन्हें कड़ी व जल्द से जल्द कार्रवाई करने वाला एक बोर्ड व शिकायत केंद्र का भी गठन करने की अति आवश्यकता थी।ताकि सही व जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंच पाता।व सरकार का लाभ जरूरतमंदों को मिल सकता।लेकिन सरकार ऐसा करने में विफल रही है, और विफल शिकायत केंद्र को बनाने में ही नहीं,अपितु राशन वितरण प्रणाली में भी पूर्णतः फेल रही। जब सूत्रों के हवाले से पता लगा,तो यह ज्ञात हुआ ,कि लॉकडाउन के दौरान हजारों,लाखों की संख्यां में ऐसे लोग थे,राशन से वंचित रह गए या उन तक नहीं पहुंच पाया जिनको उस समय एक एक दाने की आवश्यकता थी।और जो वास्तव में जरूरतमंद थे।किंतु उन्हें नही मिल सका।ओर online प्रक्रिया का ढिंढोरा पीटने वाले सत्ता का यह एक मात्र ढकोसला साबित हुआ।जिसमें आमजन ने असुविधा व परेसानी झेली।
साथी ही भाटी जी  आरोप लगाया कि कुछ चुनिंदा सत्ताधारी लोगों द्वारा अपने अपने आला अफसरों व अपने बड़े बड़े डिपो धारकों को इस फैसले की आड़ में मोटा मुनाफा देने का प्रयास किया जा रहा है।जो कतई भी बर्दाश्त नही किया जाएगा।
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