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हरियाणा विधानसभा सत्र में आज कुल 12 विधेयक पारित किये गए

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चंडीगढ़, 26 अगस्त- हरियाणा विधानसभा सत्र में आज कुल 12 विधेयक पारित किये गए, जिनमें हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपबंध) संशोधन विधेयक, 2020, हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा अग्निशमन सेवा (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा नगर मनोरंजन शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास तथा विनियमन (द्वितीय संशोधन तथा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2020, हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2020, हरियाणा विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2020, हरियाणा माल और सेवा कर (संशोधन)विधेयक, 2020 तथा हरियाणा मूल्य वर्धित कर (संशोधन) विधेयक, 2020 शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020 भी प्रस्तुत किया गया, जिस पर अगले सत्र में चर्चा करने का निर्णय लिया गया।



हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020

हरियाणा ग्रामीण विकास अधिनियम, 1986 में और संशोधन करने के लिए हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया। अर्थव्यवस्था, जो  कोविड-19 के बीच लॉकडाउन के कारण कमजोर हुई है, को मजबूत करने की दृष्टिï से गति देने के लिए अधिसूचित मार्किट क्षेत्र में खरीदने या बेचने या प्रसंस्करण के लिए लाई गई सब्जियों व फलों के बिक्री मूल्य पर एक प्रतिशत की दर से मूल्यानुरूप ग्रामीण विकास शुल्क लगाया जाना प्रस्तावित है इसलिए यह विधेयक पारित किया गया है।



हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक  सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपलब्ध) संशोधन विधेयक, 2020

हरियाणा नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक  सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन(विशेष उपलब्ध)अधिनियम,2016 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा  नगरपालिका क्षेत्रों में अपूर्ण नागरिक  सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबंधन (विशेष उपलब्ध) संशोधन विधेयक, 2020 पारित किया गया है। हरियाणा नगरपालिका अपूर्ण क्षेत्रों में नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना का प्रबन्धन (विशेष उपबन्ध) अधिनियम 2016 पालिका सीमाओं में पडऩे वाले उन क्षेत्रों को पहचानने के लिये अधिनियमित किया गया था जहाँ 31 मार्च, 2015 से पूर्व 50 प्रतिशत प्लाटों पर निर्माण किया जा चुका है, ताकि नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना प्रदान करने के लिये इन क्षेत्रों का नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्र घोषित किया जाना है। इस अधिनियम की धारा 4 ‘प्रवर्तन अस्थगित रखना’ एक वर्ष की अवधि के लिए थी, जो 20 अप्रैल, 2017 तक थी। इस विभाग द्वारा एक वर्ष की वैधता के अन्तराल में निम्नलिखित कार्य किये गये।

नगरपालिकाओं से प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए 10 जुलाई, 2015 को दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसी प्रक्रिया को 16 सितम्बर, 2016,18 नवम्बर,2016 तथा 26 दिसम्बर, 2016 जारी ज्ञापन द्वारा परिचालित किया गया। 4 अक्तूबर, 2016 को जारी आदेश द्वारा विकास शुल्क जारी किए गए। चूंकि अनधिकृत कॉलोनियों को घोषित करने की प्रकिया एक साल में पूर्ण नहीं हो सकी, इसलिए अधिनियम में एक साल की अवधि को दो साल का संशोधन 23 नवम्बर, 2017 की अधिसूचना द्वारा किया गया था। उपरोक्त अधिनियम की वैधता 20 अप्रैल, 2018 तक थी। इसके उपरांत राज्य में पालिका सीमाओं के अन्र्तगत ऐसे नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्रों के सर्वे की प्रकिया आरम्भ कर दी। कुल 982 कॉलोनियों के प्रस्ताव 80 नगरपालिकाओं से प्राप्त हुये हैं, जिनमें से 528 प्रस्ताव योग्य पाये गये हैं। गुरुग्राम की 15 कॉलोनियां तथा फरीदाबाद की 9 कॉलोनियों को इस अधिनियम के अन्तर्गत 6 दिसम्बर, 2017 को जारी अधिसूचना द्वारा अधिसूचित किया गया।

इसी दौरान अनधिकृत कॉलोनियों की घोषणा के सम्बन्ध में कार्रवाई दो वर्षों के अन्दर पूरी नहीं की जा सकी, इसलिए 19 अप्रैल,2018 की अधिसूचना द्वारा अधिनियम में एक और संशोधन करते हुए समय सीमा को दो वर्ष से तीन वर्ष बढ़ाया गया। संशोधन के अनुसार अधिनियम 20 अप्रैल, 2019 तक वैध था।     
इसके बाद नगर निगम, गुरुग्राम और फरीदाबाद की 17 कॉलोनियों, अन्य नगर निगमों की 343 कॉलोनियों, नगरपरिषदों की 106 कॉलोनियों और नगरपालिकाओं की 181 कॉलोनियों को आज तक अधिसूचित किया गया है। 27 सितम्बर, 2018 को विकास शुल्क जारी किये गये थे। उक्त अधिनियम की वैधता को चार वर्षों तक बढ़ाने का संशोधन 21  अप्रैल, 2016 से 20 अप्रैल, 2020 तक विभाग द्वारा सरकार को प्रस्तुत किया गया और उसी को विधान सभा द्वारा अनुमोदित भी किया गया, लेकिन इसे अधिसूचित नहीं किया जा सका। 21 अप्रैल, 2019 से 20 अप्रैल, 2020 की अवधि के दौरान विभाग ने 15 कॉलोनियों की अधिसूचनाएं 18 जून, 2019, 10 सितम्बर, 2019, 17 जनवरी, 2020 अधिसूचित की और विभिन्न निर्देशों को भी जारी किया। चूंकि, संशोधन को अधिसूचित नहीं किया जा सका है। इसलिए अधिनियम की वैधता का विस्तार करना आवश्यक था। इसके अलावा, वर्तमान में लगभग 15 कॉलोनियां हैं, जिनके लिए नगर पालिकाओं से संशोधित प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जिन्हें अभी उक्त अधिनियम के तहत अधिसूचित किया जाना है जिसके लिए भी उक्त अधिनियम की वैधता को विस्तारित करना आवश्यक है। कॉलोनियों की घोषणा से सम्बन्धित सभी कार्रवाई वैधता अवधि के अन्दर पूरी की जानी है. लेकिन यह देखते हुए कि कुछ कॉलोनियों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है, जिनमें अधिनियम में निर्दिष्ट वैध अवधि से अधिक समय लगेगा, इसलिए प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अधिनियम की धारा 4 में तथित समय अवधि को बढ़ाया जाना था। अत: इस अधिनियम के अनुभाग 4(1) तथा 4(2) में शब्दो तीन साल, को शब्दों पाच साल से बदलने के लिए ये विधेयक पारित किया गया है ताकि ऐसे योग्य क्षेत्रों को नागरिक सुख-सुविधाओं तथा अवसंरचना अपूर्ण नगरपालिका क्षेत्र घोषित करने के लिये दो साल उपलब्ध करवाए जा सके तथा इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधायें प्रदान की जा सकें।



हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,(संशोधन) विधेयक, 2020

        हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,2008 को आगे संशोधन करने के लिए हरियाणा लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,(संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है। लिफ्टस तथा एस्केलेटर अधिनियम,2008 की धारा 2 और धारा 5 में संशोधन आम जनता की सुरक्षा को देखते हुए, जब बिजली की आपूर्ति अचानक बंद हो जाती है तो लिफ्ट में फंसने से बचाने के लिए आवश्यक है। उक्त अधिनियम की धारा 5 में तत्कालीन प्रावधान के अनुसार लिफ्टों में बिजली आपूर्ति ठप होने की स्थिति में लिफ्ट में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए स्वाचालित बचाव यंत्र का उपयोग अनिवार्य है। इस मामले में जांच की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि जब बिजली निकासी होती है तो लिफ्ट एक झटके के साथ तुरन्त  दो मंजिलों के बीच में रुक जाती है और फिर 10-15 सैके ण्ड के बाद ए आर डी काम करता है और लिफ्ट केज नजदीकी मंजिल पर लाकर दरवाजे खोल देता है।  आपातकालीन बचाव यंत्र पर्याप्त बैकप देगा तथा लिफ्ट केज के दरवाजों को किसी भी मंजिल पर खोलेगा और 15 मिनट विस्तारित समय पर नियमित संचालन में रखेगा। इसलिए विशेष रूप से जान व माल की सुरक्षा के लिए समस्या से निपटने के लिए 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली ऊंची इमारतों में स्वाचालित बचाव यंत्र के स्थान पर आपातकालीन बचाव यंत्र का उपयोग बेहतर विकल्प होगा। इसलिए यह विधेयक पारित किया गया है।



हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020

हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया। हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 4 (4) में उपबन्धित के अनुसार नवगठित नगर निगम का प्रथम चुनाव उसके गठन की तिथि से पांच वर्ष की अवधि के भीतर किया जाना आवश्यक है। अत: इस उपबंध के अनुसार नगरनिगम, सोनीपत का चुनाव 5 जुलाई, 2020 तक करवाया जाना अपेक्षित था लेकिन कोविड-19 के कारण इस नगरनिगम का चुनाव नहीं करवाया जा सका। इस उपबंध में संशोधन करके नगरनिगम के गठन की तिथि से पांच वर्ष तथा छ: महीने के भीतर नवगठित नगरनिगम का चुनाव करवाने के लिए सरकार को समर्थ बनाया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, इस अधिनियम में सामाजिक, धार्मिक और धर्मार्थ प्रयोजनों के लिए सामाजिक, धार्मिक, धर्मार्थ संस्था, न्यास, सामाजिक संस्थाओं का नगर निगम की भूमि का आबंटन करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा, नंदीशाला/गऊशाला तथा बेसहारा पशु प्रांगण को पांच एकड़ तक भूमि आबंटित करने का प्रावधान भी शहरी स्थानीय विभाग की नीति में किया गया है। इस संबंध में हरियाणा नगरपालिका सम्पत्ति तथा राज्य सम्पत्ति नियम, 2007 में संशोधन नियम 4(क),4(ख),4(ग) तथा 4(घ) के अतिरिक्त नियम प्रक्रिया में हैं जो कि केवल नगर परिषदों एवं नगरपालिकाओं में लागू हैं। अत: सामाजिक, धार्मिक, धर्मार्थ संस्था, न्यास, सामाजिक संस्थाओं को आबंटन हेतु नगरनिगम भूमि के लिए समरूप प्रावधान किया जाना अपेक्षित है।
इसके अतिरिक्त, इस अधिनियम में सामाजिक, धार्मिक और धर्मार्थ प्रयोजनों के लिए सामाजिक, धार्मिक, धर्मार्थ संस्था, न्यास, सामाजिक संस्थाओं का नगर निगम की भूमि का आबंटन करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा, नंदीशाला/गऊशाला तथा बेसहारा पशु प्रांगण को पांच एकड़ तक भूमि आबंटित करने का प्रावधान भी शहरी स्थानीय विभाग की नीति में किया गया है। इस संबंध में हरियाणा नगरपालिका सम्पत्ति तथा राज्य सम्पत्ति नियम, 2007 में संशोधन नियम 4(क),4(ख),4(ग) तथा 4(घ) के अतिरिक्त नियम प्रक्रिया में हैं जो कि केवल नगर परिषदों एवं नगरपालिकाओं में लागू हैं। अत: सामाजिक, धार्मिक, धर्मार्थ संस्था, न्यास, सामाजिक संस्थाओं को आबंटन हेतु नगरनिगम भूमि के लिए समरूप प्रावधान किया जाना अपेक्षित है।

हरियाणा नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2019 में उपबन्धित किया गया था कि नगरपालिका, जिसमें अध्यक्ष पद सीधे निर्वाचन द्वारा चुने व्यक्ति द्वारा भरा जाएगा, में   सभी सीटें शामिल हैं। अधिनियम की धारा 21, जो कि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के विरूद्घ अविश्वास प्रस्ताव के लिए उपबन्धित है, भी संशोधित की गई थी तथा अब अध्यक्ष को नगरपालिकाओं के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव से हटाया नहीं जा सकता। तथापि संशोधन अधिनियम, 2019 इस संशोधन से पूर्व विद्यमान उपबन्धों के अनुसार नगरपालिकाओं के सदस्यों द्वारा अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित व्यक्तियों के बारे में लगभग परिवर्तित अधिनियम मौन थे। इसके अतिरिक्त, उन व्यक्तियों को, जो संशोधन से पहले निर्वाचित किए हैं, उनके निलम्बन, हटाए जाने या ऐसे सीधे रूप से निर्वाचित व्यक्तियों द्वारा रिक्त की गई रिक्तियों को भरने के बारे में कैसे शासित किया जाना है, इस संशोधन में कुछ भी नहीं बताया गया था। अब बहुत से मामले न्यायालय में आ रहे हैं जहां अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया नगरपालिकाओं के अन्य सदस्यों द्वारा उनमें से प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित नगरपालिकाओं के अध्यक्ष के संबंध में संशोधन से पहले या बाद में शुरू की गई थी। 2020 की सिविल याचिका संख्या 9434 शीर्षक सीमा रानी, अध्यक्ष, नगर पालिका, जाखल मण्डी बनाम हरियाणा राज्य तथा अन्य में 13 जुलाई, 2020 को दिये गये निर्णय में मान्नीय न्यायालय ने अवलोकन किया है कि हरियाणा नगर निगम (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2019 में कोई भी व्यावृत्ति खण्ड नहीं है जो पूर्व संशोधित उपबन्धों में अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित व्यक्तियों की स्थिति पर विचार करती हो। तदानुसार न्यायालय ने अध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए नगर पालिका की बैठक बुलाने के लिए उपायुक्त के आदेश को खण्डित कर दिया है।

नगरनिगम के मेयरों के मामले में हरियाणा नगरनिगम (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2018 के रूप में समरूप प्रावधान किये गए थे। सुरक्षित पहलू के लिए एक अध्यादेश विधि एवं विधायी विभाग द्वारा जारी किया गया है जिसके द्वारा हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 421 में दिए गए निरसन तथा व्यावृत्ति उपबंध के लिए उपधारा-3 इस आशय के लिए जोड़ी गई है कि संशोधित अधिनियम के लागू होने से पहले मेयर के रूप में नियुक्त व्यक्तियों की नियुक्ति, निर्वाचन, हटाए जाने या निलम्बन के लिए हरियाणा नगरनिगम (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2018 में  दी गई किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम के लागू होने से पूर्व विद्यमान असंशोधित अधिनियम के उपबंध द्वारा शासित किए जाते रहेंगे। अत: यह संशोधन किया जाना आवश्यक था।



हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020

हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 को आगे संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया है। इस समय, हरियाणा राज्य में 22 जिलें स्थापित हैं तथा 21 जिलों में उनके जिला मुख्यालय पर या तो नगर निगम या नगर परिषद अस्तित्व में हैं, जबकि नूंह के जिला मुख्यालय पर नगरपालिका अस्तित्व में है। हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में उपबन्धित अनुसार नगर परिषद घोषित करने के लिए कम से कम 50 हजार की जनसंख्या अपेक्षित है। जनगणना-2011 के अनुसार नूंह की जनसंख्या 16260 है तथा इसकी वर्तमान जनसंख्या 24390 तक पहुंच गई है। जिला मुख्यालय, नूंह में किए जाने वाले विकास कार्यों की गति बढ़ाने तथा निवासियों बेहतर नागरिक सुख-सुविधाएं मुहैया कराने के लिए इस जिला मुख्यालय पर नगर परिषद होनी आवश्यक है। नगर परिषद के गठन के बाद वरिष्ठ अधिकारियों का समूह कथित प्रयोजन के लिए स्वत: उपलब्ध होगा। इसलिए, नगरपालिका, नूंह को नगर परिषद के रूप में घोषित करने के प्रयोजन के लिए हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 की धारा 2क में संशोधन किया जाना है।

नगर पालिकाओं की आय का मुख्य स्त्रोत कर, फीस, प्रभार या उपकर से उत्पन्न होता है। हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 130 में सम्पत्ति धारकों से उद्गृहणीय करों या फीसों की वसूली का ढंग विहित है। जबकि हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 130 के खण्ड (द्बद्ब) तथा (द्बद्बद्ब) में यथा उपबन्धित वसूली के ढंग का प्रावधान नहीं है। हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में ऐसे उपबन्धों की अनुपलब्धता के कारण कर दाताओं के विरूद्ध लम्बित विशाल राशि को कारगर रूप से तथा दक्ष रूप से वसूल नहीं किया जा सकता। ये उपबन्ध निश्चित रूप से करों या फीसों या प्रभारों या उपकर की देय राशि वसूल करने के लिए नगर परिषद/पालिकाओं की सहायता करेंगे। इसलिए, हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में उपलब्ध वसूली के पूर्वोक्त ढंग को हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 की धारा 98 के ठीक पश्चात तथा धारा 99 के ठीक पूर्व धारा 98क के रूप में सम्मिलित किया जाना है।
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