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फसलों पर पाले/तुषार का असर और बचाव के उपाय

IFFCO Kisan News
हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)

नई दिल्ली: सर्दियों में 25 दिसंबर से  जनवरी के अंतिम सप्ताह  तक अधिकांश क्षेत्रों में तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे चला जाता है। साथ ही हवा चलना भी बन्द हो जाती है जिसके कारण  पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। यानि अधिकांश फसलों के वनस्पतिक भागों यानि तना, पत्ती, फूल आदि पर बर्फ की हल्की चादर सी जम जाती है। इसकी संभावना उस दिन और बढ़ जाती है जिस दिन आर्द्रता का प्रतिशत कम हो, आकाश साफ हो, ठण्ड अधिक हो और हवा भी ना चले। 

इफको किसान समय समय पर मौसम में हो रहे बदलाव के अनुसार किसान भाइयों को जानकारी प्रदान करता रहता है, और इफको किसान मोबाइल ऐप द्वारा मौसम का पूर्वानुमान, मंडी भाव, कृषि विशेषज्ञों की राय भी किसानो तक पहुंचता है। पिछली वर्षा ऋतु में भी इफको किसान ने मौसम विभाग के साथ मिल कर किसानो के लिए सलहकर सेवाएँ शुरू की थी, जिसमे उन्हे बारिश और उससे उत्तपन्न होने वाली फसल बीमारी से संबन्धित सभी समस्याओं का हल दिया जाता था। इस ऐप को कोई भी गूगल प्ले स्टोर से फ्री डाउनलोड कर सकता है बस आपको गूगल प्ले स्टोर पर “इफको किसान मोबाइल ऐप” सर्च करना है।

अब जाड़े में पाले के कारण सब्जी वाली फसलों जैसे मिर्च, आलू, टमाटर, बैंगन, मटर आदि, फल वाली फसलें जैसे केला और पपीता, के साथ कुछ रबी सीजन की मुख्य फसलों जैसे चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम आदि में लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक नुकसान होने की संभावना होती है। वहीं पाले के कारण गेहूँ और जौ मे 20% तक, अरहर में 70% तक एवं  गन्ने में  50% तक नुकसान होने की संभावना होती है।

पाले का फसलों पर प्रभाव:
पाले के प्रभाव से अधिकांश फसलों के फूल झड जाते है साथ ही फल भी मर जाते है साथ ही फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं व स्वाद भी खराब हो जाता है। 
पाले से प्रभावित फसल में क्लोरफिल नहीं बनने के कारण हरा रंग समाप्त होने लगता है जिसके कारण पत्तियों का रंग मटमैला यानि मिट्टी के रंग जैसा हो जाता है। 
ऐसी स्थिति में पौधों की पत्तियाँ सड़ने लगती है जिससे उन पर बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप होने लगता है। 
पाले से प्रभावित फसलों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। 
पाले के कारण अधिकांश फसलों के फूलों के गिरने से फल नहीं बन पाते, जिससे  पैदावार में कमी हो जाती है।


 इफको किसान के कृषि विशेषज्ञ द्वारा पाले से बचाव के लिए बताए गए उपाए: 
पाले से बचाव हेतु, पाला पड़ने की संभावना होने पर रात के समय खेत के चारो तरफ (यदि संभव हो तो उत्तर-पश्चिम कोने मे) अपशिष्ट पदार्थफसल के अवशेष या खरपतवारों को जला कर धुआँ करें इससे खेत के ऊपर एक परत बन जाने से फसल के ऊपर पाले का असर कम होता है।
धुआँ करने के लिए फसल अबशेषों के साथ क्रूड ऑयल का प्रयोग भी कर सकते हैं। इसके प्रयोग से  4 डिग्री सेल्सियस तक तापमान आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
यदि संभव हो तो धान की पुआल से खेत मे कतारों के बीच मे मल्चिंग करें।
पौधशाला के पौधों, उद्यानों/ नकदी सब्जी वाली फसलों को पॉलिथीन, टाट या भूसे आदि से ढ़क दें। 
ठंडी हवा को रोकने के लिए वायुरोधी टाटिया को हवा आने वाली दिशा की तरफ से शाम के समय  क्यारियों के किनारों पर बाँध दें। दिन के समय हटा दें।
रात का तापमान अधिक कम होने पर शाम के समय एक हल्की सिंचाई करें। सिंचाई करने से फसल का तापमान 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। 
पाले/तुषार के प्रभाव को कम करने हेतु 500 ग्राम सल्फर डबल्यूडीजी/ एकड़/150 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव द्वारा करें। 
ऐसी स्थिति मे फसल के अच्छे विकास के लिए 1 किलो पानी मे घुलनशील उर्वरक एनपीके 19:19:19 या 00: 52: 34 को 200 लीटर पानी मे घोलकर/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
लंबे समय तक फसलों को पाले के प्रभाव से बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल, शहतूत, जामुन एवं खेजड़ी आदि लगाएँ।


आपको बता दें कि इफको किसान, पिछले एक दशक से किसानों की सेवा में है और सब्सिडी दरों पर बाजार में गुणवत्ता उर्वरक एवं कृषि सामग्री के सही प्रयोग की जानकारी देता आ रहा है। वही प्रदान इफको 50 सालों से देश के खाद्य उत्पादन में एक बड़ा योगदान दे रहा है। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, टेलीकॉम भारती एयरटेल और स्टार ग्लोबल रिसोर्सेज लिमिटेड के साथ मिलकर इफको किसान संचार लिमिटेड को एक संयुक्त उद्यम के रूप में बढ़ावा दिया है।

इफको किसान संचार लिमिटेड ने मोबाइल सेवा कंपनी के साथ मिल कर ग्रीन सिम योजना शुरू की है। इस सिम कार्ड के जरिए किसानों को प्रतिदिन फसल सुरक्षा, बागबानी, पशुपालन, मंडी भाव व मौसम से जुड़ी जानकारियां नि:शुल्क वाइस मैसेज के जरिए उपलब्ध कराई जाती है। 

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