22 अगस्त 2019 : स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम की बुधवार रात्रि को दिल्ली जोरबाग से सीबीआई द्वारा छापेमारी करके की गई गिरफ्तारी तरीके की कठोर आलोचना करते हुए इसे लोकतंत्र, लोकतांत्रिक परम्पराओं व न्यायिक व्यवस्था को शर्मसार करने वाला कदम बताया। विद्रोही ने कहा कि आईएनएक्स मामले में वित्तमंत्री रहते पी चिदम्बरम ने आर्थिक अपराध किया या नही, यह तो न्यायालय तय करेगा, लेकिन चिदम्बरम को जिस तरह बुधवार रात्रि को सीबीआई ने दीवार फांदकर, पेड़ों पर चढ़कर, उनके घर में घुसे और छोपमारी करके टीवी कैमरो के सामने गिरफ्तारी की नौटंकी की, वैसा ड्रामा सीबीआई के इतिहास में कभी नही हुआ। आश्चर्य है कि आईएनएक्स मामले में आज तक सीबीआई एफआईआर में चिदम्बरम का नाम तक नही नही है, कोर्ट में चार्जशीट दायर तक नही है, फिर भी पता नही सीबीआई चिदम्बरम को गिरफ्तार करने में इतनी उतावली क्यों थी कि उसने छापेमारी से ऐसे गिरफ्तारी की कि मानो चिदम्बरम बहुत बड़े आतंकवादी, दुर्दांत अपराधी व हत्यारे हो।
विद्रोही ने कहा कि अपने आका मोदीजी, अमित शाह को खुश करने सीबीआई ने इस तथ्य को भी भूला दिया कि सुप्रीम कोर्ट में चिदम्बरम की अग्रिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। सवाल उठता है कि चिदम्बरम को गिरफ्तार करने में सीबीआई 36 घंटे और रूक जाती तो कौनसा आसमान टूट जाता? चिदम्बरम गिरफ्तारी के तरीके व घटनाक्रम साफ बताता है कि यह गिरफ्तारी बदले की राजनीति, सत्ता दुरूपयेाग का भौंडा प्रदर्शन है। आज के गृहमंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब सुप्रीम कोर्ट आदेश पर 9 साल पूर्व गुजरात से तडीपार किया, फर्जी मुठभेड़ मामले में जेल में रखा, तब पी चिदम्बरम गृह मंत्री थे। उस समय के गृहमंत्री से आज के गृहमंत्री ने बदला लेने के लिए सत्ता दुरूपयोग की सभी हदे पार कर दी। इस घटनाचक्र पर यही टिप्पणी की जा सकती है कि तोता सीबीआई द्वारा चिदम्बरम की गिरफ्तारी तरीके से तोता आका मोगेम्बो जरूर खुश हुआ होगा। लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा व परिपक्कव लोकतंत्र भारत, उसकी लोकतांत्रिक, न्यायिक परम्पराएं जरूर शर्मसार हुई। विद्रोही ने कहा कि बदले की राजनीति का इतना भौंडा उदाहरण शायद ही भारत के 72 साल के प्रतातांत्रिक इतिहास में मिले।
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