नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में लगभग दो दशकों में एक दो नहीं कई हजार बड़ी अस्पतालें बनी जिनमे हमेशा मेला लगा रहता है। किसी का गुर्दा खराब तो किसी को कैंसर व् अन्य बड़ी बीमारियां यहाँ जमकर पांव पसर रहीं हैं। लोग अस्पताल तो चले जाते हैं लेकिन क्यू ये बड़ी बीमारियां इतनी तेजी से फ़ैल रहीं हैं इसका कारण शायद ही बहुत कम लोगों को पता हो। दो दशकों से खानपान में बहुत ज्यादा बदलाव आया है। रात्रि के 10 बजे भी बर्गर की दुकान पर भीड़ लगी रहती है घर का भोजन बहुत कम लोग करते हैं। कुछ लोग रात्रि का भोजन होटल या ढाबों से मंगाते हैं और एक कड़वा सत्य ये है कि रात्रि 9 बजे आप किसी सब्जी मंडी में चले जाएँ और किसी टमाटर वाले के पास आधे घंटे खड़े रहें तो आप देखेंगे कोई होटल ढाबे वाला आएगा और सारा सड़ा टमाटर उठा ले जाएगा। जिसे उबालकर मशीन में पीस कर सब्जियों में डाला जाता है।
एक और कड़वा सत्य ये है कि दिल्ली-एनसीआर में यमुना के किनारे उगाई जाने वाली सब्जियां कैंसर परोस रही हैं। ये सब्जियां खाने लायक नहीं रह गईं हैं। अधिकतर यमुना किनारे की सब्जियां ही दिल्ली एनसीआर की बाजारों में पहुँच रहीं हैं। नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के मुताबिक यमुना के पानी से पैदा होने वाली सब्जियों में Lead, Cadmium, Mercury और Arsenic जैसे ख़तरनाक Heavy Metals की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इससे kidney failure और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। पहले भी ऐसी रिपोर्ट जारी हो चुकी है। यमुना ही नहीं देश की कई नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि उन नदियों के किनारे उगी सब्जियां जानलेवा साबित हो रहीं हैं। आजादी के 71 वर्षों के बाद भी ऐसा सिस्टम तैयार नहीं किया किया जा सका है जिससे नदियों को स्वच्छ बनाया जा सके। जिससे भारत के लोगों को स्वच्छ जल और शुद्ध भोजन का अधिकार मिल सके।
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