हर्षित सैनी: रोहतक, 12 जुलाई। जिले के निजी स्कूलों को अवैध घोषित करने में लगी राज्य सरकार के खिलाफ संचालकों का रोष बढ़ता ही जा रहा है। डीईओ कार्यालय द्वारा 92 स्कूल संचालकों को जारी नोटिस के तहत उन्हें बंद करने के आदेश दिये गये हैं। जिससे स्कूल संचालकों की एक बैठक हरियाणा प्राईवेट स्कूल संघ के जिलाध्यक्ष रविन्द्र नांदल की अध्यक्षता में हुई।
मीटिंग के बाद निजी स्कूल संचालक रविन्द्र नांदल के नेतृत्व में सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। जहां सहकारिता मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को इस समस्या को दूर करने के लिए 14 जुलाई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलवाने का आश्वासन दिया।
ज्ञातव्य रहे कि हाईकोर्ट द्वारा प्रदेश में चल रहे 1083 अनधिकृत स्कूलों को बंद करने के निर्देश जारी कर रखे हैं। जिस पर प्रशासन ने जिले के 92 स्कूलों को नोटिस भेजकर बंद करने के आदेश जारी किए हैं। जिससे इन स्कूल संचालकों में खलबली मची हुई है।
प्रधान रविन्द्र नांदल ने बताया कि राज्य सरकार ने मान्यता सम्बन्धी नियम बहुत ही कड़े बना रखे हैं। जिनके तहत इन स्कूलों को मान्यता मिलना नामुमकिन है। अगर सरकार नियमों में छूट देती है तो ही इन स्कूलों को मान्यता मिल सकती है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि रोहतक जिले में इस प्रकार के 400 स्कूल हैं और पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 10,000 से अधिक है। नांदल ने सवाल उठाया कि क्या ऐसा हो सकता है कि महेन्द्रगढ़ जिले में एक भी गैर मान्यता प्राप्त स्कूल न हो और झज्जर जिले में केवल 3 ही ऐसे स्कूल हों। शिक्षा विभाग की मनमानी के चलते ऐसा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक काफी दिनों से एक कमरा-एक कक्षा के सिद्धांत पर मान्यता मांग रहे हैं जबकि सरकार ने 3 जून, 2011 के अपैंडिक्स-1 में बिना भूमि के शर्त पर एक कक्षा-एक कमरा के नियम के तहत आठवीं कक्षा तक मान्यता प्राप्त करने का नोटिफिकेशन जारी कर रखा है। जिसे केवल क्रियान्वित करना बाकी है।
उन्होंने बताया कि इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के साथ हरियाणा प्राईवेट स्कूल संघ की सहमति भी बन चुकी थी लेकिन सरकार अपने ही द्वारा जारी नोटिफिकेशन पर अमल न करते हुए पीछे हट रही है।
इसी प्रकार प्रदेश में 2007 से पहले चल रहे 3200 अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को साल दर साल की समय अवधि सरकार द्वारा बढ़ाई जाती रही है लेकिन यह अस्थाई मान्यता हर वर्ष मार्च माह में समाप्त हो जाती है। इस वर्ष भी सरकार इनको मान्यता जारी नहीं कर रही जबकि इन स्कूलों में नियम 134-ए के तहत गरीब बच्चों को दाखिल भी कर चुकी है।
रविन्द्र नांदल ने कहा कि एक तरफ तो सरकार इन स्कूलों को गैर मान्यता प्राप्त बताती है तथा दूसरी तरफ इन्हीं स्कूलों में नियम-134ए के तहत बच्चों के दाखिले कर रही है। अगर सरकार चाहे तो इनको गेस्ट टीचरों की तर्ज पर 10 वर्ष के लिए स्थाई मान्यता प्रदान कर सकती है। लेकिन सरकार द्वारा रूचि न लिए जाने पर हजारों अध्यापकों व लाखों बच्चों के जीवन पर असर पडऩा तय है।
जिला प्रधान ने कहा कि इसके अलावा दर्जनों अन्य समस्याएं भी निजी स्कूलों की हैं। जिन्हें हल करने में भाजपा सरकार ने अभी तक कोई रूचि नहीं दिखाई है। उल्टे भारी टैक्स लगाकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था तो छिन्न-भिन्न करने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने वाले निजी स्कूलों को खत्म करने की साजिशें हो रही हैं।
रविन्द्र नांदल ने कहा कि सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर के आश्वासन पर 14 जुलाई सांय 4 बजे मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में समस्या का हल होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से लाखों बच्चों का भविष्य जुड़ा है जिसे किसी भी सूरत में धूमिल नहीं होने दिया जायेगा।
प्रतिनिधिमंडल में चेतना कत्याल, वीना ढल, सुरेन्द्र हुड्डा, सुनील भयाना, रमेश सचदेवा, नंदा रेहानी, मंसा अग्घी, नीलम बुद्धिराजा, नरेन्द्र खुराना, नरेन्द्र तोमर, मुकेश शर्मा, मदन लाल शर्मा, भगवत पहरावर, राजकुमार रिठाल, राजेश सैनी, देसराज, राजबीर राठी, वीना भाटिया, रमेश सचदेवा, अमरपाल, विजय नरवाल, बलबीर सिंधु, अनिल कुंडू, अमरपाल बसाना, विजय आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।
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