चंडीगढ़/ फरीदाबाद: हरियाणा में बाजारू होती जा रही शिक्षा को लेकर कल हरियाणा अब तक ने शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के कामकाज पर सवाल उठाया था। प्रदेश के तमाम छात्र हरियाणा अब तक के पास सन्देश भेज रहे थे कि सरकार ने सरकारी कालेजों में भी फीस में बढ़ोत्तरी की है और निजी कॉलेजों की तो बात ही निराली है। काफी ज्यादा फीस बढ़ा दी गई है जिस वजह से छात्र ही नहीं छात्र के परिजन भी दुखी हैं। लगता है हरियाणा अब तक की खबर का थोड़ा सा असर हुआ है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि राज्य के महाविद्यालयों के छात्रों से शैक्षणिक सत्र 2019-20 में भी पिछले शैक्षणिक सत्र की तर्ज पर फीस ली जाएगी और 15 दिनों के भीतर बढ़ी हुई फीस को भी संबंधित कालेजों द्वारा छात्रों को वापिस कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नार्थ जोन के क्षेत्रीय संगठन मंत्री विक्रांत खंडेलवाल की अगुवाई में आए एक प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई मुलाकात के दौरान की। उल्लेखनीय है कि इस मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को एक प्रस्तुति इस संबंध में दी और मांग की कि शैक्षणिक सत्र 2019-20 में राज्य के महाविद्यालयों के छात्रों से बढ़ी हुई ली गई फीस को वापिस लिया जाए।
मनोहर लाल ने राज्य के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों के सभी कुलपतियों को निर्देेश दिए हैं कि वे शैक्षणिक सत्र 2018-19 में छात्रों के लिए क्रियान्वित की गई फीस सरंचना (स्ट्रक्चर) को भी शैक्षणिक सत्र 2019-20 में लागू करें और महाविद्यालयों के छात्रों से पिछले शैक्षणिक सत्र के अनुसार ली गई फीस को ही लें। उन्होंने कहा कि 15 दिनों के भीतर संबंधित कालेजों द्वारा छात्रों को बढोतरी की गई फीस को भी वापिस कर दिया जाएगा।
हरियाणा सरकार को निजी स्कूल कॉलेजों पर भी शिकंजा कसना चाहिए। निजी स्कूल वाले में अविभावकों के खून चूस रहे हैं। लोग अपना दुखड़ा मीडिया के माध्यम से सरकार तक पहुंचाते हैं। सरकार एक तरह से राजा है और जनता प्रजा, राजा को अपनी प्रजा का हर दुःख दूर करना चाहिए। देखते हैं निजी स्कूलों की बारी कब तक आती है।
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