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प्रदेश की जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई भी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं हम, खट्टर

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 चंडीगढ़, 12 मई- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार हर मुद्दे के सौहार्दपूर्ण समाधान की पक्षधर है, लेकिन अतीत में किये गये समझौतों का हमें सदैव सम्मान करना चाहिए। हालांकि, देश के संविधान में हमारा पूर्ण विश्वास है परन्तु अपने हितों की सुरक्षा और प्रदेशवासियों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हम कानूनी रास्ता अपनाने से भी कभी नहीं हिचकेंगे।
श्री मनोहर लाल आज यहां केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् (एनजेडसी) की बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा पानी की कमी वाला राज्य है। प्रदेश में पानी की मांग 36 मिलियन एकड़ फीट है, जबकि यहां पानी की उपलब्धता 14.7 मिलियन एकड़ फीट है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में हमें यमुना नदी के अपने हिस्से में से दिल्ली को अतिरिक्त पानी देना पड़ रहा है, जबकि पंजाब रावी-ब्यास के पानी में से हरियाणा का पूरा हिस्सा नहीं दे रहा है।
उन्होंने केंद्र सरकार से यमुना नदी पर रेणुका, किसाऊ और लखवार-व्यासी बांधों के निर्माण कार्य में तेजी लाने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सरोकार का भी मामला है क्योंकि वर्ष 1960 में सिन्धु-जल संधि होने के बाद से भी तीन मिलियन एकड़ फीट पानी पाकिस्तान में जा रहा है। 
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले कुछ  वर्षों से यमुना नदी में पानी निरन्तर घट रहा है और इस पर कोई बांध न होने कारण मानसून सीजन के दौरान बेशकीमती पानी व्यर्थ चला जाता है। उन्होंने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि हरियाणा के हजारों गांव और लाखों हैक्टेयर भूमि, पंजाब से हमें हमारे हिस्से का पानी न मिलने के कारण आज भी पानी से वंचित है। 

उन्होंने कहा कि हम पंजाब सरकार के इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हैं कि भाखड़ा मेन लाइन नहर पर निवेश केवल उनके द्वारा किया जाए और उससे पैदा होने वाली बिजली का उपयोग केवल पंजाब ही करे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के खतरनाक कचरे के निपटान के लिए ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोज़ल प्लांट की विस्तृत परियोजनाओं को अंतिम रूप देने से पूर्व कचरे के निपटान और भण्डारण के बारे में हरियाणा की चिंताओं और उस क्षेत्र के निवासियों के जीवन की गुणवत्ता के मानदण्डों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। 
उन्होंने आशा व्यक्त की कि आज के आपसी विचार-मंथन से विभिन्न अंतरराज्यीय तथा केन्द्र-राज्यों के मध्य मुद्दों को सुलझाने में सहमति बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि, हम एक आधुनिक, मजबूत और विकसित भारत के निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं, लेकिन फिर भीे मुझे विश्वास है कि हम कभी भी सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण पहलू की अनदेखी नहीं करेंगे। उन्होंने दो वर्ष के अंदर उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक बुलाने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह का आभार भी जताया। 
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