उन्होंने बताया कि जिन किसानों द्वारा पिछले वर्ष धान बोया गया था और अब वे किसान वैकल्पिक फसलें उगा रहे हैं या खेत को खाली छोड़ रहे है, वे किसान इस योजना के अंतर्गत अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। साथ ही पिछले वर्ष के लाभार्थी किसान वही फसल लगाकर भी लाभ ले सकते हैं।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि इस सत्र में सरकार का एक लाख एकड़ भूमि पर वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है, जिसमें धान के स्थान पर मक्का, कपास, अरहर, मूंग, ग्वार, उड़द, सोयाबीन, तिल, अरंडी, मूंगफली, प्याज, चारा, सब्जियां, बागवानी फसलें, पोपलर, यूकेलिप्टस (एग्रो फोरेस्ट्री) के साथ-साथ खेत को खाली छोडऩे पर भी किसानों को लाभ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए 8 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर पंजीकरण और फसल सत्यापन के बाद सीधे बैंक खाते में दी जाएगी।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने किसानों से आह्वान किया कि वे धान की फसल के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को लगाकर फसल चक्र को बदलने का काम करें, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। इसके साथ-साथ किसानों के लाभार्थ फसल का ब्यौरा करने पर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वैकल्पिक फसलों की शत प्रतिशत खरीद सुनिश्चित करेगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा का अंश किसान द्वारा वहन कर अपनी फसल का बीमा कराने से जोखिम की परिस्थितियों में फसल नुकसान होने पर 72 घंटे के अंदर टोल फ्री नंबर-14447 एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करने से नुकसान का आंकलन कर बीमा कंपनी मुआवजा राशि किसान के खाते में सीधे देगी।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल के उप निदेशक डा. अनिल सहरावत ने अपने अधीनस्थ पलवल, होडल, हथीन व हसनपुर के खंड कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जल शक्ति अभियान के अंतर्गत किसान जागरूकता शिविरों के माध्यम से फील्ड स्टाफ सरकार की किसान हितैषी योजनाओं का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें।
इसके साथ-साथ अन्य विभागों के साथ सामंजस्य बनाकर उनके माध्यम से भी कृषि योजनाओं को किसानों के सम्मुख प्रस्तुत करें, जिससे कि जिले के प्रत्येक किसान को विभागीय योजनाओं का पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो और उसके आधार पर किसान को सरकार द्वारा दी जा रही प्रोत्साहन व अनुदान राशियों के लिए आवेदन कर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
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