इस प्रकार की स्कीम लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। सरकार की ओर से यह स्कीम पुराने पेड़ों की रक्षा और संरक्षण के लिए लागू की गई है। जिला पलवल में 49 लाभार्थी हरियाणा सरकार की इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार की ओर से लागू की गई ‘हरियाणा प्राण वायु देवता पेंशन’ योजना का उद्देश्य 75 वर्ष से अधिक आयु के उन वृक्षों की सुरक्षा और संरक्षण करना है, जिनका पारिस्थितिकी और पर्यावरण संबंधी महत्व बहुत अधिक है तथा लोगों में उन वृद्ध वृक्षों की सुरक्षा के प्रति भावना पैदा करना है, जो मानवता को जीवन रक्षक ऑक्सीजन सहित बहुमूल्य अमूर्त लाभ और सेवाएं प्रदान करते हैं।
वर्तमान में इस योजना के तहत 75 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके पेड़ों को वर्तमान में 3000 रुपए वार्षिक पेंशन दी जा रही है। वृद्धावस्था सम्मान पेंशन की भांति यह पेंशन राशि प्रतिवर्ष समानुपात में बढ़ाई जाती है। पेड़ को मिलने वाली पेंशन की राशि पेड़ के मालिक के बैंक खाते में भेजी जाती है। उन्होंने बताया कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति शुरू से ही सुधारात्मक योजनाएं लागू कर रही है, पेड़ पौधों से ही हमें सुरक्षित ऑक्सीजन गैस निशुल्क प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि 75 साल से उम्र में बड़े हुए पेड़ अपने फैलाव के कारण वातावरण में ऑक्सीजन ज्यादा पैदा करते हैं।
उपायुक्त ने बताया कि यह योजना पूरे हरियाणा राज्य में लागू की गई है। इस योजना के तहत कृषि भूमि, पंचायत भूमि, सामुदायिक भूमि, संस्थागत भूमि, सरकारी भूमि, बंजर भूमि, निजी भूमि और घर के आंगन में खड़े प्राण वायु देवता के पेड़ों की पहचान की जाएगी और उन्हें कवर किया जाएगा।
वन भूमि पर खड़े पेड़ों को इस योजना के तहत कवर नहीं किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत केवल 75 वर्ष से अधिक आयु के वृक्ष ही पात्र होंगे। गिरे हुए, खोखले, मृत, सूखे और रोगग्रस्त वृक्ष पात्र नहीं होंगे। फिकस बेंगालेंसिस जैसे एक ही पौधे से उत्पन्न वृक्षों के समूह को एक वृक्ष माना जाएगा।
उपायुक्त ने बताया कि प्राण वायु देवता वृक्षों के संरक्षक की पहचान उस भूमि के स्वामित्व के आधार पर की जाएगी (राजस्व रिकॉर्ड में) जिस पर वृक्ष खड़ा है। समिति प्रत्येक छह महीने के बाद प्राण वायु देवता वृक्ष के स्वास्थ्य की नियमित निगरानी करेगी। जिला में यदि किसी व्यक्ति के घर या स्वयं की जमीन पर 75 साल या उससे ज्यादा की उम्र का पेड़ है, तो वो जिला वन अधिकारी कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं इसके बाद एक समिति द्वारा उस आवेदन का आकलन किया जाएगा। सत्यापन उपरांत सभी शर्तें पूरी पाई जाती हैं तो लाभार्थी व्यक्ति को पेड़ों से मिलने वाली पेंशन दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस बारे में अधिक जानकारी, शर्ते व दिशा निर्देश जिला वन विभाग पलवल से प्राप्त कर सकते हैं।
प्राण वायु देवता वृक्ष की सुरक्षा से संबंधित नियम :
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि प्राण वायु देवता योजना के तहत कवर होने वाले वृक्षों के पास एक अलग साइन बोर्ड लगाया जाएगा, जिसमें दर्शाया जाएगा कि वृक्ष के स्वामी को वृक्ष की संपूर्ण प्राकृतिक जीवन अवधि के दौरान हर संभव तरीके से रक्षा और पोषण करना है। किसी भी ऐसे निर्माण को रोकना है, जिससे वृक्ष की जड़, तने या शाखाओं सहित किसी भी भाग को नुकसान हो सकता है।
वृक्ष के तने के आधार पर कंक्रीट के निर्माण को रोकना। वृक्ष के तने में कील ठोकना प्रतिबंधित है। किसी भी निर्माण और विकास गतिविधियों के लिए समिति की मंजूरी के बिना प्राण वायु देवता वृक्ष को काटा, गिराया या क्षतिग्रस्त नहीं किया जाएगा।
प्राण वायु देवता पेंशन के लिए आवेदन :
उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ ने बताया कि प्राण वायु देवता पेंशन के लिए आवेदन पत्र रेंज वन अधिकारी के कार्यालय से नि:शुल्क प्राप्त किए जा सकते हैं। प्राण वायु देवता पेंशन योजना के लिए आवेदन उस क्षेत्र के संबंधित प्रभागीय वन अधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा जिसमें पात्र वृक्ष मौजूद हैं। आवेदन निर्धारित प्रारूप में होना चाहिए। प्राप्त आवेदन की गठित कमेटी द्वारा जांच की जाएगी। समिति आवेदनों की गहन जांच करेगी और पेंशन देने के लिए सिफारिशें करेगी।
जिला स्तरीय समिति का निर्णय अंतिम होगा। अनुशंसित आवेदनों को पेंशन जारी करने के लिए क्षेत्र के प्रभागीय वन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। किसी आपात स्थिति में, यदि इस योजना के अंतर्गत आने वाले वृक्ष को हटाना आवश्यक हो जाता है, तो संरक्षक को समिति को आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
समिति आवेदन पर विचार करेगी और आपात स्थिति की प्रकृति के संबंध में आगे की जांच करेगी और यदि संरक्षक द्वारा दिए गए कारण सही पाए जाते हैं, तो वृक्ष को काटने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, वृक्ष को काटने की अनुमति केवल असाधारण मामलों में ही विस्तार से कारण बताते हुए दी जाएगी।
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