टीम ने बड़खल झील सहित क्षेत्र के अन्य जल स्रोतों, तालाबों, वर्षा जल संचयन संरचनाओं एवं जल निकायों का मौके पर जाकर अवलोकन किया। अधिकारियों द्वारा टीम को इन संरचनाओं की स्थिति, प्रगति, निर्माण कार्य, पुनर्विकास तथा रखरखाव संबंधी कार्यों की विस्तृत जानकारी दी गई। टीम सदस्यों ने कहा कि सामूहिक भागीदारी और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के माध्यम से जल संरक्षण को जन आंदोलन का स्वरूप दिया जा सकता है।
केन्द्रीय टीम ने बड़खल झील पर चल रहे जीर्णोद्धार कार्यों और घाटों का भी निरीक्षण किया। टीम ने झील की साफ-सफाई, घाटों की स्थिति और पुनर्निर्माण के प्रयासों की सराहना की। इसके अतिरिक्त, टीम ने परसोन मंदिर परिसर का अवलोकन करते हुए वहां स्थित प्राकृतिक जल स्रोतों का भी निरीक्षण किया और उनके संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी ली।
निरीक्षण के दौरान केंद्रीय टीम ने स्थानीय निवासियों से सीधा संवाद कर जल संरक्षण कार्यों को लेकर फीडबैक प्राप्त किया। ग्रामीणों ने बताया कि इन संरचनाओं से भू-जल स्तर में सकारात्मक सुधार देखने को मिला है। टीम ने नागरिकों से संरचनाओं के रखरखाव में सहभागिता निभाने और जल संचयन को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की अपील की। टीम सदस्यों ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचाने के लिए आज के सामूहिक प्रयास निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
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