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पशु पालक घबराएं नहीं, बीमार पशुओं का इलाज करवाएं- DC यशपाल यादव

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हमें ख़बरें Email: psrajput75@gmail. WhatsApp: 9810788060 पर भेजें (Pushpendra Singh Rajput)
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फरीदाबाद, 26 अगस्त। डीसी यशपाल  ने बताया कि पशुओं की लम्पी स्किन बीमारी (एसएसडी) की रोकथाम व पशुधन को बीमारी से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की टीमें गांव पहुंचकर पशुपालकों को लगातार जागरूक कर रही हैं। डीसी ने कहा कि पशु पालकों को लम्पी बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत है। शासन-प्रशासन की ओर से बीमारी की रोकथाम के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं। किसी भी पशु में लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत अपने नजदीक  के पशु चिकित्सक से संपर्क करें। पशुपालन विभाग के पास बीमार पशु के इलाज के लिए पशु चिकित्सक व दवाई उपलब्ध हैं।

उपनिदेशक कार्यभार पशुपालन विभाग डॉ विनोद दहिया के मोबाइल नंबर 9643577557 पर संपर्क कर सकते हैं।

पशु बीमार होने पर पशुपालक तत्काल अपने नजदीक के सरकारी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें। विभागीय टीमों द्वारा पशुपालकों को बीमारी से बचाव की तरीके समझाए जा रहे हैं। पशु बीमार होने पर इलाज के लिए कैसे और कहां संपर्क करें यह भी बताया जा रहा है। उपमंडल स्तर पर भी पशु चिकित्सकों के मोबाइल नंबर पशुपालकों को बताए जा रहे हैं। 

उपायुक्त यशपाल ने कहा कि जिला में लम्पी की  रोकथाम के लिए सभी हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। पशुपालन विभाग द्वारा बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण, फॉगिंग, स्प्रे का कार्य तेज गति से चलाया हुआ है। जिला फरीदाबाद  को अब तक 35 हजार 300 वैक्सीन की डोज मिल चुकी है। इनमें से आठ हजार एक सौ डोज जो पहली खेप में मिली वह पशुओं को लगाई भी जा चुकी है। दूसरी खेप में मिली 27 हजार 200 वैक्सीन की डोज बीते शाम यानी वीरवार से पशुओं लगानी शुरू कर दी गई है। जिला भर की गौशालाओं में फॉगिंग व स्प्रे कार्य किया जा रहा है। गौशाला संचालकों के साथ पशुपालन विभाग की टीमें निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं। डीसी यशपाल ने गौ भक्तों से सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि यह बीमारी गौवंश में फैलती है। गोभक्त टोली बनाकर गोवंश पालकों को बीमारी की रोकथाम के बारे में जागरूक करें और निराश्रित बीमार गोवंश को नजदीक के पशु चिकित्सालय तक पहुचाएं। इससे बीमारी को फैलने से रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि गोभक्त पहले भी अच्छा कार्य करते आए हैं और प्रशासन को पूरी उम्मीद है निराश्रित गौवंश को बचाने के लिए सार्थक सहयोग करेंगे।

डीसी यशपाल ने बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिला फरीदाबाद में  39000 के लगभग पशु है। जिला फरीदाबाद में कुल 66 पशु अस्पताल हैं। इनमें से 22  बड़े पशु अस्पताल हैं। इनमें बल्लभगढ़ ब्लाक में 11, बड़खल ब्लाक में 5 और फरीदाबाद ब्लाक में 6 बड़े पशु अस्पताल हैं। इसी प्रकार जिला फरीदाबाद में 44 छोटे पशु अस्पताल शामिल हैं।

- पशु पालक घबराएं नहीं,  बीमार पशुओं का इलाज करवाएं

- बीमार पशु के लक्षण

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के डॉक्टर विनोद दहिया ने बताया कि  यह गोवंश व भैंसों में फैलने वाला वायरस जनित रोग है। इस बीमारी में पशु को तेज बुखार, नाक व मुंह से पानी गिरना, भूख न लगना, दूध में गिरावट आदि लक्षण दिखाई देते हैं। पशु के पूरे शरीर पर दर्दनाक चकत्ते व गांठे हो जाती हैं जो बाद फुटकर घाव में परिवर्तित हो जाती हैं। उन्होंने बीमारी फैलने के कारणों की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए  बताया कि लम्पी संक्रमित बीमारी है, जो मच्छर, मक्खी व चीचड़ आदि के माध्यम से फैलती है। यह बीमारी पशुओं की लार, दूषित चारा व पानी से भी एक से दूसरे पशु में  फैलती है। पशुओं में इस बीमारी का फैलाव दस से 15 प्रतिशत तक है। घरेलू गोवंश में मृत्यु दर एक से दो प्रतिशत है। कमजोर व निराश्रित गौवंश में पांच प्रतिशत तक तथा विदेश संकर नस्ल में तीन से चार प्रतिशत तक है। छह महीने की आयु तक के पशुधन में यह बीमारी नहीं फैलती।

पशु पालन एवं डेयरी विभाग के डॉक्टर विनोद दहिया ने  बताया कि बीमार पशु को दूसरे स्वस्थ पशुओं से अलग बाड़े में रखें। पशु के इलाज के लिए  नजदीक के पशु चिकित्सालय या पशु चिकित्सक से संपर्क  करें। पशुओं के बाड़े को साफ सुथरा रखें। पशु बाड़े में नियमित रूप से मक्खी-मच्छर  व अन्य वायरस रोधी दवा का छिड़काव करें। नीम व गुगल की पत्तियों का धुआं भी करें। पशु में लक्षण प्रतीत होने पर दर्द व बुखार  रोधी दवा तुरंत दें। स्वस्थ पशुओं को फिटकरी या लाल दवा से दिन में दो बार नहलाएं। बीमार पशुओं को पौष्टिïक आहार व स्वच्छ पानी पिलाएं।

उन्होंने बताया कि बीमार पशु को बाहर चराने, जोहड़ तालाब आदि न लेकर जाएं। पशुपालक बीमार पशु के संपर्क में पर आने के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोकर ही स्वस्थ पशु के पास जाएं। बीमार पशु का इलाज पशु चिकित्सक से ही कराएं, घावों को पानी से गीला न करें। एक स्थान से दूसरे स्थान पर पशुओं को न भेजें। बीमारी से पशु की मौत होने पर नजदीक के पशु चिकित्सक को सूचना दें। मृत पशु को खुले में न फैंके। गहरे गड्ढे में नमक आदि डालकर दबाएं।

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