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अभिभावकों से ली गई फीस की राशि का दुरुपयोग करते हैं स्कूल प्रबंधक- कैलाश शर्मा

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  8 अप्रैल ।शिक्षा नियमावली के नियम के तहत प्रत्येक प्राइवेट स्कूल को 31 दिसंबर तक अपने स्कूल की फीस, आय व व्यय तथा अन्य ब्यौरा बैलेंस शीट के साथ फार्म 6 पर भरकर ऑनलाइन शिक्षा निदेशक पंचकूला व हार्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कराना होता है। लेकिन इस बार हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूल संचालकों के दबाव में फार्म 6 जमा कराने की तारीख को 31 मार्च तक बढ़ा दिया। उसके बावजूद फरीदाबाद के लगभग 500 प्राइवेट स्कूलों में से लगभग 100 ने ही जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में फार्म 6 जमा कराया है उसमें भी कई ने बैलेंस शीट संलग्न नहीं की है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने शिक्षा निदेशक कार्यालय पंचकूला व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय फरीदाबाद में  आरटीआई लगाकर पिछले 5 साल में बैलेंस शीट के साथ जमा कराए गए फार्म 6 की फोटो कॉपी मांगी है।मंच ने अभिभावकों से भी कहा है कि वे अपने बच्चे के स्कूल द्वारा पिछले 5 से 10 साल में ट्यूशन फीस व अन्य फंडों में की गई वृद्धि के ब्यौरे का चार्ट बना कर तुरंत मंच को उपलब्ध कराएं।

मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा है कि फार्म 6 में स्कूल प्रबंधकों को चालू शिक्षा सत्र में ली जा रही फीस व आगामी शिक्षा सत्र में बढ़ाकर ली जाने वाली फीस व फंड्स का ब्यौरा, प्रत्येक अध्यापक व कर्मचारी को दी जा रही  तनखा सहित अन्य जानकारी भर कर  देनी होती है।शिक्षा निदेशक कार्यालय बढ़ाई गई फीस के ब्योरे की वैधानिकता की जांच करता है उसके बाद स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति प्रदान करता है लेकिन स्कूल प्रबंधक फार्म 6 जमा कराते ही बढ़ाई गई फीस के अनुसार अभिभावकों से फीस वसूलना शुरू कर देते हैं।मंच का कहना है कि फार्म 6 प्राइवेट स्कूल संचालकों को दिया गया वह लाइसेंस है जो उनको सुरक्षा कवच प्रदान करता है l स्कूल संचालक फार्म 6 में कुछ भी  लिख दें स्कूल व सरकार की नजर में वह सही हो जाता है l खाता ना बही,स्कूल वाले जो लिख दें वही सही l मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा है  कि फार्म 6 में जो प्रस्तावित फीस का ब्यौरा दिया जाता है और साथ में जो बैलेंस शीट लगाई जाती है वह सही है, न्याय संगत है उसकी कोई जांच नहीं करता l पिछले 10 साल से ऐसा ही हो रहा है l स्कूल संचालक सरकार द्वारा दिए गए इस लाइसेंस रूपी फार्म 6 में कितनी भी बढ़ी हुई फीस व फंड लिख दें वे उसी अनुसार मोटी फीस वसूलते हैं l जब भी मंच और पेरेंट्स चेयरमैन एफएफआरसी व जिला शिक्षा अधिकारी से स्कूलों की मनमानी की शिकायत करता है तो उनका कहना होता है कि स्कूल प्रबंधकों ने फार्म 6 में जो बढ़ी हुई फीस का ब्यौरा दिया है वे उसी के अनुसार फीस ले रहे हैं इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। स्कूल प्रबंधकों का भी यही तर्क होता है कि हमने जो बढ़ी हुई फीस का विवरण फार्म 6 में लिखा है उस पर शिक्षा निदेशक हरियाणा ने कोई एतराज नहीं किया और शिक्षा विभाग ने मान लिया कि स्कूल वालों ने जो फीस बढ़ाई है वह सही है l मंच का आरोप है कि यह सब शिक्षा विभाग व प्राइवेट स्कूल संचालकों की आपसी सांठगांठ के चलते हो रहा है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा है कि मंच द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका डालकर इस सांठगांठ की जांच करने, शिक्षा निदेशक द्वारा फार्म 6 में दर्शाए गए ब्योरे की जांच न करने व प्राइवेट स्कूलों द्वारा पिछले 10 साल में बढ़ाई गई फीस व फंड की वैधानिकता की जांच करने की अपील की जायेगी। इसीलिए आरटीआई लगाकर पिछले 10 साल के फार्म 6 और बैलेंस शीट को मांगा जा रहा है। 

मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने  कहा है कि स्कूल प्रबंधक अभिभावकों से ली गई फीस की राशि का दुरुपयोग करते हैं, गैरकानूनी मदों जैसे अखबारों में विज्ञापन  , स्कूलों में होने वाले वार्षिक उत्सव, अपने घरों में एसी  व अपने लिए कार व प्लॉट खरीदने, विदेशों में अपने परिवार के साथ टूर पर जाने का खर्चा, कोर्ट में मुकदमा लड़ने,बसों को खरीदने का खर्चा, स्कूल के चेयरमैन व उसकी पत्नी को  ₹500000 की तनखा दिखाने का खर्चा और ऐसे ही अनेकों मर्दों  में खर्चा दिखाकर वे अपने ऑडिटर से अपने आय और व्यय की राशि को बराबर दिखा देते हैं या अपने स्कूल को घाटे में चलता हुआ दिखाते हैं l इतना ही नहीं लाभ के पैसे को अन्य जगह ट्रांसफर कर देते हैं। मंच ने आरटीआई के माध्यम से फरीदाबाद ,गुरुग्राम सहित अन्य कई जिलों में फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमिटी के आदेश पर कराई गई प्राइवेट स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त की है जिसमें उपरोक्त दर्शाए गए मदों में  खर्चा दिखाने की बात  सामने आई है  जिसे चेयरमैन एफएफआरसी ने  नियम विरुद्ध  माना है और शिक्षा सचिव से दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का कहा है लेकिन शिक्षा विभाग ने आगे कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की मंच इन सब बातों को ही जनहित याचिका में शामिल करेगा। मंच का कहना है कि दिल्ली सरकार ने एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर  दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों के खातों की सरकारी ऑडिटर से ऑडिट कराया था तो पता चला कि  स्कूल वालों ने कई अमान्य व फालतू मदों में खर्चा  दिखाया है।जब इस राशि को हटाया गया तो स्कूल लाभ में दिखाई दिए जिसके चलते स्कूलों द्वारा फीस में की गई वृद्धि को गैरकानूनी माना गया। दिल्ली सरकार के कड़े रुख के कारण प्राइवेट स्कूलों को पिछले 5 साल में अभिभावकों से ली गई फालतू फीस को ब्याज सहित वापस करना पड़ा l  मंच का कहना है कि ऐसा हरियाणा में भी होना चाहिए लेकिन सरकार पूरी तरह से  लूट व मनमानी कर रहे प्राइवेट स्कूल  संचालकों के साथ है।

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