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Sps- सुबह से ही लाल किले पर मौजूद था किसानों के अरमानों पर पानी फेरने वाला दीप सिद्धू 

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नई दिल्ली- आजादी के बाद पहली बार लाल किले पर कोई और झंडा भी कल 26 जनवरी को दिखा। बड़े सवाल उठ रहे हैं। कोई कल के बवाल के लिए भाजपा को जिम्मेदार बता रहा है तो कोई कांग्रेस को तो कोई खालिस्तान समर्थकों को। देश नाम नाम पूरी दुनिया में  बदनाम हो रहा है। दिल्ली पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि ये लोग लालकिला पर कैसे पहुँच गए। कहा जा रहा है कि पुलिस के हाथ बांध दिए गए थे जिस वजह ने पुलिस ने बड़ा कदम नहीं उठाया और प्रदर्शनकारियों पर बड़ी कार्यवाही नहीं की गई। 

जानकारी मिल रही है कि कल के प्रदर्शन के लिए  ट्रैक्टर रैली की इजाजत लेने के लिए एनओसी पर साइन करने वाले सभी किसान नेताओं के खिलाफ बुधवार को एफआईआर दर्ज कर ली गईं। जिन किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं, उनमें- राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, वीएम सिंह, विजेंदर सिंह, हरपाल सिंह, विनोद कुमार, दर्शन पाल, राजेंद्र सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह, जगतार बाजवा, जोगिंदर सिंह उगराहां के नाम शामिल बताए जा रहे हैं।

कल की घटना पर केंद्र सरकार का शुरुआती आकलन है कि ट्रैक्टर रैली में शामिल चरमपंथी लेफ्ट संगठनों के लोगों ने जानबूझकर तय की गई शर्तों का उल्लंघन किया।  संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान नेता भी इसमें शामिल बताये जा रहे हैं। 

कल की घटना का मुख्य आरोपी दीप सिद्धू के कई वीडियो वायरल हुए जिसमे वो भागता दिख रहा है। कहा जा रहा है कि वो ट्रैक्टर रैली के साथ नहीं पहले से ही लाल किले पर आया था। ट्विटर पर कुछ  लोगों ने उसकी तस्वीर पोस्ट दावा किया है कि वो सुबह ही लाल किले पर आ गया था। सरकार की ख़ुफ़िया एजेंसियां क्या फेल हो गईं हैं उनकी जुबान पर ताला लगा दिया गया या वर्तमान सरकार बहुत कमजोर है। कोई भी लाल किले पर तांडव मचा सकता है। कई सवाल उठ रहे हैं। लाल किला देश का दिल है और कल देश के दिल पर जो कुछ हुआ पूरी दुनिया देख रही है। पूरी दुनिया में भारत की फजीहत हो रही है। एक दिन पहले दुनिया की महाशक्ति वाले देश में शुमार भारत को दुनिया का सबसे कमजोर देश कहा जा रहा है जहाँ की राजधानी की मुख्य जगह पर कुछ लोग तांडव मचाते हैं और अपने झंडे फहरा देते हैं। 

दिल्ली के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक  सीसीटीवी फुटेज और अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त वीडियो के विश्लेषण से यह पता चला है कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल सभी संगठनों के लोग लाल किले पर निशान साहिब फहराने में शामिल थे। इंटेलिजेंस ब्यूरो और दिल्ली पुलिस, दोनों का आकलन है कि ट्रैक्टर रैली में 15-20% लोग ऐसे थे जिनका किसान आंदोलन के साथ कोई संबंध नहीं था।

सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बताया है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के लोग प्रदर्शन में शामिल थे और हिंसा के दौरान भी ये साथ थे। हिंसा करने वालों में सतनाम सिंह पन्नू की किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की पहचान खास तौर पर हुई है।  अधिकारी ने बताया कि इसके लोग पहले दिन से अड़े थे कि आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। 

देश की महा फजीहत तो हो ही गई। अब देखते हैं आगे क्या होता है। किसान आंदोलन भी अब शायद ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं रहा। किसान संगठनों में अब आपस में ही बहस छिड़ गयी है। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव का कहना है कि हम दिल्ली में गैर-क़ानूनी तरीके से किए गए आंदोलन और उस दौरान हिंसा और लाल किले पर फहराए गए झंडे को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं। हिंसा करने वालों की वीडियो हमारे पास है, विश्लेषण हो रहा है। 

उनका कहना है कि उपद्रवियों की पहचान की जा रही है, गिरफ़्तारियां की जाएंगी। अब तक 25 से ज्यादा मामले दर्ज़ किए गए हैं। कोई भी अपराधी जिसकी पहचान होती है, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। जो किसान नेता इसमें शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि गाजीपुर में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ जो किसान मौजूद थे उन्होंने भी हिंसा की घटना को अंजाम दिया और आगे बढ़कर अक्षरधाम गए, हालांकि पुलिस द्वारा कुछ किसानों को वापस भेजा गया लेकिन कुछ किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़े और लाल किले पहुंचे। 

श्रीवास्तव ने कहा कि किसानों ने कल पुलिस के द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़कर हिंसक घटनाएं की। कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और कुछ पुलिसकर्मी ICU में भी है। उन्होंने कहा कि 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस को ज्ञात हुआ कि किसान 26 को ट्रैक्टर रैली करने जा रहे है। हमने किसानों से कहा कि कुंडली, मानेसर, पलवल पर ट्रैक्टर मार्च निकाले। लेकिन किसान दिल्ली में ही ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग रहे। 

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